अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि न्यास क्षेत्र की ओर से किए गए चार जमीन सौदे विवाद में हैं. इन सौदों में घोटाले का आरोप है, जिसे लेकर विपक्ष हमलावर है. कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी सोमवार को इस मसले को उठाते हुए कहा, 'श्री राम के नाम पर चंदे की लूट ‘रामद्रोह’ है!'
इससे पहले कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि बीजेपी नेता धर्म, आस्था और विश्वास को बेचकर मुनाफे की लूट कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि भगवान राम के मंदिर के चंदे की लूट 'रामद्रोह' है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि राम मंदिर जमीन खरीद को लेकर विवाद हो रहा है फिर भी पीएम मोदी और सीएम योगी चुप हैं.
कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, 'दीप नारायण यूपी में बीजेपी का नेता और बीजेपी आईटी सेल से जुड़ा है. दीप नारायण अयोध्या के बीजेपी के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय का रिश्तेदार भी है.' उन्होंने दावा किया कि ऋषिकेश उपाध्याय पीएम मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ के चहेते हैं.
रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, 'दीप नारायण ने जो जमीन 20 फरवरी 2021 को 20 लाख रुपए में खरीदी थी, वही जमीन 11 मई 2021 को राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट को 2.5 करोड़ में बेच दी. यानी, जो जमीन 2,247 रुपए प्रति वर्गमीटर के भाव से खरीदी, वही जमीन 79 दिन में राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट को 28,090 रुपए प्रति वर्गमीटर के हिसाब से बेच दी गई.'
रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, 'आदित्यनाथ सरकार के मुताबिक जमीन की कीमत मात्र 4,000 रुपए प्रति वर्गमीटर है. तो फिर भगवान श्री राम के मंदिर के चंदे को इतनी बड़ी चपत क्यों और कैसे लगी? जमीन बेचने वाले और जमीन खरीदने वाले बीजेपी-आरएसएस से जुड़े हुए हैं, तो इसके मायने क्या हैं?'
कांग्रेस की ओर से पूछे गए 5 सवाल
1. क्या कारण है कि राम मंदिर निर्माण के चंदे की खुली लूट करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के बारे में पीएम मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ चुप हैं?
2. क्या पीएम-सीएम देश को बताएंगे कि 79 दिनों में जमीन की कीमत 1250 प्रतिशत कैसे बढ़ी?
3. जब भाजपा सरकार द्वारा जमीन की कीमत मात्र 4000 रुपए प्रति वर्गमीटर आंकी गई, तो फिर राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट ने इसे 28,090 रुपए प्रतिवर्ग मीटर में क्यों खरीदा?
4. क्या बीजेपी नेता राम मंदिर निर्माण के लिए इकट्ठे किए गए चंदे को चूना लगाकर मुनाफे की लूट में लगे हैं?
5. श्री राम मंदिर निर्माण के लिए दिए गए हजारों करोड़ के चंदे में कितनी और रजिस्ट्रियों में खुली लूटपाट हुई है? क्या सुप्रीम कोर्ट के तत्वाधान में पूरे मामले की जांच और पैसे के लेनदेन का ऑडिट कर सारे तथ्य देशवासियों के समक्ष नहीं रखे जाने चाहिए?