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AAP को आरोपी बनाने का रास्ता खुला, क्या CM पद छोड़ेंगे केजरीवाल? दिल्ली HC के फैसले के बाद अब आगे क्या

दिल्ली हाईकोर्ट का कहना है कि ईडी ने जो सबूत जुटाए हैं, उससे पता चलता है कि केजरीवाल इस साजिश में शामिल थे. वो एक्साइज पॉलिसी को तैयार करने में भी शामिल थे और उन्होंने आपराधिक आय का भी इस्तेमाल किया. अदालत ने कहा कि केजरीवाल रिश्वत की मांग करने में भी शामिल रहे हैं.

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अरविंद केजरीवाल को दिल्ली हाई कोर्ट से झटका (फाइल फोटो)
अरविंद केजरीवाल को दिल्ली हाई कोर्ट से झटका (फाइल फोटो)

दिल्ली के कथित शराब घोटाले में गिरफ्तार मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मंगलवार को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा. हाईकोर्ट ने न सिर्फ केजरीवाल की गिरफ्तारी बल्कि रिमांड को भी सही ठहराया. हाईकोर्ट ने साफ कहा कि ईडी के पास पर्याप्त सबूत थे, इसलिए केजरीवाल की गिरफ्तारी हुई.

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हाईकोर्ट ने कहा कि ईडी ने जो सबूत जुटाए हैं, उससे पता चलता है कि केजरीवाल इस साजिश में शामिल थे. वो एक्साइज पॉलिसी को तैयार करने में भी शामिल थे और उन्होंने आपराधिक आय का भी इस्तेमाल किया. अदालत ने कहा कि केजरीवाल रिश्वत की मांग करने में भी शामिल रहे हैं.

ईडी ने कथित शराब घोटाले में सीएम केजरीवाल को 21 मार्च को उनके आवास से गिरफ्तार किया था. केजरीवाल ने इस गिरफ्तारी को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया है. 

हाईकोर्ट की जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने अपने 106 पन्नों के फैसले में कहा कि गवाहों के बयान से पता चलता है कि केजरीवाल एक्साइज पॉलिसी को तैयार करने में कथित तौर पर व्यक्तिगत रूप से शामिल थे और साउथ ग्रुप से रिश्वत लेने की प्रक्रिया में भी वो शामिल रहे थे.

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लेकिन हाईकोर्ट के फैसले से दो सवाल खड़े होते हैं. पहला ये कि क्या अब केजरीवाल के साथ-साथ पूरी आम आदमी पार्टी जांच के दायरे में आएगी? और दूसरा कि क्या अब केजरीवाल मुख्यमंत्री पद छोड़ देंगे?

क्या आम आदमी पार्टी बनेगी आरोपी?

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा है कि राजनीतिक पार्टी भी प्रिवेन्शन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) की धारा 70 के दायरे में आती है, क्योंकि ये एक 'कंपनी' की तरह ही 'लोगों का समूह' है.

इस टिप्पणी का मतलब हुआ कि अपने आदेश के जरिए अदालत ने राजनीतिक पार्टियों को भी मनी लॉन्ड्रिंग कानून के दायरे में लाने की अनुमति दे दी है. इससे अब ईडी के लिए आम आदमी पार्टी को भी आरोपी बनाने का रास्ता खुल गया है.

पीएमएलए की धारा 70 किसी कंपनी की ओर से किए अपराधों के लिए सजा का प्रावधान करती है. ये धारा कहती है कि जब जब कोई कंपनी मनी लॉन्ड्रिंग करती है, तो हर एक व्यक्ति जो अपराध के समय उस कंपनी का प्रभारी या जिम्मेदार था, उसे भी दोषी माना जाएगा और उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से सवाल किया था कि अगर इस घोटाले से आम आदमी पार्टी को फायदा हुआ है, तो उसे आरोपी क्यों नहीं बनाया? 

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सीएम केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में ईडी ने कहा था कि इस घोटाले से आम आदमी पार्टी को फायदा हुआ और उसने अपराध किया है. पीएमएलए की धारा 70 में सिर्फ 'रजिस्टर्ड कंपनियां' ही नहीं बल्कि 'व्यक्तियों का समूह' भी आता है.

क्या नए संकट की ओर बढ़ रही है दिल्ली?

