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'बाबरी मस्जिद के रास्ते पर जा रहा ज्ञानवापी केस, वर्शिप एक्ट का मकसद फेल', कोर्ट ऑर्डर पर बोले असदुद्दीन ओवैसी

ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी केस में वाराणसी की जिला अदालत ने अपना फैसला हिंदू पक्ष के हक में दिया. कोर्ट ने मामले को सुनवाई योग्य माना. इस कोर्ट ऑर्डर पर असदुद्दीन ओवैसी का बयान आया है. वह बोले कि इस फैसले से वर्शिप एक्ट का मकसद फेल होता दिख रहा है.

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AIMIM पार्टी के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी
AIMIM पार्टी के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी

ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर आए जिला कोर्ट के आदेश पर असदुद्दीन ओवैसी का बयान आया है. उन्होंने वाराणसी कोर्ट के आदेश पर चिंता जताते हुए कहा कि इस तरह के फैसले से 1991 के वर्शिप एक्ट का मतलब ही खत्म हो जाता है. ओवैसी बोले कि ज्ञानवापी मस्जिद का केस बाबरी मस्जिद के रास्ते पर जाता दिख रहा है और ऐसे तो देश में 80-90 के दशक में वापस चला जाएगा.

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AIMIM पार्टी के मुखिया ओवैसी ने यह भी कहा कि जिला कोर्ट के फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष को हाईकोर्ट में अपील करनी चाहिए.

बता दें कि ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी केस में वाराणसी की जिला अदालत ने सोमवार को अपना फैसला सुनाया. जिजा जज एके विश्वेश ने अपना फैसला हिंदू पक्ष के हक में दिया. कोर्ट ने माना कि हिंदू पक्ष की याचिका सुनने के लायक है. वहीं अदालत ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसकी दलील थी कि ज्ञानवापी पर 1991 का वर्शिप एक्ट लागू होता है. यानी ज्ञानवापी के स्वरूप से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है. कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया है.

असदुद्दीन ओवैसी ने क्या कहा?

ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी केस पर आए जिला कोर्ट के फैसले पर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि जो ऑर्डर आया है उससे देश में बहुत सी चीजें शुरू हो जाएंगी. हर कोई कोर्ट में जाकर यह कहेगा कि 15 अगस्त 1947 से पहले से हम यहां पर थे. ऐसे में 1991, वर्शिप एक्ट का मकसद ही फेल हो जाता है.

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ओवैसी ने कहा कि वर्शिप एक्ट इसलिए लाया गया था कि इस तरह के विवाद हमेशा के लिए खत्म हो जाएं. लेकिन अब कोर्ट के ऑर्डर से लगता है कि हम 80-90 के दशक में वापस जा रहे हैं. जो कि ठीक नहीं होगा. ओवैसी यह भी बोले कि ज्ञानवापी केस बाबरी मस्जिद की दिशा में जाता दिख रहा है.

ओवैसी ने आगे कहा कि जिला कोर्ट का फैसला अस्थिरता पैदा करेगा. जब बाबरी मस्जिद पर फैसला आया था, तब भी मैंने चेताया था कि इससे देश के लिए दिक्कतें पैदा होंगी. क्योंकि फैसला आस्था के हिसाब से दिया गया था.

 

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