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हिमंत बिस्वा सरमा का दावा, असम में CAA के तहत 3 से 5 लाख लोग नागरिकता के लिए करेंगे आवेदन

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने दावा किया है कि राज्य में CAA के तहत लगभग तीन से पांच लाख लोग भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करेंगे. न्यूज एजेंसी के मुताबिक, आवेदकों में केवल वे लोग शामिल होंगे जिन्हें अपडेट हुए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) से बाहर रखा गया है.

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फाइल फोटो
फाइल फोटो

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने दावा किया है कि राज्य में CAA के तहत लगभग तीन से पांच लाख लोग भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करेंगे. न्यूज एजेंसी के मुताबिक, आवेदकों में केवल वे लोग शामिल होंगे जिन्हें अपडेट हुए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) से बाहर रखा गया है. मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि 7 लाख मुसलमानों और 5 लाख हिंदू-बंगालियों को NRC की लिस्ट से बाहर रखा गया है.

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CM ने टीवी चैनल को दिया इंटरव्यू
मुख्यमंत्री ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि कई हिंदू-बंगाली अलग-अलग समय पर आए थे और शरणार्थी शिविरों में रुके थे. जब उन्होंने NRC में शामिल होने के लिए आवेदन किया, तो उन्होंने ऐसे शिविरों में रहने के प्रमाण के रूप में एक स्टाम्प पेपर जमा किए. सीएम ने कहा कि प्रतीक हजेला (पूर्व एनआरसी राज्य समन्वयक) ने पेपर स्वीकार नहीं किया. जिसके बाद कई हिंदू-बंगालियों के नाम एनआरसी में शामिल नहीं किए गए.

सीएम ने बताया कितने लोग होंगे शामिल
मुख्यमंत्री सरमा ने कहा कि NRC में शामिल होने के लिए आवेदन करने वाले 5 लाख हिंदू-बंगालियों में से कई नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 के तहत आवेदन जमा करेंगे, जबकि कई अन्य कानूनी सहारा लेंगे. सीएम ने दावा किया कि एनआरसी से बाहर किए गए आवेदकों में दास (उपनाम), 'कोच-राजबोंगशी' (समुदाय) और 1.5 लाख गोरखा जैसे 2 लाख असमिया भी शामिल हैं.

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CAA के तहत तीन से पांच लाख आवेदन होंगे
सीएम ने कहा कि CAA के तहत तीन से पांच लाख आवेदन होंगे, जिसमें 10 प्रतिशत त्रुटि की संभावना होगी. असम में 15 या 18 या 20 लाख या 1.5 करोड़ आवेदक नहीं होंगे. इतने लंबे समय तक राजनीति में रहने के बाद राज्य पर मेरी पकड़ काफी मजबूत हो गई है.

सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में 31 अगस्त, 2019 को NRC प्रकाशित हुआ और 3.4 करोड़ आवेदकों में से 19 लाख को बाहर कर दिया गया. केंद्र ने मार्च महीने की शुरुआत में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 लागू किया था, जिसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आने वाले बिना दस्तावेज वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों के लिए नागरिकता देने के लिए संसद द्वारा कानून पारित किया गया.

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