सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने के फैसले को वैध करार देते हुए इसे बरकरार रखा है. अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के फैसले के खिलाफ याचिकाकर्ताओं के एक समूह ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था और दलील दी थी कि राष्ट्रपति शासन के दौरान केंद्र सरकार राज्य विधानसभा की तरफ से इतना अहम फैसला नहीं ले सकती है. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने सर्वसम्मति से अनुच्छेद-370 को रद्द करने की संवैधानिकता के पक्ष में फैसला सुनाया.
इस मुद्दे पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि आज जो फैसला आया हम उससे संतुष्ट नहीं हैं. उन्होंने कहा, 'यह सच है कि जम्मू-कश्मीर हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है. लेकिन यूनियन से उसका जो रिश्ता रहा है उसको तो आप नजरअंदाज नहीं कर सकेंगे. किसी सेमीनार में भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा था, सार्वजनिक विचार-विमर्श उन लोगों के लिए हमेशा खतरा रहेगा जो इसके अभाव में सत्ता हासिल करते हैं. अब सवाल यह है कि जब आप पूरे राज्य में कर्फ्यू लगाकर अनुच्छेद 370 को निरस्त कर रहे हैं, 356 लगा दिया आपने, इलेक्टेड असेंबली नहीं है तो फिर कश्मीर में विचार-विमर्श किसने किया जरा बताइए हमको'.
'अनुच्छेद 370 को निरस्त करना संवैधानिक नैतिकता का उल्लंघन'
आवैसी ने कहा कि फेडरलिज्म भारत के लोकतंत्र का अहम हिस्सा है. अब विधानसभा के लिए संसद कैसे काम कर सकती है? उन्होंने कहा, 'जो रेजोल्यूशन जम्मू-कश्मीर असेंबली को पारित करना था उसे संसद कैसे पारित कर सकती है. मेरी नजर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करना संवैधानिक नैतिकता का उल्लंघन है. राज्य का दो हिस्सों में बंटवारा हुआ, उसे पूर्ण राज्य से केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया, यह तो बहुत बड़ा धोखा है. अब सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले की वैधता पर मुहर लगा दी है. तो कल भाजपा को कोई नहीं रोक सकेगा चेन्नई, कोलकाता, हैदराबाद और मुंबई को यूटी बनाने के लिए. और भविष्य में इसका सबसे बड़ा नुकसान जम्मू-कश्मीर के डोगरा को और लद्दाख में बौद्ध धर्म के अनुयायियों को होगा'.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जम्मू-कश्मीर की भारत से अलग संप्रभुता नहीं
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, 'राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य की ओर से लिए गए केंद्र के फैसले को चुनौती नहीं दी जा सकती है. अनुच्छेद 370 युद्ध जैसी स्थिति में एक अंतरिम प्रावधान था. इसके टेक्स्ट को देखें तो भी पता चलता है कि यह अस्थायी प्रावधान था. सुप्रीम कोर्ट संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के लिए आदेश जारी करने की राष्ट्रपति की शक्ति और लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने के फैसले को वैध मानता है.' सीजेआई ने अपनी टिप्पणी में कहा कि जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और यहां भारत का संविधान लागू होता है. इसकी भारत से अलग कोई संप्रभुता नहीं है.
अनुच्छेद-370 हमारी राजनीतिक आकांक्षाओं का हिस्सा रहेगा: लोन
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला 'निराशाजनक' है. उन्होंने कहा कि एक बार फिर जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ अन्याय हुआ है. अनुच्छेद 370 भले ही कानूनी तौर पर खत्म हो गया हो, लेकिन यह हमेशा हमारी राजनीतिक आकांक्षाओं का हिस्सा रहेगा. अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगले साल 30 सितंबर तक केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव कराने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाए.