राजस्थान (Rajasthan) के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के पूर्व ओएसडी लोकेश शर्मा, 2020 में सूबे के अंदर राजनीतिक संकट के दौरान हुए फोन टैपिंग मामले में सरकारी गवाह बन गए हैं. मार्च 2021 में, दिल्ली पुलिस ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की शिकायत पर आपराधिक साजिश, आपराधिक विश्वासघात और गैरकानूनी रूप से टेलीफोन पर बातचीत को बाधित करने के आरोप में शर्मा के खिलाफ FIR दर्ज की और मामले के संबंध में उनसे कई बार पूछताछ की गई.
लोकेश शर्मा ने पिछले हफ्ते दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट परिसर में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में एक आवेदन दिया था, जिसे सोमवार को अदालत ने स्वीकार कर लिया. इसके बाद शर्मा ने कहा कि वह अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं, उन्हें लगातार धमकियां मिल रही हैं.
क्राइम ब्रांच कर रही जांच
लोकेश शर्मा के वकील रोहन वाधवा ने कहा, "मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किए गए इकबालिया बयान और क्राइम ब्रांच की तरफ से कोई आपत्ति न मिलने के बाद शर्मा को माफी दे दी गई और अब वह सरकारी गवाह बन गए हैं." उन्होंने कहा कि आवेदन में किसी भी नाम को आरोपी के तौर पर नहीं दिया गया है, क्योंकि मामले की जांच क्राइम ब्रांच कर रही है.
रोहन वाधवा ने कहा कि लोकेश शर्मा को क्षमादान तब दिया गया, जब कोर्ट उनके बयान से इस नतीजे पर पहुंची कि साजिश में अन्य लोग भी शामिल थे. उन्होंने एजेंसी को बताया कि उन व्यक्तियों को आपराधिक न्याय प्रणाली के दायरे में लाने के लिए अदालत का मानना था कि लोकेश शर्मा को क्षमादान देना जरूरी है, जिससे मूल्यवान साक्ष्य प्राप्त किए जा सकें."
लोकेश शर्मा के वकील रोहन वाधवा ने कहा, "जांच पूरी करने के बाद जांच एजेंसी आरोपपत्र दाखिल करेगी और मुकदमे के दौरान शर्मा को गवाह माना जाएगा."
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अशोक गहलोत पर क्या आरोप?
लोकेश शर्मा, गहलोत पर फोन टैपिंग में शामिल होने का आरोप लगाते रहे हैं और अपने दावे के समर्थन में उन्होंने पहले भी क्राइम ब्रांच को सबूत दिए हैं. उन्होंने सात पन्नों का लिखित बयान भी पेश किया था, जिसमें 16 जुलाई, 2020 की घटनाओं का क्रम बताया गया था, जब कथित तौर पर उन्हें मीडिया में प्रसारित करने के लिए तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत से कॉल रिकॉर्डिंग वाली एक पेन ड्राइव मिली थी.
लोकश शर्मा ने कहा कि जब से उन्होंने यह खुलासा किया है, उन्हें धमकियां मिल रही हैं. उन्होंने कहा, "मैं अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतित हूं."
लोकेश शर्मा ने इस साल अप्रैल में सार्वजनिक रूप से आरोप लगाया था कि 2020 में राजस्थान में कांग्रेस सरकार को "गिराने" के बारे में केंद्रीय मंत्री शेखावत और कुछ कांग्रेस नेताओं के बीच कथित टेलीफोन पर हुई बातचीत का एक ऑडियो क्लिप उन्हें खुद पूर्व मुख्यमंत्री ने दिया था.
उन्होंने कहा, "मैंने कहा है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री ने मुझे सीएम हाउस बुलाया था और एक पेन ड्राइव दी थी. उन्होंने मुझे पेनड्राइव के कंटेंट को अखबारों के लिए देने को कहा था. मैं घर गया, पेन ड्राइव से फाइलें अपने लैपटॉप में और लैपटॉप से अपने फोन में ट्रांसफर कीं, फिर उन्हें मीडिया हाउस में प्रसारित किया."
लोकेश शर्मा ने दावा किया कि राजनीतिक संकट के दौरान गहलोत के निर्देश पर अशोक गहलोत और उनके तत्कालीन डिप्टी सीएम सचिन पायलट के खेमे के कई कांग्रेस विधायकों के फोन इंटरसेप्ट किए गए थे और वह (गहलोत) हर कॉल की ट्रांसक्रिप्शन लेते थे.
उन्होंने बताया कि तत्कालीन मुख्य सचिव, डीजीपी, गृह सचिव और मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव सभी को फोन टैप किए जाने की जानकारी थी.
सूबे में 2020 का राजनीतिक संकट सचिन पायलट और 18 अन्य कांग्रेस नेताओं द्वारा गहलोत नेतृत्व के खिलाफ बगावत का परिणाम था. संकट के दौरान, शेखावत और कांग्रेस नेताओं के बीच कथित टेलीफोन पर बातचीत की क्लिप सामने आई थी, जिसके बाद गहलोत ने दावा किया था कि शेखावत तख्तापलट की कोशिश के पीछे थे.