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अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए सहयोग राशि जुटाने की बड़ी मुहिम अगले महीने शुरू होगी. इसके लिए संघ परिवार और विश्व हिन्दू परिषद की ओर से महा-जनसंपर्क अभियान शुरू किया जाएगा. मकर संक्रांति के बाद 15 जनवरी से माघ पूर्णिमा तक ये अभियान चलेगा. सहयोग राशि जुटाने के इस अभियान की कमान राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के हाथों में रहेगी. ट्रस्ट सहयोग राशि के लिए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सभी केंद्रीय मंत्रियों, राज्यपाल, मुख्यमंत्री और गणमान्य लोगों तक पहुंचेगा. भारत सरकार भी अपने बजट से एक रुपए की राशि मंदिर निर्माण के लिए दे चुकी है, जिसे ट्रस्ट ने फ्रेम करवा कर रखा है.
संघ परिवार इस अभियान के लिए देश की आधी आबादी यानि 50 से 60 करोड़ लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य पूरा करेगा. इस अभियान में मंदिर निर्माण हेतु स्वैच्छिक रूप से दिया गया आर्थिक सहयोग स्वीकार किया जाएगा. इसके लिए 10, 100 और 1000 रुपये के कूपन उपलब्ध रहेंगे. सबसे ज्यादा 100 रुपए के करीब 8 करोड़ कूपन छपवाए जा रहे हैं.
मंदिर के लिए सबसे पहले सहयोग राशि देने वालों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम शामिल है. उन्होंने अपने निजी खाते से 11 लाख रुपए की सहयोग राशि 25 मार्च को जमा करा दी थी. वहीं, कथा वाचक मोरारी बापू के शिष्यों ने भी 11 करोड़ रुपए से ज्यादा की सहयोग राशि राम मंदिर निर्माण के लिए दी है.
ट्रस्ट चाहता है 36 महीने में राम मंदिर तैयार हो जाए
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने इस अभियान और राम मंदिर निर्माण को लेकर आज तक से खास बातचीत की. चंदा जुटाने की मुहिम से पहले चंपत राय से जब पूछा गया कि राम मंदिर निर्माण कब तक पूरा हो जाएगा, तो उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि 36 महीने में राम मंदिर का काम पूरा हो जाए और उसके शिखर पर राम पताका लहराती नजर आए.
चंपत राय ने बताया कि उन्हें उम्मीद है कि अगले साल बरसात से पहले मंदिर की नींव पूरी हो जाएगी. उन्होंने बताया कि राम मंदिर निर्माण के लिए विश्व हिंदू परिषद के दिवंगत नेता अशोक सिंघल ने लार्सन एंड टूब्रो कंपनी का नाम तय किया था. मंदिर निर्माण के लिए इस कंपनी को इसलिए भी चुना गया. यह किसी व्यक्ति विशेष की कंपनी नहीं बल्कि एक कोऑपरेटिव कंपनी है, इसमें भारत सरकार के 30 फ़ीसदी शेयर हैं.
सहयोग राशि के लिए कोई टारगेट तय नहीं
चंपत राय के मुताबिक, राम मंदिर निर्माण की सहयोग राशि के लिए कोई टारगेट तय नहीं किया गया है. न हीं देश के लिए और न ही राज्यों के लिए. उन्होंने कहा, “बहुत लोगों ने इसके लिए अपना जीवन दिया, इसलिए यह मंदिर जनता के सहयोग से बनेगा. हमने इसे सहयोग राशि कहा है. हम इसे दान नहीं कहेंगे. हमारे किसी दस्तावेज में यह डोनेशन के तौर पर दर्ज नहीं होगा. भगवान के लिए दान की कोई जरूरत नहीं, भगवान ने आप सब को बनाया है.”
12 करोड़ परिवारों तक पहुंचा जाएगा
चंपत राय के मुताबिक, इस मुहिम के तहत 12 करोड़ परिवारों यानि 55 से 60 करोड़ लोगों तक पहुंचने की कोशिश की जाएगी. ये करीब देश की आधी आबादी है. राय ने बताया कि इस अभियान के दौरान पांच लाख गांवों तक पहुंच कर मंदिर के इतिहास और आंदोलन की जानकारी भी लोगों को दी जाएगी. अरुणाचल और पूर्वोत्तर से लेकर गुजरात के कच्छ तक और बद्रीनाथ से लाहौल स्पीति तक पहुंचा जाएगा.
चंपत राय ने आगे बताया कि अभियान के दौरान जितने घरों में पहुंचा जाएगा, उतने ही सहयोग राशि के कूपन छपवाए गए हैं. 100 रुपए के कूपन करीब आठ करोड़, 10 रुपए के 4 करोड़ और 1000 रुपए के 15 लाख होंगे. पोस्टकार्ड साइज के इस कूपन पर मंदिर का चित्र होगा.
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राष्ट्रपति, पीएम से लेंगे सहयोग राशि
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव ने बताया कि सरकार से पैसा नहीं लिया जाएगा लेकिन राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से निजी तौर पर सहयोग राशि ली जाएगी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सहयोग राशि के लिए 11 लाख का चेक 25 मार्च को अपने पर्सनल अकाउंट से दिया था.
चंपत राय ने बताया कि जिस दिन ट्रस्ट बना था उस दिन एक रुपए का योगदान भारत सरकार ने अपने बजट से दिया था. इस एक रुपए के योगदान को फ्रेम करवा कर रखा गया है. ट्रस्ट महासचिव ने कहा कि कार्यकर्ता राज्यों में मुख्यमंत्री, मंत्री विधायक और दूसरे लोगों के पास भी जाएंगे लेकिन उनके पर्सनल अकाउंट से ही सहयोग राशि ली जाएगी.
दुनिया का सबसे बड़ा संपर्क अभियान?
ट्रस्ट महासचिव के मुताबिक, अगर लक्ष्य के 70 फीसदी घरों को भी छू लिया गया तो यह दुनिया का सबसे बड़ा संपर्क कार्यक्रम हो जाएगा. यह ऑनलाइन नहीं डोर टू डोर संपर्क होगा. चंपत राय ने बताया कि संत-महात्मा भी अपने-अपने प्रभाव क्षेत्रों में मकर संक्रांति पर लोगों को सहयोग के लिए प्रेरित करेंगे.
80 करोड़ रुपए अब तक आए
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अकाउंट में अब तक 80 करोड़ रुपए की राशि आ भी चुकी है. यह हर दिन बढ़ रही है. कथा वाचक मुरारी बापू के शिष्यों ने 11 करोड़ से ज्यादा का पैसा बैंक में ट्रांसफर कराया. जब ये पैसा ट्रांसफर हो गया तब पता चला कि यह पैसा किसका है. पटना में महावीर मंदिर का संचालन करने वाले किशोर कुणाल ने दो करोड़ रुपए का चेक भेजा है, मुंबई से एक करोड़ रुपए का चेक शिवसेना ने भेजा है.
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