सीधी बात में बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से एक्सक्लूसिव बातचीत हुई. इस दौरान उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों का जवाब दिया. साथ ही कहा कि वह हिंधू धर्म का पोस्टर बॉय या प्रोडक्ट नहीं बनना चाहते. उन्होंने कहा कि प्रारंभ से लेकर अभी तक मुझ पर हनुमान जी की कृपा है. इन सबका श्रेय बागेश्वर हनुमान जी और हमारे दादा गुरु जी को जाता है. यूं कहें कि उन्होंने हमें चुना है, वो सनातन के लिए कुछ करवाना चाहते हैं तो कर वो रहे हैं, बोल भी वो रहे हैं, बस करने वाले हम दिख रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारी अंग्रेजी जीरो है.
पढ़ें धीरेंद्र शास्त्री से किए गए सवालों के जवाब-
सवाल: स्टारडम के साथ विवाद भी आते हैं, इससे बचे रहने के लिए क्या आपने भी अपने जीवन में कुछ बदलाव किए हैं?
जवाब: ऐसे बहुत ज्यादा बदलाव तो नहीं किए हैं. हमने कभी भी स्टारडम को नहीं अपनाया. हनुमान जी ही सुपरस्टार हैं. इसलिए हमें लगता है कि हमें अपनी मन-मौजी को बदलने की आवश्यता नहीं, बस कुछ व्यवस्थाओं को बदला है, जिससे कोई हमारे बागेश्वर नाम का फायदा न ले. कोई घोटाला न कर दे. कोई लोगों के साथ दुर्व्यवाहर न कर दे. उन चीजों को कंट्रोल करने के लिए अपने आसपास के नियमों और प्रोटोकोल को सख्त कर दिया है. बाकि निजी लाइफ में जो जैसे था वैसे ही है.
सवाल: आप धर्म गुरु हैं, कथा वाचक हैं, ज्योतिषी हैं या फिर आपके पास कुछ स्पेशल पावर हैं?
जवाब: जो जिस दृष्टि से देखे. हम कथा भी करते हैं. धर्म पर लोगों को जगाते हैं तो धर्म के छोटे से सिपाही भी हैं. स्पेशल पावर खुद में तो नहीं है लेकिन बालाजी की कृपा से हमारी जो परंपरा चल रही है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चल रही है, उस स्थान पर है. इसे स्पेशल शक्ति कह सकते हैं
सवाल: 27 साल में आप हिंदुत्व के पॉस्टर ब्वॉय बन गए हैं, क्या यही चाहते थे?
जवाब: बिल्कुल भी नहीं. हम सिपाही बनना चाहते हैं. आज भी हमारा सपना है. हमें कोई ब्रांड नहीं बनना है. पोस्टर ब्वॉय उन्हें बनने की ललक होती है जिन्हें पॉलिटिक्स में जाना हो या फिर उन्हें जिसे सदियों तक उस स्थान के नाम की आकांक्षा हो. हमारी ऐसी कोई निजी आकांक्षा नहीं. हमारा सिर्फ एक ही लक्ष्य है सनातन, सनातन जागृति और सनातनी हिंदुओं में एकता. यही हमारा लक्ष्य, यही हमारा उद्देश्य है. हम जागे हुए हिंदू है और ये अगर सबके अंदर आ जाएगा तो प्रत्येक व्यक्ति धीरेंद्र कृष्ण बन जाएगा.
सवाल: आपको ऐसा लगता है कि धर्म अब एक प्रोडक्ट बन गया है?
जवाब: नहीं. ये मीडिया की सद्उपयोगिता है, प्रोडक्ट नहीं है. हमारे आध्यात्मिकता को जन-जन तक पहुंचाने के लिए धर्म गुरुओं, आचार्य और ऋषिओं की आवश्यक्ता है. अगर वो विज्ञान का सहारा लेकर ज्ञान का प्रचार कर रहे हैं तो जरूरी नहीं वो प्रोडक्ट हो. मैं कोई प्रोडक्ट नहीं हूं.
सवाल: कथावाचकों के कंपटीशन में खुद को कहां देखते हैं?
