असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई का अंतिम संस्कार गुरुवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ गुवाहाटी के नाबाग्रह श्मशान घाट पर किया गया. अंतिम संस्कार के वक्त असम पुलिस द्वारा पूर्व सीएम को बंदूक की सलामी भी दी गई. राज्य के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले मुख्यमंत्री की चिता को उनके बेटे गौरव गोगोई ने मुखाग्नि दी.
एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक लोकसभा सांसद गौरव ने पारंपरिक 'चेलेन्ग सदर' (एक शॉल) और धोती के साथ एक फेस मास्क पहनकर पूजा-अर्चना के बाद चिता को अग्नि दी. गोगोई की पत्नी डॉली, बेटी चंद्रिमा, बहू एलिजाबेथ और परिवार के अन्य सदस्यों ने गौरव द्वारा अग्नि देने से पहले चिता पर चंदन लगाया.
बता दें कि तीन बार असम के मुख्यमंत्री, दो बार केंद्रीय मंत्री और छह बार लोकसभा सांसद रहे तरुण गोगोई का कोविड- 19 और फिर उससे जुड़ी दिक्कतों के साथ लगभग चार महीने की लड़ाई के बाद सोमवार को निधन हो गया था.
गोगोई का अंतिम संस्कार वैदिक अनुष्ठानों के अनुसार किया गया था और अहोम पुरोहितों द्वारा प्रार्थना भी की गई थी, जिन्हें ताई भाषा में बाइलुंग कहा जाता है. बता दें कि गोगोई भी उसी समुदाय के थे, जिन्होंने 600 वर्षों तक राज्य पर शासन किया था. इस दौरान सिख पुजारियों के एक समूह ने भी गुरु ग्रंथ साहिब के भजन सुनाए और दिवंगत नेता को श्मशान घाट पर शॉल भेंट की.
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मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, स्वास्थ्य मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता, विपक्षी दलों के नेता और पुलिस महानिदेशक भास्कर ज्योति महंता सहित अन्य लोग भी वहां मौजूद रहे. राज्य सरकार ने गुरुवार दोपहर 1 बजे से आधे दिन की छुट्टी की घोषणा की थी. इसके साथ ही कांग्रेस के दिग्गज नेता के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए 1,000 लोगों के लिए व्यवस्था भी की गई थी.
तरुण गोगोई के अंतिम दर्शन के लिए भारी भीड़ श्मशान घाट के बाहर और उस रास्ते से इकट्ठा हुई थी, जिस रास्ते से उनका काफिला गुजरा. जनता के लिए श्मशान घाट के बाहर बड़े-बड़े टेलीविजन स्क्रीन भी लगाए गए थे. लोगों की भीड़ के चलते कलाक्षेत्र से नाबाग्रह तक की 30 किलोमीटर की दूरी तय करने में काफिले को चार घंटे से ज्यादा का समय लग गया. इस दौरान कई लोग मोबाइल से वीडियो रिकॉर्डिंग और फूलों की बौछार करते भी दिखाई दिए.