सीएम केजरीवाल की हाईकोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद दिल्ली सरकार पर शिकंजा कसता नजर आ रहा है. हाईकोर्ट के फैसले ने आग में घी डालने का काम किया है, क्योंकि सोमवार को ही दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने गृह मंत्रालय को एक चिट्ठी लिखी थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि भ्रष्टाचार के मामले में सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद सरकार के कामकाज पर चर्चा के लिए बैठक बुलाई गई थी, लेकिन दिल्ली के मंत्रियों ने इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया.

एक हफ्ते में ये दूसरी बार है जब दिल्ली के एलजी ने गृह मंत्रालय को चिट्ठी लिखी है. इससे पहले 4 अप्रैल को एलजी ऑफिस ने केंद्रीय गृह सचिव को लिखी चिट्ठी में दिल्ली सरकार पर अदालतों को गुमराह करने का आरोप लगाया था.

CM पद से हटेंगे केजरीवाल?

हाईकोर्ट ने मंगलवार को जो फैसला दिया, उससे अब अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे की मांग भी तेज हो गई है. बीजेपी भी केजरीवाल के इस्तीफे की मांग पर अड़ गई है. बुधवार को दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष की अगुवाई में इस मांग को लेकर प्रदर्शन करने जा रही है. 

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हालांकि, आम आदमी पार्टी केजरीवाल के सीएम पद से इस्तीफे की बात को खारिज करते हैं. दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज से जब पूछा गया कि क्या अदालत जब दोषी ठहराएगी, तभी केजरीवाल इस्तीफा देंगे? इस पर उन्होंने जवाब दिया कि ऐसा होगा ही नहीं और इसका फैसला अदालत करेगी. 

इससे पहले 21 मार्च को जब केजरीवाल को ईडी ने गिरफ्तार किया था, तब भी आम आदमी पार्टी के नेताओं ने कहा था कि वो जेल से ही सरकार चलाएंगे. हालांकि, कुछ दिन पहले एक कार्यक्रम में उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने कहा था कि जेल से सरकार नहीं चलाई जा सकती.

इस बीच बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट में उस याचिका पर भी सुनवाई होगी, जिसमें पूर्व विधायक संदीप कुमार ने अरविंद केजरीवाल को सीएम पद से हटाने की मांग की है.

अब आगे क्या...?

केजरीवाल अभी 15 अप्रैल तक तिहाड़ जेल में रहेंगे. केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद से ही दिल्ली में एक नया संकट खड़ा हो गया है. वहीं, दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच भी एक नई अनबन पैदा हो गई है.

अरविंद केजरीवाल भले ही जेल में हैं, लेकिन वो अभी भी मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए बाध्य नहीं हैं. ये अलग बात है कि वो खुद अपनी मर्जी से इस्तीफा दे दें और फिर कोई नया मुख्यमंत्री बने.

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हालांकि, अगर केजरीवाल इस्तीफा नहीं देते हैं तो दिल्ली में संवैधानिक संकट खड़ा होने का खतरा है. क्योंकि उनके जेल में रहने से सरकार के कामकाज में बाधा आ सकती है. इतना ही नहीं, अगर केजरीवाल पद से नहीं हटते हैं, तो उपराज्यपाल वीके सक्सेना दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश भी कर सकते हैं. आम आदमी पार्टी भी दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की आशंका जाहिर कर चुकी है.

लेकिन, अगर केजरीवाल अपने पद से इस्तीफा दे देते हैं और उनकी जगह कोई नया नेता मुख्यमंत्री बनता है तो इससे दिल्ली का संवैधानिक और राजनीतिक संकट भी खत्म हो जाएगा. हालांकि, अभी इसकी संभावना भी कम ही नजर आ रही है.

21 मार्च से जेल में हैं केजरीवाल

दिल्ली के कथित शराब घोटाले में ईडी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया था. इससे पहले ईडी ने उन्हें मामले में पूछताछ के लिए 9 समन जारी किए थे. हालांकि, केजरीवाल किसी भी समन पर पेश नहीं हुए. गिरफ्तारी के बाद लगभग 10 दिन तक केजरीवाल ईडी की कस्टडी में रहे थे. इसके बाद 1 अप्रैल को उन्हें अदालत ने 15 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. फिलहाल अरविंद केजरीवाल 15 अप्रैल तक तिहाड़ जेल में ही रहेंगे.

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