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पहले चीनी ड्रोन, फिर सुखोई से जवाब... तवांग में 15 दिन से था तनाव, जानिए 9 दिसंबर को क्या-क्या हुआ?

अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर से सटे बॉर्डर पर 9 दिसंबर को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई थी. सोची समझी साजिश के तहत 300 चीनी सैनिक यांगत्से इलाके में भारतीय पोस्ट को हटाने पहुंचे थे. चीनी सैनिकों के पास कंटीली लाठी और डंडे भी थे. लेकिन भारतीय सैनिकों ने तुरंत मोर्चा संभाल लिया. सूत्रों के मुताबिक, झड़प में चीन के ज्यादा सैनिक घायल हुए हैं.

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फाइल फोटो
फाइल फोटो

सीमा पर चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. चीन अरुणाचल प्रदेश में एलएसी पर पिछले कुछ महीनों से आक्रामक रुख अपना रहा है. तवांग में हुई भारत और चीनी सैनिकों के बीच हाथापाई भी इसी आक्रामक रुख नतीजा है. इस झड़प से कुछ दिन पहले चीनी ड्रोन वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारतीय सीमा के काफी नजदीक आ गए थे. इसके बाद भारत को इन ड्रोन को खदेड़ने के लिए लड़ाकू विमानों को तैनात करना पड़ा था. इसके बाद 9 दिसंबर को चीनी सैनिकों ने तवांग के यांगत्से में भारतीय पोस्ट को हटाकर भारतीय इलाके में अतिक्रमण की कोशिश की. लेकिन इस बार भी उन्हें करारा जवाब मिला. भारतीय सैनिकों की बहादुरी के आगे चीनी सैनिक पस्त नजर आए और अपनी पोस्ट पर वापस लौट गए. आइए जानते हैं तवांग में क्या-क्या हुआ?

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चीन एलएसी पर स्थित यांगत्से में भारतीय सेना की मौजूदगी का लगातार विरोध करता रहा है. लेकिन पिछले कुछ समय से चीनी सेना LAC पर यांगत्से के पास काफी आक्रामक व्यवहार कर रही है. रक्षा सूत्रों के मुताबिक, पिछले कुछ हफ्तों में दो से तीन बार ऐसे मौके आए, चीन के ड्रोन ने भारतीय सीमा के पास उड़ान भरी. इन्हें देखकर वायुसेना ने लड़ाकू विमान तैनात किए. इसके बाद चीन के ड्रोन भाग खड़े हुए. भारत की ओर से चीन का जवाब देने के लिए सुखोई-30 विमान तैनात किए गए थे. 

9 दिसंबर को क्या क्या हुआ?

ये तनाव 15 दिन तक जारी रहा. फिर 9 दिसंबर को चीनी सैनिकों ने साजिश का नया प्लान बनाया. भारतीय सेना ने तवांग में हुई झड़प की पूरी कहानी बताई. 9 दिसंबर को अरुणाचल के तवांग सेक्टर में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई थी. इस झड़प में दोनों ओर के सैनिकों को कुछ चोटें आई हैं. ये झड़प तवांग के यांगत्से में ऐसे वक्त पर हुई, जब भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में पिछले 30 महीने से विवाद चल रहा है. 

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भारतीय सेना के मुताबिक, 9 दिसंबर को, पीएलए सैनिकों ने तवांग सेक्टर में एलएसी पार की, लेकिन भारतीय सैनिकों ने दृढ़ता से मुकाबला किया. इस दौरान दोनों पक्षों के सैनिकों को मामूली चोटें आई हैं. हालांकि, बाद में दोनों सेनाएं इस क्षेत्र से पीछे हट गईं. भारतीय कमांडर ने क्षेत्र में शांति बहाल करने के लिए इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए चीनी समकक्ष के साथ बैठक की. हालांकि, भारतीय सेना की ओर से ये नहीं बताया गया कि कितने चीनी सैनिक इसमें शामिल थे और कितने जख्मी हुए हैं. 

साजिश के तहत लाठी, कीले लगे डंडे लेकर आए थे चीनी सैनिक

इस बार भी चीनी सैनिक गलवान की तरह नई साजिश के साथ तैयार थे, सूत्रों के मुताबिक, सोची समझी साजिश के तहत 300 सैनिकों के साथ यांगत्से इलाके में भारतीय पोस्ट को हटाने पहुंचे थे. चीनी सैनिकों के पास कंटीली लाठी और डंडे भी थे. लेकिन यहां के जवान भी मुस्तैद थे और भारतीय सैनिकों ने तुरंत मोर्चा संभाल लिया. सूत्रों के मुताबिक, झड़प में चीन के ज्यादा सैनिक घायल हुए हैं. भारतीय जवानों को भारी पड़ता देख चीनी सैनिक पीछे हट गए. बताया जा रहा है कि चीनी सैनिकों ने पत्थरबाजी भी की. भारत के 6 जवानों को इलाज के लिए गुवाहाटी लाया गया है. 

