बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह को गुरुवार सुबह बिहार की सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया. गोपालगंज के डीएम रहे डीएम जी कृष्णैया की हत्या के मामले आजीवन कारावास की सजा काट रहे आनंद मोहन की रिहाई को लेकर सियासी घमासान छिड़ा हुआ है. एआईएमआईएम के मुखिया और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने आनंद मोहन की रिहाई को लेकर बिहार सरकार पर जमकर हमला किया है. ओवैसी ने कहा कि अब कौन आईएएस गरीब के लिए काम करेगा.
मीडिया से बात करते हुए ओवैसी ने कहा, 'सरकार के इस फैसले के बाद बिहार में डीएम कृष्णैया की दोबारा हत्या हुई है. इससे इंसाफ कमजोर होता है. किसी भी सरकार ने कृष्णैया के परिवार की मदद नहीं की. वह एक दलित था. आज एक दलित डीएम की पत्नी अकेले अपने लिए न्याय की गुहार लगा रही है. किस समाजिक न्याय की बात करती है आरजेडी? ये बहुत गलत फैसला है, हमारी पार्टी इसके खिलाफ हैं. हमारी मांग है कि बिहार सरकार इस कानूनी संशोधन को वापस ले. आप क्या मैसेज दे रहे हैं, अपने सियासी फायदे के लिए ऐसा करेंगे तो फिर कमजोर तबकों को कैसे न्याय मिलेगा?'
ओवैसी ने कहा, 'पूरे देश को इस बात समझने की जरूरत है कि जब डीएम कृष्णैया साहब की गोली मारकर हत्या की थी तब उनकी पत्नी की उम्र 30 साल थी, सोचिए उस महिला ने कितनी मुश्किलें उठाई होगीं. उसकी दो बेटियों ने कितनी मुश्किलें झेली होंगी. उसका कसूर क्या था. मरने वाला दलित हो या मुस्लिम, इसका सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ता है. नीतीश कुमार खुद को पीएम का कैंडिडेट बताकर पूरे देश में घूम रहे हैं लेकिन आप दलित जनता को क्या मैसेज देंगे. पहले बीजेपी सरकार ने बिलकिस के साथ रेप करने वालों को रिहा किया था अब बिहार सरकार ने एक और दोषी को रिहा कर दिया है. ये कौन सा सामाजिक न्याय है? आप इसके जरिए बिहार के आईएस ऑफिसर को क्या मैसेज दे रहे हैं.'
ओवैसी ने कहा, 'मैं इस मामले में कृष्णैया के परिवार के साथ हूं. मैं मांग कर रहा हूं कि नीतीश कुमार और सरकार ने अचानक बदलाव क्यों किया. यह गलत संदेश दिया जा रहा है. हम मांग करते हैं कि बिहार सरकार अपना स्टैंड वापस ले. आपकी नजर में (नीतीश कुमार सरकार) आप गरीबों के साथ हैं, लेकिन आप ताकतवरों के साथ हैं.'
दरअसल 4 दिसंबर 1994 को उत्तरी बिहार के एक कुख्यात गैंगस्टर छोटन शुक्ला की हत्या कर दी गई थी. शुक्ला को केसरिया विधानसभा सीट से आनंद मोहन ने अपना कैंडिडेट तय कर रखा था. इस हत्याकांड के बाद मुजफ्फरपुर में तनाव फैल गया और लोगों में में भयंकर आक्रोश भड़क गया.5 दिसंबर को हजारों लोगों ने छुट्टन शुक्ला का शव लेकर सड़क पर प्रदर्शन किया. इसी दौरान गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया एक बैठक में शामिल होने के बाद लौट रहे थे. जैसे ही उनकी कार प्रदर्शनकारियों के नजदीक पहुंची तो लोग भड़क गए और कार पर पथराव शुरू कर दिया.भीड़ ने उन्हें कार से खींच लिया और पीट-पीटकर हत्या कर दी. तब आरोप लगा कि आनंद मोहन ने ही भीड़ को उकसाया और कोर्ट में यह आरोप सिद्ध भी हो गया तथा 2007 में आनंद मोहन को फांसी की सजा सुनाई गई. हालांकि 2008 में कोर्ट ने इस सजा को उम्र कैद में बदल दिया.
जेल में रहने के दौरान कई बार पैरोल पर जेल से बाहर आ चुके आनंद मोहन की रिहाई के लिए नीतीश कुमार सरकार ने जेल मॉडयूल में ऐसा बदलाव किया जिससे उन्हें आज रिहाई मिल गई. आनंद मोहन समेत 27 बंदियों को बिहार सरकार कारा अधिनियम में बदलाव करके जेल से रिहा करने जा रही है. बिहार सरकार ने कारा हस्तक 2012 के नियम 481 आई में संशोधन किया है. इसके तहत ड्यूटी के दौरान सरकारी सेवक की हत्या को अब अपवाद की श्रेणी से हटा दिया गया है. कारा अधिनियम में बदलाव करते ही बिहार सरकार ने आनंद मोहन समेत 27 कैदियों की रिहाई करने की अधिसूचना भी जारी कर दी और सबसे पहले आनंद मोहन को रिहा किया गया.