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असम: बारपेटा में नर्स की गलती से बिछड़ा नवजात, DNA टेस्ट से हुई पहचान, कोर्ट ने मां से 3 साल बाद मिलाया

सरकारी अस्पताल में साल 2019 में नजमा खान नाम की दो गर्भवती महिलाएं अस्पताल में भर्ती हुईं थीं. इनमें से एक का बच्चा मृत पैदा हुआ था, लेकिन नर्स ने गलती से जिंदा बच्चा दूसरी महिला को दे दिया.

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फाइल फोटो
फाइल फोटो
स्टोरी हाइलाइट्स
  • असम में मां से 2019 में बिछड़ा था नवजात
  • नर्स की गलती की वजह से मां से दूर हुआ बच्चा

असम के बारपेटा जिले में मां-बाप को उनका बेटा तीन साल बाद मिला है. जिले की एक अदालत ने डीएनए टेस्ट के बाद बच्चे के असली मां-बाप से मिला दिया. जन्म के तुरंत बाद मां से बच्चा अलग हो गया था. दरअसल सरकारी अस्पताल में नजमा खानम नाम की दो गर्भवती महिलाओं को एक साथ भर्ती कराया गया था. दोनों का एक ही नाम था, इसलिए नर्स से गलती हो गई थी. 

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सरकारी अस्पताल में साल 2019 में नजमा खान नाम की दो गर्भवती महिलाएं अस्पताल में भर्ती हुईं थीं. इनमें से एक का बच्चा मृत पैदा हुआ था, लेकिन नर्स ने गलती से जिंदा बच्चा दूसरी महिला को दे दिया. जिसके बाद बच्चे के असली मां-पिता ने पुलिस से संपर्क किया. जिला कोर्ट ने डीएनए जांच के बाद इस मामले को सुलझाया और शुक्रवार को तीन साल के बच्चे को उसकी असली मां नजमा खानम को सौंपने का आदेश दिया. 

एक ही नाम की दो महिलाओं की वजह से कन्फ्यूजन

खानम ने 3 मार्च, 2019 को यहां फखरुद्दीन अली अहमद मेडिकल कॉलेज में एक बच्चे को जन्म दिया था. डिलीवरी के बाद उसे आईसीयू में रखा गया था और नवजात को बेबी रूम में रखा गया. अगले दिन अस्पताल प्रशासन ने खानम के पति को जानकारी दी कि उनके बेटे की मृत्यु हो गई है. यह स्वीकार करने को तैयार नहीं कि उनका बेटा जन्म के समय स्वस्थ था, दंपति ने अस्पताल के खिलाफ बारपेटा सदर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराया था. 

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नर्स की गलती से बिछड़ा था नवजात

जांच के दौरान पुलिस ने पाया कि गोसाईगांव की एक नजमा खातून ने उसी दिन अपने नवजात शिशु को बहुत गंभीर हालत में उसी अस्पताल में भर्ती कराया था और उसी दिन उसकी मृत्यु हो गई थी. ड्यूटी पर तैनात नर्स ने दोनों शिशुओं को मिला दिया और मृत बच्चे को नजमा खानम के पति को सौंप दिया. नवजात के असली माता-पिता को अदालत के आदेश के अनुसार, डीएनए परीक्षण के माध्यम से निर्धारित किया गया, जिससे उसका वास्तविक परिवार के साथ पुनर्मिलन हुआ.
 

 

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