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असम-मिजोरम विवाद के बाद केंद्र का फैसला, सैटेलाइट मैपिंग से तय होंगी पूर्वोत्तर राज्यों की सीमाएं

असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद को लेकर हुई हिंसक झड़प के बाद अब केंद्र ने सैटेलाइट इमेजिंग के जरिए पूर्वोत्तर राज्यों की सीमाएं तय करने का फैसला लिया है. सरकार से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि क्योंकि ये वैज्ञानिक तरीके से होगा, इसलिए इसमें गलती की गुंजाइश कम होगी.

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असम-मिजोरम सीमा पर 26 जुलाई को भड़की थी हिंसा (फाइल फोटो-PTI)
असम-मिजोरम सीमा पर 26 जुलाई को भड़की थी हिंसा (फाइल फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सैटेलाइट इमेजिंग से तय होंगी सीमाएं
  • NESAC को सौंपी गई जिम्मेदारी
  • सीमा विवाद का निकलेगा स्थायी हल

असम और मिजोरम सीमा पर (Assam-Mizoram Border Clash) हुए हालिया संघर्ष के बाद, केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) ने दो राज्यों के बीच सीमा विवादों को निपटाने के लिए सैटेलाइट इमेजिंग (Satellite Imaging) से पूर्वोत्तर राज्यों की सीमाएं तय करने का फैसला लिया है.

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सरकार से जुड़े सीनियर अधिकारियों के मुताबिक, इसकी जिम्मेदारी नॉर्थ-ईस्टर्न स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (NESAC) को दी गई है, जो डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस (DoS) और नॉर्थ-ईस्टर्न काउंसिल (NEC) की संयुक्त पहल है.

हाल ही में असम-मिजोरम सीमा (Assam-Mizoram Border) पर हुई हिंसक झड़प के बाद एक बार फिर से अंतर-राज्यीय सीमा विवाद (Inter-State Border Disputes) चर्चा में है. इस झड़प में असम पुलिस के 6 जवान शहीद हो गए थे, जबकि एक आम नागरिक की मौत हो गई थी.

ये भी पढ़ें-- असम-मिज़ोरम सहित 6 और राज्यों में चल रहा सीमा विवाद, MHA ने लोकसभा में दी जानकारी

सैटेलाइट इमेजिंग के जरिए सीमाएं तय करने का आइडिया कुछ महीने पहले गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने दिया था. अमित शाह ने सुझाव दिया था कि उत्तर पूर्वी इलाकों में सीमाएं तय करने का काम NESAC को सौंपा जा सकता है.

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सरकार से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि इस काम में NESAC को शामिल इसलिए किया गया है, क्योंकि इससे वैज्ञानिक तरीके से सीमाएं तय होंगी, जिससे कोई गलती होने की गुंजाइश कम है और राज्य भी इसे मान लेंगे. अधिकारियों का कहना है कि एक बार सैटेलाइट मैपिंग हो जाने के बाद पूर्वोत्तर राज्यों की सीमाएं खींची जा सकती हैं और विवादों को स्थायी रूप से सुलझाया जा सकता है.

शिलॉन्ग स्थित NESAC पूर्वोत्तर में पहले से ही बाढ़ प्रबंधन के लिए स्पेस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहा है. 

 

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