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भारतीय सैनिकों ने चीन का बहादुरी से दिया जवाब- राजनाथ

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में अरुणाचल में हुई झड़प के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि भारतीय सेना ने चीन का बहादुरी से जवाब दिया. भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को उनकी पोस्ट पर वापस भेजा. इस दौरान भारतीय सेना के कोई भी जवान का न तो शहीद हुआ है और न ही कोई गंभीर रूप से जख्मी है. राजनाथ सिंह के मुताबिक, PLA के जवानों ने तवांग सेक्टर में अतिक्रमण करके यथास्थिति को बदलने की कोशिश की. लेकिन भारतीय जवानों ने दृढ़ता से इसका सामना किया. इस दौरान हाथापाई भी हुई. चीनी सैनिकों की ओर से पत्थरबाजी भी की गई. लेकिन भारतीय सैनिकों ने मुंहतोड़ जवाब दिया और भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों को अतिक्रमण करने से रोका और उन्हें उनकी पोस्ट में वापस भेज दिया. इस घटना के बाद क्षेत्र के स्थानीय कमांडर ने चीनी समकक्ष के साथ एक फ्लैग मीटिंग की और इस घटना पर चर्चा की. चीनी पक्ष से सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए कहा गया. इस मुद्दे को चीनी पक्ष के साथ कूटनीतिक स्तर पर भी उठाया गया है. 

2006 से दोनों सेनाएं करती हैं पेट्रोलिंग

सेना के मुताबिक, एलएसी के तवांग में सीमा को लेकर दोनों देशों की अलग अलग धारणा है. 2006 से इन क्षेत्रों में दोनों पक्ष अपना अपना दावा करते हैं और दावे की जगह तक दोनों पक्ष की सेनाएं पेट्रोलिंग करती हैं. 2020 में पूर्वी लद्दाख के बाद भारत और चीनी सैनिकों के बीच यह पहली बड़ी झड़प है. 

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भारतीय एयरफोर्स की हर गतिविधि पर नजर

रक्षा सूत्रों के मुताबिक, भारतीय एयरफोर्स चीन की गतिविधियों पर लगातार नजर बनाए हुए है. उन्होंने कहा कि भारतीय सेना हमेशा किसी भी कार्रवाई के लिए तैयार है, क्योंकि ड्रोन या किसी भी विमान को हवाई क्षेत्र का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती. 

रक्षा सूत्रों के मुताबिक, अगर ड्रोन एलएसी के समांतर उड़ते हैं, तो भारतीय सेना को कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन अगर राडार में ये ड्रोन भारत की सीमा की ओर उड़ते हुए दिखे, तो किसी भी उल्लंघन को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे. नॉर्थ ईस्ट में भारतीय एयरफोर्स की मजबूत उपस्थिति है. असम में तेजपुर और छबुआ समेत कई स्थानों पर Su-30 लड़ाकू जेट विमानों के स्क्वाड्रन मौजूद हैं. इसके अलावा पश्चिम बंगाल के हाशिमारा में राफेल जेट की स्क्वाड्रन है. इतना ही नहीं भारतीय सेना ने असम सेक्टर में डिफेंस को मजबूती देने के लिए रूसी S-400 एंटी मिसाइल सिस्टम की भी तैनाती कर रखी है. 

2020 में गलवान में भी हुई थी हिंसा

 

इससे पहले 15 जून 2020 को गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सेना के बीच हिंसक झड़प हुई थी. भारतीय जवानों ने चीनी सैनिकों के टेंट उड़ा दिए. चीनी सैनिकों ने भारतीय जवानों पर कंटीलें तारों से लिपटे बल्ले से हमला किया. हाथापाई हुई. इस झड़प में करीब 600 लोग शामिल थे. चीनी सैनिकों ने भारतीय जवानों पर लोहे के रॉड आदि से हमला किया था. इस झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हुए. चीन को भी भारी नुकसान हुआ था, लेकिन चीन ने मरने वालों का आधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं किया. 
 

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