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आर्य समाज मंदिर में होने वाली शादियों पर क्यों उठे हैं सवाल, SC पहुंचा मामला

Arya Samaj Mandir Marriage: आर्य समाज के मंदिरों में होने वाली शादियों का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. मामला मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के उस आदेश के बाद सुप्रीम कोर्ट गया है, जिसमें हाईकोर्ट ने आर्य समाज सभा को स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधान लागू करने को कहा था.

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आर्य समाज के मंदिरों में 1937 से शादी हो रही है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
आर्य समाज के मंदिरों में 1937 से शादी हो रही है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • आर्य समाज मंदिर में शादी का मामला SC पहुंचा
  • SC ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई

Arya Samaj Mandir Marriage: क्या आर्य समाज मंदिरों में होने वाली शादियों को स्पेशल मैरिज एक्ट का पालन करना होगा? इस पर अब सुप्रीम कोर्ट फैसला लेगा.

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आर्य समाज मंदिर में होने वाली शादियों का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया. सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के उस फैसले पर भी रोक लगा दी है, जिसमें आर्य समाज मंदिरों को शादी कराते समय स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधानों को लागू करने का आदेश दिया गया था. 

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पिछले साल 17 दिसंबर को एक आदेश जारी किया था. इसमें हाईकोर्ट ने मध्य भारत आर्य प्रतिनिधि सभा को स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954 के प्रावधानों को लागू करने को कहा था. हाईकोर्ट के इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, जिस पर जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की बेंच ने रोक लगा दी. 

क्या है पूरा मामला?

- एक दंपति ने सुरक्षा की मांग करते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर की. दंपति का दावा था कि उसने आर्य समाज के मंदिर में शादी की है. हालांकि, सभा का कहना था कि उस दंपति ने यहां शादी नहीं की.

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- दंपति की याचिका पर 9 दिसंबर 2020 को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने आदेश पास किया. हाईकोर्ट ने आर्य समाज सभा को शादी की गाइडलाइन में स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधानों को भी लागू करने का आदेश दिया. 

- इस फैसले को आगे चुनौती दी गई, जिस पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी. लेकिन 17 दिसंबर 2021 को हाईकोर्ट ने 9 दिसंबर 2020 के फैसले को बरकरार रखा और आर्य समाज सभा को स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधानों को भी लागू करने को कहा. 

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तो विवाद कहां पर है?

- हाईकोर्ट का आदेश था कि आर्य समाज मंदिर में होने वाली शादियों में स्पेशल मैरिज एक्ट की धारा 5, 6, 7 और 8 को लागू किया जाए. स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधान लागू होने के बाद शादी से पहले नोटिस जारी करना जरूरी है.

- जबकि, आर्य समाज सभा ने पहले ही अपने मंदिरों में शादी को लेकर गाइडलाइन बना रखी थी. इसमें हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के प्रावधान लागू हैं. सभा ने मंदिरों को निर्देश देकर रखा है कि शादी से पहले कपल की उम्र और सहमति से जुड़े सारे दस्तावेज मांग लिए जाएं.

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- आर्य समाज सभा नहीं चाहती कि उसके यहां स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधान लागू हों. आर्य समाज की दलील है कि 1937 में मंदिरों में शादियां हो रहीं हैं. इन शादियों को आर्य मैरिज वैलिडेशन एक्ट और हिंदू मैरिज एक्ट के तहत रेगुलेट किया जाता है. 

- आर्य समाज मंदिर में शादी करने के लिए लड़का-लड़की दोनों का हिंदू होना जरूरी नहीं है. कोई एक पक्ष भी अगर हिंदू है तो वो यहां शादी कर सकता है. शादी के बाद आर्य समाज सभा ही मैरिज सर्टिफिकेट भी जारी कर देता है. 

- वहीं, स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधानों के अनुसार, शादी रजिस्टर करने से पहले संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया जाता है, उस नोटिस पर आपत्तियां ली जाती हैं और सबकुछ सही होने के बाद ही मैरिज सर्टिफिकेट जारी किया जाता है. 

- आर्य समाज सभा का कहना है कि स्पेशल मैरिज एक्ट और आर्य मैरिज एक्ट में शादी कराने की प्रक्रिया पूरी तरह अलग है. सभा का तर्क है कि यहां के मंदिरों में तब से शादियां कराई जा रहीं हैं, जब स्पेशल मैरिज एक्ट और हिंदू पर्सनल लॉ जैसे कानून भी नहीं बने थे. 

क्या है स्पेशल मैरिज एक्ट?

- भारत में शादियों और तलाक से जुड़े मामले अलग-अलग धर्मों के पर्सनल लॉ के हिसाब से चलते हैं. जैसे- हिंदू पर्सनल लॉ, मुस्लिम पर्सनल लॉ. लेकिन इसके तहत सिर्फ एक ही धर्म के लोगों की शादी हो सकती है. लेकिन जब दो अलग-अलग धर्मों के लोग शादी करना चाहते हैं तो ऐसे मामलों में क्या होगा? इसके लिए 1954 में स्पेशल मैरिज एक्ट बनाया गया था.

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- स्पेशल मैरिज एक्ट में भारत के हर नागरिक को ये संवैधानिक अधिकार दिया गया है को वो जिस धर्म या जाति में चाहे, वहां शादी कर सकता है. इस कानून के तहत दो अलग-अलग धर्मों या अलग-अलग जातियों के वयस्क शादी कर सकते हैं. 

- भारत में शादी के बाद उसे रजिस्टर कराना भी जरूरी होता है. अलग-अलग धर्मों के अपने अलग-अलग पर्सनल लॉ हैं, जो सिर्फ उन धर्मों को मानने वालों पर लागू होता है. लेकिन स्पेशल मैरिज एक्ट सभी पर लागू होता है. इसके तहत शादी रजिस्टर कराने के लिए धर्म बदलने की जरूरत नहीं होती. 

30 दिन पहले नोटिस देना भी जरूरी

स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी रजिस्टर कराने के लिए एक नोटिस भी जारी होता है. दरअसल, होता ये है कि स्पेशल मैरिज एक्ट में लोग खुद मैरिज रजिस्ट्रार के पास जाते हैं और अपनी शादी रजिस्टर करवाते हैं. लेकिन ये शादी मर्जी से हुई है या नहीं, किसी को पता है या नहीं, इसलिए शादी रजिस्टर करने से 30 दिन पहले एक नोटिस जारी किया जाता है. इसे पब्लिक किया जाता है. इसमें बताया जाता है कि ये दो लोग शादी कर रहे हैं, अगर किसी कोई आपत्ति हो तो वो दर्ज करा सकता है. अब आर्य समाज के मंदिरों में होने वाली शादी का मसला ये फंस रहा है कि यहां ऐसा कोई नोटिस जारी नहीं किया जाता है. आर्य समाज शादी का सर्टिफिकेट भी जारी कर देता है.

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