मणिपुर के जिरीबाम में कल दोपहर हुई हिंसा को लेकर पुलिस ने डिटेल में जानकारी दी है. जिरीबाम में कल करीब दिन के 2:30 बजे इलाके में स्थित पुलिस स्टेशन पर हथियारबंद उग्रवादियों ने हमला कर दिया था. पुलिस के मुताबिक, हमलावर आधुनिक हथियार जैसे AK-47 और SLR से लैस थे. साथ ही इस हमले में भी सीआरपीएफ के कुछ जवान भी घायल हो गए थे. इसके बाद सीआरपीएफ ने हमले का करारा जवाब दिया और लगभग 45 मिनट तक दोनों ओर से गोलीबारी होती रही. गोलीबारी थमने के बाद मौके पर 10 उग्रवादियों के शव बरामद हुए. इसके अलावा दो और शव भी मिले हैं, जिनकी फिलहाल पहचान की जा रही है.
पुलिस के अनुसार, हमले के बाद तीन महिलाएं और तीन बच्चे लापता हैं, जिनकी तलाश जारी है. मणिपुर पुलिस के आईजीपी आईके मुइवा ने बताया कि हालात को नियंत्रित करने की पूरी कोशिश की गई, लेकिन जब रॉकेट लॉन्चर जैसे उन्नत हथियारों से हमला किया गया, तो सुरक्षाकर्मियों के लिए जवाबी कार्रवाई करना भी जरूरी हो गया.
हिंसा फैलाना था मकसद
जब कुछ लोगों ने मारे गए लोगों को गांव रक्षा दल का सदस्य बताया, तो आईजीपी ने स्पष्ट किया कि घटनास्थल से AK-47, SLR, और रॉकेट प्रोपेल्ड लॉन्चर जैसे हथियार बरामद हुए हैं. इसके अलावा हमलावरों ने सेना जैसी वर्दी पहना हुआ था, जो साफ दर्शाता है कि वे हिंसा फैलाने के इरादे से आए थे.
राज्य के अन्य इलाकों में हो रही हिंसा पर बात करते हुए आईजीपी ने कहा कि ऐसी घटनाएं अक्सर एक क्षेत्र में हुई घटना का प्रतिक्रिया स्वरूप दूसरी जगह भी होती हैं. फिलहाल पुलिस जिरीबाम में स्थिति को काबू में करने पर ध्यान दे रही है.
जिरीबाम में अगले आदेश तक कर्फ्यू
अधिकारियों ने कहा, 'जिस बोराबेकरा पुलिस स्टेशन पर उग्रवादियों ने हमला किया, उसके परिसर में एक राहत शिविर भी है, और इस घटना के बाद वहां रहने वाले कुछ लोग लापता हैं. यह स्पष्ट नहीं है कि उग्रवादियों ने इन नागरिकों का अपहरण कर लिया या हमला शुरू होने के बाद वे छिप गए थे. उनकी तलाश की जा रही है.
कुछ असामाजिक तत्वों की गैरकानूनी गतिविधियों के कारण क्षेत्र में शांति और कानून-व्यवस्था बाधित होने की आशंका है और मानव जीवन और संपत्तियों को गंभीर खतरा है. इसलिए पूरे इलाके में बीएनएसएस की धारा 163 के तहत अगले आदेश तक कर्फ्यू लागू रहेगा.'
मणिपुर में कैसे हुई हिंसा की शुरुआत?
मणिपुर में हिंसा की शुरुआत पिछले साल 3 मई से तब हुई, जब मणिपुर हाई कोर्ट के एक आदेश के खिलाफ कुकी-जो जनजाति समुदाय के प्रदर्शन के दौरान आगजनी और तोड़फोड़ की गई. दरअसल, मैतेई समुदाय ने इस मांग के साथ मणिपुर हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी कि उन्हें जनजाति का दर्जा दिया जाए.
मैतेई समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था. उससे पहले उन्हें जनजाति का दर्जा मिला हुआ था. मणिपुर हाई कोई ने याचिका पर सुनवाई पूरी होने के बाद राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल करने पर विचार किया जाए.