असम-मिजोरम बॉर्डर पर हिंसक झड़प के बाद माहौल तनावपूर्ण है. 17 अक्टूबर की रात को दो गुट आपस में भिड़ गए. इस दौरान आगजनी भी हुई. इस हिंसा में करीब आधा दर्जन लोग घायल हो गए हैं. इस मामले पर प्रधानमंत्री कार्यालय और केंद्रीय गृह मंत्रालय की नजर है और हर पल का अपडेट लिया जा रहा है. आइए जानते हैं विवाद की असली वजह क्या है-
दरअसल, मिजोरम 1972 तक असम का हिस्सा था. इसके बाद मिजोरम को एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया. 1987 में मिजोरम को पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया गया. असम के कछार, हैलाकांडी और करीमगंज जिले, मिजोरम के कोलासिब, ममित और आइज़ोल जिलों के साथ 164.6 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं.
असम और मिजोरम को अलग कर दिया गया था, लेकिन कई जिलों की सीमा को लेकर अक्सर विवाद होता रहता है. किसी गांव पर असम दावा करता है तो किसी गांव पर मिजोरम. दोनों राज्यों के बीच यह सीमा विवाद कई बार हिंसक रूप ले चुका है. 1994 के बाद से सीमा विवाद को सुलझाने की कोशिश हुई, जो अभी तक असफल रहे.
क्या है ताजा विवाद
असम और मिजोरम के बीच तनाव का ताजा दौर इस महीने की शुरुआत में शुरू हुआ था, जब असम के अधिकारियों ने करीमगंज-ममित सीमा पर एक फार्म हाउस और फसलों को जला दिया था. असम पुलिस का दावा था कि यह एक निष्कासन अभियान था.
रिपोर्ट्स के अनुसार, करीमगंज के पुलिस अधीक्षक मयंक कुमार ने कहा था कि उन्होंने (बाहरियों) हमारे वन भंडार पर अतिक्रमण कर लिया था और वहां खेती कर रहे थे, इसलिए उन्हें मौजूदा कानून के अनुसार बेदखल कर दिया गया.
करीमगंज के पुलिस अधीक्षक मयंक कुमार ने आरोप लगाया था कि मिजोरम ने अपनी पुलिस और मिजो आईआरबी (इंडिया रिजर्व बटालियन) को हमारे इलाके में भेज दिया है और यहां शिविर लगाया है. उनके पास एक बंकर है, जो अभी भी है और उनकी युद्ध जैसी उपस्थिति है.
मिजोरम के ममित जिले के डिप्टी कमिश्नर लालरोजामा ने पुलिस बंकर की बात को स्वीकार करते हुए कहा था कि यह मिजोरम क्षेत्र के भीतर है. उन्होंने कहा था कि हम अपनी जमीन की रक्षा कर रहे हैं. डिप्टी कमिश्नर लालरोजामा ने कहा था कि असम पुलिस का कथित निष्कासन अभियान वास्तव में एक घुसपैठ का प्रयास था.
इस बीच 17 अक्टूबर को असम और मिजोरम बॉर्डर पर दो गुट आमने-सामने आ गए, जिसको लेकर सबके अपने-अपने दावे हैं. मिजोरम जिले के अधिकारियों और जातीय संगठनों ने आरोप लगाया है कि दोपहर के समय कछार के कुछ निवासियों ने असम के पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में मिजोरम पुलिस चौकी पर हमला किया.
इसके बाद 17 अक्टूबर की शाम को मिजोरम के कोलासिब जिले के एक कस्बे वैरेंगटे में हिंसा हुई, जहां कथित तौर पर चौकी में तोड़फोड़ की गई. मिजोरम के एक अधिकारी ने दावा किया कि असम से स्थानीय लोग मिजोरम की तरफ आ रहे थे और हमारे पुलिस कर्मियों ने उन्हें सीमा पर रोकने की कोशिश की, लेकिन वह असफल हुए. इसके बाद आगजनी हुई.
वहीं, असम के कछार जिला प्रशासन ने मिजोरम के दावों का खंडन किया है. कछार के पुलिस अधीक्षक भंवर लाल मीणा ने कहा कि कुछ मिजो लोग असम क्षेत्र के अंदर आए और सड़क के किनारे कुछ अस्थायी दुकानों को जला दिया. असम की ओर से कोई आक्रामकता नहीं थी, जो कुछ हुआ वह दूसरी तरफ से था.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, मिजोरम में एक शक्तिशाली छात्र संगठन मिज़ो ज़िरलाई पावल ने कुछ दुकानों को आग लगाने की बात स्वीकार की, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि वे मिजोरम में थे और अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों द्वारा स्थापित किया गया था. छात्र संगठन का कहना है कि अवैध बांग्लादेशियों ने मिजोरम में प्रवेश किया और वैरेंग्टे टैक्सी स्टैंड के पास दुकानें बना ली थीं.
असम के सीएम ने पीएमओ से की बात
असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने रविवार रात को असम-मिजोरम बॉर्डर की स्थिति की रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय और केंद्रीय गृह मंत्रालय को दी है. इसके साथ ही सोनोवाल ने मिजोरम के सीएम जोरामथांगा से भी बात की है और मामले का हल निकालने की पेशकश की है. उन्होंने शांति व्यवस्था बनाए रखने की भी अपील की है.
'अवैध बांग्लादेशियों से कर रहे हैं मिजोरम की सुरक्षा'
वैरेंग्टे में मौजूद मिजोरम के एमएनएफ विधायक लाल्रिंटलुंगा सेलो ने कहा कि उनके राज्य की असम या उसके लोगों से दुश्मनी नहीं है. वे अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों से अपने क्षेत्र की रक्षा कर रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि असम-मिजोरम सीमा पर रहने वाले 80 प्रतिशत से अधिक लोग अवैध बांग्लादेशी अप्रवासी हैं.