दिल्ली हाई कोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है. कोर्ट में सीबीआई का तर्क है कि एक्साइज पॉलिसी पर सीएम का हस्ताक्षर है. ऐसे में वह इस नीति के मुख्य सूत्रधार हैं. केंद्रीय एजेंसी ने कहा कि यह बिल्कुल सच है कि नीति पर 15 अन्य लोगों ने भी अपना साइन किया है.
एजेंसी ने कहा कि एलजी ने भी इस पर हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन उन्हें केस में सह-आरोपी नहीं बनाना चाहते. जांच एजेंसी ने कहा कि एक बार पैसा चले जाने के बाद उसका पता लगाना मुश्किल होता है लेकिन हमने पता लगा लिया. पैसा गोवा गया है, जहां विधानसभा चुनाव में प्रत्येक उम्मीदवारों को 90-90 लाख रुपये दिए जाने थे.
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केजरीवाल के बयान को सीबीआई ने बनाया आधार
एजेंसी ने केजरीवाल के उस कथित बयान के बारे में भी कोर्ट को जानकारी दी, जिसमें उन्होंने उम्मीदवारों से कहा था, "पैसे की चिंता मत करो, चुनाव लड़ो." एजेंसी ने कहा कि इससे ज्यादा प्रत्यक्ष सबूत नहीं हो सकते. सीबीआई का कहना है कि अपराध की गंभीरता को देखते हुए आरोपपत्र दाखिल होने पर भी जमानत नहीं दी जानी चाहिए. सीबीआई ने दलील दी की, इससे गवाहों को प्रभावित किया जा सकता है.
हाई कोर्ट में सीएम केजरीवाल की दलील
अरविंद केजरीवाल की तरफ से कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने आरोप लगाया कि जून महीने में सीएम की गिरफ्तारी इसलिए सुनिश्चित की गई, क्यों ईडी केस में उन्हें जमानत मिल गई थी. उन्होंने कहा कि कोई पूछताछ नहीं हुई, सिर्फ 3 दिन की रिमांड मिली और किसी तरह की कोई बरामदगी नहीं हुई.
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अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अगर गिरफ्तारी के प्रावधानों का पालन नहीं किया जाता है, तो अदालत ने जो कहा है, वही होगा. मसलन, अगर ऐसा होता है तो कोर्ट का आदेश है कि आरोपी को जमानत दिया जा सकता है और इस केस में आरोपी को जमानत का अधिकार है.
सीबीआई के तर्क पर वकील सिंघवी ने कहा कि वह सीएम हैं और वे अंगड़िया के साथ हुई बातचीत का जिक्र कर रहे हैं और इसमें एक्साइज पॉलिसी वाली कोई बात ही नहीं है. उन्होंने एजेंसी से कहा कि दो साल लंबे इस केस में कोई ऐसा बयान पेश करे जो कि अफवाह न हो.