बेंगलुरु में रहने वाले एआई इंजीनियर अतुल सुभाष ने आत्महत्या कर ली थी. बेटे की मौत के बाद इंजीनियर की मां ने कोर्ट से अपने नाती की कस्टडी की मांग की थी. इसको लेकर इंजीनियरिंग की मां ने कोर्ट में याचिका लगाई थी. जिसमें कहा गया था कि पोते की कस्टडी हम लोगों को दी जाए. साथ ही यह भी कहा गया था कि अभी बच्चा कहां है, इसका नहीं पता है. इस पूरे मामले को लेकर कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई. वहीं, अगली सुनवाई अब 20 जनवरी को होगी.
AI इंजीनियर अतुल सुभाष की मां की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अतुल की पत्नी निकिता के वकील ने कोर्ट को बताया कि बच्चा निकिता के पास है. शनिवार को जमानत मिलने के बाद निकिता ने बच्चे को फरीदाबाद के स्कूल से अपने पास ले आई है. निकिता के वकील ने कोर्ट को बताया कि हर शनिवार को निकिता को जांच अधिकारी के सामने पेश होना होता है इसलिए वो बच्चे को लेकर बेंगलुरु जाएगी और वहीं पर बच्चे का एडमिशन कराएगी.
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मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार और निकिता से हलफनामा दाखिल करने को कहा है. 20 जनवरी को अगली सुनवाई होगी. आपको बता दें कि अतुल की मां अंजू देवी ने अपने 4 साल के पोते को खुद को सौंपने की मांग की है. याचिका में कहा गया है कि निकिता और उसके परिवार ने अतुल को झूठे केस में फंसाकर पैसे के लिए परेशान किया. इसके चलते उसे सुसाइड करना पड़ा था. ऐसे में अब निकिता के साथ अतुल सुभाष का 4 साल का बेटा सुरक्षित नहीं है.
जानिए सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मंगलवार को क्या-क्या हुआ?
कोर्ट- बच्चा अभी कहां है.
पत्नी के वकील- वह मेरी कस्टडी में है. कल मैं फरीदाबाद पहुंचा, बोर्डिंग स्कूल से बच्चे की कस्टडी ली.
कोर्ट- उसकी उम्र कितनी है? कौन सा स्कूल? उसे पेश करो, यह बंदी प्रत्यक्षीकरण है. इसे रिकॉर्ड में दर्ज किया जाए, सिर्फ मौखिक दलील नहीं.
अतुल की मां के वकील: कृपया उनसे कहें कि वे मुझे उससे मिलने दें.
जस्टिस शर्मा- बच्चे को परेशान न करें.
कोर्ट- आप उससे आखिरी बार कब मिले थे?
अतुल की मां के वकील: जब वह 2.5 साल का था.
कोर्ट- वह आपको बिल्कुल नहीं जानता. आप बच्चे के लिए लगभग अजनबी हैं.
वकील- मैंने बच्चे के साथ समय बिताया है, वह हमें जानता है, यह मैं दिखा भी सकता हूं.
कोर्ट- आप चाहें तो जाकर उससे मिल सकती हैं. लेकिन यह उम्मीद न करें कि बच्चा आपके साथ सहज रहेगा. बच्चे को माता-पिता के साथ रहना होगा, अगर दोनों नहीं तो कम से कम एक माता-पिता के साथ.
वकील- तब नहीं जब एक माता-पिता दूसरे माता-पिता की मौत का दोषी हो.
जस्टिस नागरत्ना- अभी नहीं. यह मीडिया ट्रायल नहीं है. यह कोर्ट ट्रायल है जो किसी व्यक्ति को दोषी ठहरा सकता है.
कोर्ट- यह प्रस्तुत किया गया है कि बच्चा मां की कस्टडी में है, जमानत की शर्तों का पालन करने के लिए उसे उसके साथ बैंगलोर ले जाया जाएगा. उपरोक्त संदर्भ में हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा गया है. अब अगली सुनवाई 20 जनवरी 2024 को होगी.