असम और मिजोरम की सीमा पर हुए हिंसक संघर्ष ने अब राजनीतिक रूप ले लिया है. सोशल मीडिया पर आरोप-प्रत्यारोप के बाद अब असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने साजिश वाले एंगल को हवा दे दी है. उनकी तरफ से जोर देकर कहा गया है कि इस हिंसा के जरिए असम की छवि को खराब करने का प्रयास हुआ है. उन्होंने इस मामले में जांच करवाने की बात कह दी है.
असम सरकार को दिखा साजिश वाला एंगल
असम सरकार के मुताबिक मिजोरम संग हुए विवाद के समय और उससे पहले सोशल मीडिया पर कई तरह के ट्वीट्स को वायरल करवाया गया था. उन ट्वीट के जरिए ही माहौल को खराब किया गया और असम की छवि को बदनाम करने की कोशिश हुई.
अभी के लिए असम सरकार की एजेंसियों के मुताबिक सोशल मीडिया पर असम को बदनाम करने वाले ट्वीट अधिकतर फर्जी लोगों (बोट्स) के थे जो इसी काम के लिए बनाए गए थे. प्राथमिक जांच के मुताबिक लगभग 2000 फेक अकाउंट से ट्वीट कर असम के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश हुई थी. इनमें 60 फीसदी से अधिक ट्वीट अमेरिका में बने थे.
सीएम हिमंता ने क्या कहा है?
इस जांच के आधार पर ही असम के सीएम ने औपचारिक बयान में कहा है कि वे पता लगाएंगे कि इसके पीछे कौन है? उन्होंने बताया है कि असम सरकार इस पहलू को नजरअंदाज नहीं करने वाली है और एक विस्तृत जांच की जाएगी.
वैसे अभी के लिए सरकार द्वारा साजिश वाला एंगल रखा गया है, लेकिन बुधवार को राज्य सरकार ने कहा था कि क्योंकि सीएम हिमंता ने ड्रग्स तस्करों के खिलाफ कड़े फैसले लिए थे, उस वजह से कई लोग नाराज थे और उन तस्करों को राजनीतिक संरक्षण देने वाले परेशान थे. तब जोर देकर कहा गया था कि म्यांमार के जरिए मिजोरम में ड्रग्स आते और फिर वहां से उसकी सप्लाई असम के लिए कर दी जाती है. लेकिन असम सरकार की वजह से वो रैकेट ठप पड़ गया और कई लोगों को भारी नुकसान हुआ.
पहले क्या दावा किया था?
इससे पहले सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने नए गोरक्षा कानून को भी हाल में हुई हिंसा से जोड़कर देखा था. उन्होंने कहा था कि इस नए कानून को लेकर कई तरह की भ्रांतियां फैली हुई हैं. ऐसी अफवाह फैला दी गई है कि इस कानून की वजह से दूसरे राज्यों में बीफ सप्लाई पर असर पड़ेगा. लेकिन सीएम ने उन दावों को सिरे से खारिज कर दिया है. जानकारी के लिए बता दें कि 26 जुलाई को असम और मिजोरम पुलिस के बीच हिंसक संघर्ष हुआ था. उस हमले में 7 असम के साथ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे.