नागपुर शहर सोमवार शाम अचानक हिंसा की चपेट में आ गया. इस हिंसा में 31 लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए हैं. ये हिंसा तब शुरू हुई जब पहले तो हिंदू संगठनों ने मुगल शासक औरंगजेब के कब्र को संभाजी नगर से हटाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया. इसके बाद एक अफवाह फैली और उपद्रवी नागपुर में एक जगह पर जमा हो गए और हिंसा पर उतारू हो गए.
बीजेपी ने दावा किया है कि हिंसा पहले से ही योजनाबद्ध थी. शहर के महल इलाके में दो समूहों के बीच हुई भीषण झड़प के बाद करीब 50 दंगाइयों को गिरफ्तार किया गया है. उपद्रवियों ने करीब 25 बाइक और तीन कारों में आग लगा दी है.
औरंगजेब ने 1658 से लेकर 1707 ईस्वी तक शासन किया था. लेकिन औरंगजेब की विरासत, उसके शासन के तरीके और साम्राज्य विस्तार की नीतियों को लेकर हिन्दुस्तान में विवाद होता रहता है. आइए जानते हैं कि भारत में औरंगजेब को लेकर कब-कब क्या-क्या विवाद हुए हैं.
मार्च 17 2025: नागपुर में 17 मार्च 2025 को हुई हिंसा औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग से जुड़े एक प्रदर्शन के बाद भड़की. विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और बजरंग दल जैसे संगठनों ने इस मांग को लेकर सुबह प्रदर्शन किया, जिसमें औरंगजेब के एक पुतले को जलाया गया. इसके बाद एक अफवाह फैली और फिर भीड़ जमा हो गई. शाम होते-होते स्थिति बिगड़ गई, खासकर नागपुर के महाल और हंसापुरी इलाकों में. भीड़ ने पथराव शुरू कर दिया, कई वाहनों और संपत्तियों को आग के हवाले कर दिया गया, और पुलिस पर भी हमला हुआ.
मार्च 3 2025: समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आसिम आज़मी ने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया है कि मुगल बादशाह औरंगजेब के बारे में दिखाया गया इतिहास गलत है और वह एक 'क्रूर शासक' नहीं था. उन्होंने कहा, "मैं औरंगजेब को क्रूर शासक नहीं मानता. उस दौर में सत्ता संघर्ष राजनीति को लेकर था, हिंदू बनाम मुस्लिम को लेकर नहीं. औरंगजेब की सेना में कई हिंदू थे और इसी तरह छत्रपति शिवाजी की सेना में कई मुसलमान थे."
अबू आजमी ने कहा कि "गलत इतिहास दिखाया जा रहा है (फिल्म छावा में). औरंगजेब ने कई मंदिर बनवाए. औरंगजेब के समय में भारत की सीमाएं अफगानिस्तान और बर्मा तक फैली हुई थीं, उस समय हमारा जीडीपी (विश्व जीडीपी का) 24 प्रतिशत था. भारत को 'सोने की चिड़िया' कहा जाता था. क्या मुझे इन सभी चीजों को गलत कहना चाहिए?"
जून 4 2023: महाराष्ट्र के अहमदनगर में पुलिस ने एक जुलूस के दौरान मुगल बादशाह औरंगजेब के पोस्टर लहराए जाने के बाद दो लोगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने कुल चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. घटना का एक वीडियो वायरल होने के बाद ये गिरफ्तारियां की गईं, जिसमें अहमदनगर के मुकुंदनगर इलाके में एक व्यक्ति को औरंगजेब का पोस्टर पकड़े देखा जा सकता है.
एक पुलिस अधिकारी ने कहा था कि, "जुलूस में संगीत और नृत्य के बीच चार युवकों ने औरंगजेब के पोस्टर लिए हुए थे. इन चारों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत एक समुदाय को दूसरे समुदाय के खिलाफ अपराध करने के लिए उकसाने, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के साथ-साथ अन्य अपराधों के लिए मामला दर्ज किया गया है."
मई 12 2022:ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता अकबरुद्दीन ओवैसी ने खुल्दाबाद में औरंगजेब की मजार पर जाकर जियारत की थी. शिवसेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) दोनों ने ही उनके मजार पर जाने पर आपत्ति जताई थी.
तब महाराष्ट्र भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि एआईएमआईएम विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी ने औरंगजेब का महिमामंडन करने की कोशिश करके देश के "राष्ट्रवादी मुसलमानों" का अपमान किया है. औरंगजेब इस देश के मुसलमानों के लिए कभी आदर्श नहीं हो सकता. उसने संभाजी राजे को मारने से पहले उन्हें प्रताड़ित किया था.
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने 19 मई, 2022 को औरंगजेब के मकबरे को पांच दिनों के लिए बंद कर दिया था. ऐसा तब हुआ जब इलाके की एक मस्जिद समिति ने 18 मई को इस जगह को बंद करने की कोशिश की थी.
17 मई को महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रवक्ता गजानन काले ने एक ट्वीट में राज्य में औरंगजेब के मजार के अस्तित्व की आवश्यकता पर सवाल उठाया था और कहा था कि इसे नष्ट कर दिया जाना चाहिए. काले की यह टिप्पणी एआईएमआईएम नेता अकबरुद्दीन ओवैसी द्वारा मकबरे का दौरा करने के बाद आई है, जिसकी सत्तारूढ़ शिवसेना के साथ-साथ भाजपा ने भी आलोचना की थी.
मई 2022: दिल्ली भाजपा ने मांग की थी कि औरंगजेब रोड की तरह औरंगजेब लेन का नाम भी भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर रखा जाए.
2015: 2015 में पूर्वी दिल्ली के तत्कालीन सांसद महेश गिरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को औरंगजेब रोड का नाम बदलकर कलाम के नाम पर रखने के लिए पत्र लिखा था. कुछ ही महीनों के भीतर एनडीएमसी ने सड़क का नाम बदलने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी.
सितंबर 2015: दिल्ली में कालिंदी कुंज से जामिया नगर तक लगभग 3 किलोमीटर लंबे मार्ग, जिसे स्थानीय तौर पर 'पुश्ता रोड' कहा जाता है, का नाम पूर्व कांग्रेस विधायक आसिफ मोहम्मद खान ने 'औरंगजेब रोड' रख दिया था. उनका कहना था कि उन्होंने "एनडीएमसी द्वारा ऐतिहासिक सड़क का नाम बदलने के विरोध में" ऐसा किया था.
2015: 2015 में, एक शिवसेना सांसद ने ड्यूटी पर तैनात एक अधिकारी को कैमरे के सामने "औरंगजेब की औलाद" कहकर गाली दी थी, जब उसने उच्च न्यायालय के आदेश के आधार पर औरंगाबाद में जिला कलेक्टर द्वारा स्वीकृत एक विध्वंस अभियान के दौरान कुछ मंदिरों को ध्वस्त कर दिया था.