जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं. हालांकि ये कब होने वाले हैं, अभी इसकी पुख्ता जानकारी तो नहीं मिली है, लेकिन चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर के चुनाव अधिकारियों को इसके लिए प्लानिंग की तैयारी करने के लिए कहा है. लोकसभा चुनावों के सफल आयोजन के बाद, जहां मतदाताओं की भागीदारी के मामले में पिछले रिकॉर्ड टूट गए हैं, बहुप्रतीक्षित जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों को जल्द से जल्द कराने की मांग बढ़ गई है.
अपने हालिया योग दिवस के दौरान घाटी की यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने एक संबोधन के दौरान स्पष्ट संकेत दिया था कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव और राज्य का दर्जा जल्दी ही मिल सकता है, जो 2018 से राज्यपाल शासन के अधीन है. स्थानीय राजनीतिक दल चुनाव न कराकर जम्मू-कश्मीर को उसके लोकतांत्रिक अधिकारों से दूर रखने के लिए भाजपा सरकार पर निशाना साध रहे हैं, हालांकि स्थिति सामान्य है और सुरक्षा की दृष्टि से भी हालात में काफी सुधार हुआ है.
जम्मू-कश्मीर के नेताओं की प्रधानमंत्री मोदी से दिल्ली में हुई मुलाकात के दौरान भी ये मांग उठी थी. जम्मू-कश्मीर के नेता पहले स्टेटहुड फिर चुनाव की मांग कर रहे थे, लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से जोर देकर यही कहा गया कि चुनाव के बाद ही राज्य का दर्जा वापस मिलेगा. बाद में भी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी कहा था कि संसद में किया गया वादा पूरा होगा, लेकिन क्रम यही रहेगा - पहले चुनाव, फिर स्टेटहु़ड (पूर्ण राज्य का दर्जा).
बीते दिनों पीएम मोदी ने जम्मू-कश्मीर में कहा था कि, 'विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है... वो समय दूर नहीं है, जब आप अपने वोट से सरकार चुन सकते हैं.' पीएम मोदी ने कहा, 'वो दिन भी दूर नहीं... जब जम्मू-कश्मीर एक राज्य के रूप में अपना भविष्य खुद तय कर सकता है.' लोकसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर के लोगों की बढ़ चढ़ हिस्सेदारी दिखाई है, जिससे संकेत मिलता है कि विधानसभा चुनाव का किस तरह इंतजार है - वैसे भी जम्मू-कश्मीर में बीते 10 साल में विधानसभा का चुनाव नहीं हुआ है, लेकिन अब इधर, लोकसभा चुनाव के बाद इसकी सुगबुगाहट और बढ़ गई है.