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नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) को लेकर AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक तरफ दावा करते हैं कि NRC पर अभी बात नहीं हुई है, लेकिन अदालत में केंद्रीय गृह मंत्रालय कहता है ये जरूरी है.
हैदराबाद सांसद ने सोमवार को ट्वीट किया, उन्होंने लिखा कि सरकार ने कहा था कि NPR-NRC के लिए कागजातों की जरूरत नहीं पड़ेगी, लेकिन अब NPR का मैन्युअल कह रहा है कि डॉक्यूमेंट मांगा जाएगा. 2019 का एनपीआर प्री-टेस्ट सिर्फ एक सवाल उठाता है जो सिटिजनशिप से जुड़ा है.
असदुद्दीन ओवैसी ने लिखा कि पीएम मोदी ने कहा था कि NRC पर चर्चा नहीं हो रही है, लेकिन गृह मंत्रालय अदालत में इसे जरूरी बता रहा है. ओवैसी ने कहा कि NPR-NRC सिर्फ लोगों पर एक बोझ है, जिसका कोई फायदा नहीं होना है.
AIMIM प्रमुख ने कहा कि अगर एनपीआर शुरू हुआ तो फिर से हमारा आंदोलन शुरू होगा. राज्य सरकारों को भी इसपर अपना स्टैंड साफ करना चाहिए. हर किसी को CAA, NPR और NRC का विरोध करना चाहिए.
दरअसल, असदुद्दीन ओवैसी ने अंग्रेजी अखबार द हिन्दू की एक खबर को रिट्वीट किया है, जिसमें दावा किया गया है कि अगले महीने से जो जनगणना की प्रक्रिया शुरू होनी है, उसमें NPR का फॉर्म ऑनलाइन भरने का ऑप्शन दिया जाएगा. जब कोई भी व्यक्ति इसे ऑनलाइन भरेगा, तो उनके पास एक कोड आएगा.
खबर में दावा किया गया है कि इस कोड को जनगणना करने आए अफसर को देना होगा, जो कि जनगणना के वक्त काम आएगा. बता दें कि पहले जनगणना का काम 1 अप्रैल, 2020 से शुरू होना था लेकिन कोरोना काल के कारण ये टल गया. इस बार जनगणना पूर्ण रूप से डिजिटल तरीके से की जाएगी.
आपको बता दें कि नागरिकता संशोधन एक्ट (CAA), नेशनल रजिस्टर फॉर सिटिजन (NRC) और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) को लेकर लंबे वक्त से विवाद चल रहा है. केंद्र सरकार के इन एक्शन को लेकर साल 2019 में लंबा आंदोलन भी चला था, जो कोरोना काल में दब गया था. केंद्र द्वारा CAA का कानून पास हो गया है, हालांकि कोरोना काल के कारण इसपर आगे काम नहीं बढ़ पाया था.