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आसाराम ने गांधीनगर सेशन कोर्ट के फैसले को गुजरात HC में दी चुनौती, कहा- सजा रोकें, तबियत ठीक नहीं है

इसी साल फरवरी में गांधीनगर सत्र अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि अपराध की प्रकृति को देखते हुए आसाराम सहानुभूति के पात्र नहीं हैं. उनकी उम्र और खराब स्वास्थ्य के आधार पर बचाव को वैध नहीं माना जा सकता है.

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आसाराम (फाइल फोटो)
आसाराम (फाइल फोटो)

रेप के मामले में सजा काट रहे आसाराम ने गांधीनगर सेसन्स कोर्ट के फैसले को गुजरात हाईकोर्ट में दी चुनौती. आसाराम ने कहा की उनकी सजा पर रोक लगायी जाए, क्योंकि उनकी तबियत ठीक नहीं है. इस मामले में आने वाले दिनों में सुनवाई होगी. आसाराम को गांधीनगर सेशन्स कोर्ट के जरिए उम्रकैद की सजा सुनायी गयी थी. आसाराम पर अपनी साधिका से बलात्कार के आरोप में सजा सुनायी गयी थी. 

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दरअसल फरवरी में गांधीनगर सत्र अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि अपराध की प्रकृति को देखते हुए आसाराम सहानुभूति के पात्र नहीं हैं. उनकी उम्र और खराब स्वास्थ्य के आधार पर बचाव को वैध नहीं माना जा सकता है. जस्टिस ने अपने आदेश में कहा, "समाज के धार्मिक लोगों के शोषण को रोकने के लिए इस तरह के जघन्य अपराध के दोषियों को बख्शा नहीं जा सकता है और उन्हें कानून द्वारा निर्धारित पूरी सीमा तक दंडित किया जाना चाहिए."

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि आसाराम ने अपनी बेटी से भी कम उम्र की पीड़िता का यौन शोषण किया और ऐसा अपराध किया जिसे हल्के में नहीं लिया जा सकता. अदालत ने कहा, "यह न केवल समाज की बल्कि अदालत की भी नैतिक जिम्मेदारी बन जाती है कि वह एक उदाहरण पेश करे और इस तरह के व्यवहार को रोके.

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महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की हम सभी की साझा जिम्मेदारी है." अदालत ने यह भी कहा कि हमारे समाज में एक धार्मिक नेता को एक ऐसा व्यक्ति माना जाता है जो ईश्वर के प्रति प्रेम पैदा करता है और हमें भक्ति, धर्म और 'सत्संग' (प्रवचन) के माध्यम से ईश्वर तक ले जाता है. कोर्ट ने कहा, "शास्त्रों में भी कहा गया है कि जहां महिलाओं को सम्मान दिया जाता है वहां देवता निवास करते हैं. यदि हम महिलाओं को सम्मान देते हैं तो हम निश्चित रूप से पुरुषों के प्रति उनके दृष्टिकोण को बदल सकते हैं."

 

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