देश के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल (91 साल) का कार्यकाल केंद्र सरकार ने तीन महीने के लिए बढ़ाया है. वेणुगोपाल को ये तीसरी बार सेवा विस्तार मिला है. वेणुगोपाल अब 30 सितंबर तक अपने पद पर रहेंगे. पहले 30 जून को उनका कार्यकाल खत्म होने जा रहा था.
अटॉर्नी जनरल (देश के महान्यायवादी) केंद्र सरकार के लिए देश के सबसे शीर्ष विधि अधिकारी और मुख्य कानूनी सलाहकार होते हैं. ये सुप्रीम कोर्ट में महत्वपूर्ण मामलों में केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं. कोर्ट भी अक्सर पेचीदा मसलों पर अटॉर्नी जनरल की राय लेती है. कई बार राष्ट्रपति भी किसी कानूनी या संवैधानिक मसले पर अटॉर्नी जनरल से सलाह मशविरा करते हैं.
पिछली साल भी जून में अपनी बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य संबंधी कारणों का हवाला देते हुए वेणुगोपाल ने आगे दोबारा एक्सटेंशन न देने का आग्रह सरकार से किया था. लेकिन सरकार का प्रबल आग्रह था कि वेणुगोपाल पद पर बने रहें. इसके लिए गृहमंत्री खुद उनके घर भी गए थे.
पद्मभूषण और पद्मविभूषण से अलंकृत वेणुगोपाल को लगातार तीसरा सेवा विस्तार मिला है. अब तक इनको दो बार सेवा विस्तार मिल चुका है. वेणुगोपाल को पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने 15वें अटॉर्नी जनरल के रूप में एक जुलाई 2017 को तीन साल के लिए नियुक्त किया था.
वेणुगोपाल का कार्यकाल 30 जून 2020 को पूरा हो गया था. उसके बाद से सरकार दो बार वेणुगोपाल का कार्यकाल एक एक साल के लिए बढ़ा चुकी है. पिछली बार भी सेवा विस्तार की अवधि पूरी होने से दो दिन पहले ही सरकार ने वेणुगोपाल को सेवा विस्तार देने का ऐलान किया था.
गौरतलब है कि वेणुगोपाल इससे पहले साल 1977 से 1979 तक जब देश में मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली सरकार थी, तब देश के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल रह चुके हैं. वेणुगोपाल को साल 2002 में भारत सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक अलंकरण पद्म भूषण से सम्मानित किया था. अटार्नी जनरल भारत सरकार का प्रथम विधि अधिकारी होता है.