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परमहंस दास की तस्वीर के सामने रखा गया प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण, थे राम मंदिर आंदोलन के सूत्रधार

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने दिगंबर अखाड़ा पहुंचकर रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष रहे महंत परमहंस रामचंद्र दास के चित्र पर 22 जनवरी को होने जा रहा श्रीराम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का निमंत्रण रखा.

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परमहंस रामचन्द्र दास
परमहंस रामचन्द्र दास

अयोध्या में भव्य राम मंदिर के उद्घाटन का काउंटडाउन शुरू हो गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जनवरी को मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे. इसके लिए तैयारियां जोरों-शोरों से चल रही हैं. इस बीच श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने मंदिर आंदोलन के प्रमुख संत स्वर्गीय परमहंस रामचन्द्र दास की तस्वीर पर प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण रखा.

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चंपत राय ने दिगंबर अखाड़ा पहुंचकर रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष रहे महंत परमहंस रामचंद्र दास के चित्र पर 22 जनवरी को होने जा रहा श्रीराम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का निमंत्रण रखा.

बता दें कि इस दौरान दिगंबर अखाड़ा के उत्तराधिकारी महंत रामलखन दास समेत कई साधु-संत मौजूद रहे. परमहंस रामचंद्र दास मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरे रहे हैं. उन्होंने 1990 में अयोध्या में कारसेवकों को जुटाने का कुशल नेतृत्व किया था. परमहंस राम जन्मभूमि आंदोलन के लिए बनाए गए ‘राम जन्मभूमि न्यास’ के अध्यक्ष भी रहे हैं.

राम मंदिर के लिए लंबी लड़ाई लड़ी

महंत परमहंस रामचंद्र दास रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष रहे हैं. वो अपने तेवर के लिए भी जाने जाते रहे हैं. 1985 को कर्नाटक के उडुपी में हुई दूसरी धर्मसंसद में उन्होंने ऐलान किया था कि 8 मार्च 1986 को महाशिवरात्रि तक जन्मभूमि पर लगा ताला नहीं खोला गया तो ताला खोलो आंदोलन को वे ताला तोड़ो आंदोलन में बदल देंगे. उनके तल्खे तेवर के चलते ही 1 फरवरी 1986 को ही ताला खोल दिया गया.

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92 वर्ष की उम्र में निधन

2003 की जुलाई में तबीयत बिगड़ने पर उन्हें लखनऊ पीजीआई ले जाया गया. लेकिन अंतिम समय में परमहंस रामचंद्र दास ने अयोध्या में रहने की इच्छा जताई. तब 29 जुलाई को उन्हें लखनऊ से अयोध्या ले जाया गया. 31 जुलाई की सुबह अयोध्या के दिगम्बर अखाड़े में 92 वर्ष की अवस्था में परमहंस रामचंद्र दास का निधन हो गया. उनके निधन की खबर से पूरे अयोध्या में देशभर के संत समाज का जमावड़ा लगने लगा. तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, महंत अवैद्यनाथ जैसी हस्तियां अंतिम संस्कार में पहुंचीं थीं. 

सरयू तट पर बनी समाधि, आते रहे हैं योगी 

सरयू तट पर ही परमहंस रामचंद्र दास की समाधि बनाई गई है. परमहंस रामचंद्र दास से योगी आदित्यनाथ का बेहद लगाव रहा है. इसी के चलते योगी लगातार पुण्यतिथि के मौके पर उनकी समाधि पर आते रहे हैं. मुख्यमंत्री बनने के बाद भी ये सिलसिला नहीं टूटा. योगी जब भी अयोध्या आते हैं तो दिगंबर अखाड़ा भी जरूर जाते हैं. अब एक बार फिर 17वीं पुण्यतिथि के मौके पर योगी आदित्यनाथ 31 जुलाई को अयोध्या जा रहे हैं.

16 जनवरी से शुरू हो जाएगा प्राण प्रतिष्ठा समारोह

बता दें कि 7 दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा समारोह 16 जनवरी से शुरू होगा. 16 जनवरी को विष्णु पूजा एवं गौदान होगा. इसके बाद 17 जनवरी को रामलला की मूर्ति को नगर भ्रमण के लिए ले जाया जाएगा और राम मंदिर ले जाया जाएगा. 18 जनवरी भगवान गणेश का पूजन होगा. साथ ही वरुण देव पूजा और वास्तु पूजा भी होगी. 19 जनवरी को हवन अग्नि प्रज्वलित की जाएगी और हवन किया जाएगा. 20 जनवरी को वास्तु पूजा होगी. 21 जनवरी को राम लला की मूर्ति को पवित्र नदियों के पवित्र जल से स्नान कराया जाएगा. जबकि 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह का भव्य आयोजन किया जाएगा.

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22 जनवरी को इस खास मुहूर्त में होगी प्राण प्रतिष्ठा

22 जनवरी को अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 84 सेकंड का अति सूक्ष्म मुहूर्त होगा, जिसमें रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने ये मुहूर्त चुना है. ये शुभ मुहूर्त का यह क्षण 84 सेकंड का मात्र होगा जो 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकंड तक होगा.

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