जवाब: मैं इससे बाहर रहता हूं. किसको कितनी भीड़ सुन रही इससे मेरा मतलब नहीं. किसी से खुद की तुलना नहीं की. बस खुद में सुधार करने के बारे में सोचा. भीड़ तो आनी जानी माया है. सत्य बोलोगे तो सत्य की कीमत चुकाने लोग आ जाते हैं जिस दिन आप थोड़ा बहक गए तो जो जिंदाबाद कर रहे, वो मुर्दाबाद करेंगे.
सवाल: धर्म को लेकर लोग सेंसिटिव हो गए हैं. जब पठान तब भी और फिर आदिपुरुष आई तब भी लोग आहात हुए.
जवाब: आहात होना चाहिए. फिल्में कई दशकों तक अपनी छाप छोड़कर जाती है. सन 80 से 90 के मध्य में एक फिल्म आई थी संतोषी मां. जब फिल्म आई थी तो शुक्रवार को टमाटर की बिक्री बंद हो गई थी. खटाई बिकना बंद हो गया था. तो सदियों तक फिल्में अपनी छाप छोड़ती हैं. आज हमने जो छूट दी, आज तक जो बॉलीवुड ने हमारे लोगों के साथ अत्यचार किया कि गुंडे जितने भी दिखाए तिलकधारी दिखाए, महात्मा दिखाए तो पाखंडी दिखाए और भगवान दिखाए तो लोगों की आस्था टूटती दिखाई तो आजतक जो सहता रहा, वो सोता हुआ हिंदू सहता रहा. इसलिए सेंसर बोर्ड और फिल्म बनाने वालों को ये बहुत बारीकी से समझना होगा कि उन्हें ऐसे कामों पर लगाम लगानी होगी. धर्म मजाक का विषय नहीं है. चाहे वो आदिपुरुष के हनुमान जी का संवाद हो या फिर अन्य. ये संवाद या चर्चा धारणा का विषय है, न कि फूहड़ता का विषय.
सवाल: धार्मिक चैनलों से ज्यादा न्यूज चैनल पर क्यों दिखते हैं.
जवाब: हम भी भारत के नागरिक हैं. हम भी राष्ट्र हित की बात करते हैं.
सवाल: साधू पहले मीडिया, लाइमलाइट से दूर रहते थे लेकिन आज ऐसा नहीं है.
जवाब: आदिकाल में दो तरह की परंपरा थी. कुछ ऋषि मुनि जंगल में रहे पूजा-पाठ के लिए. वहीं नारद जी, वेद व्यास, भागवत कथा सुनाने वाले शुकदेवजी लोगों को जगाने के लिए समाज के बीच रहे.
सवाल: गुरुओं को राजनीति से दूर रहना चाहिए ऐसा कहा जाता है लेकिन आपके यहां नेता आते हैं. क्या आप भी राजनीति के करीब जा रहे हैं?
जवाब: नहीं, राजसत्ता हमेशा धर्म सत्ता के नीचे रही. नेता अगर धर्म दंड के नीचे नहीं आएगा, उससे नहीं सीखेगा तो खुद के साथ राष्ट्र का पतन करेगा. बोध, दया, शीलता, क्षमा धर्म से ही सीखी जा सकती हैं. राजसत्ता से धर्मगुरु पहले भी दूर नहीं रहे. गुरु वशिष्ठ-राम, महाराज दशरथ-विश्वामित्र. हमेशा राजसत्ता के बगल में धर्म सत्ता की गद्दी रही.
सवाल: राजनीति या शादी, किसके ज्यादा प्रस्ताव आते हैं?
जवाब: कोई सीधे तौर पर मेरे पास नहीं फटकता. मेरी शादी के प्रस्ताव मां के पास जाते हैं. पार्टियां मुझसे राजनीति में आने के बारे में खुलकर पूछ नहीं पातीं क्योंकि मैंने कभी इस तरह का कोई इशारा नहीं किया.
सवाल: कितने पढ़े लिखे हैं धीरेंद्र?
जवाब: 12वीं मैंने रेगुलर की. बीए मैंने प्राइवेट की है. अब एमए की तैयारी है. संस्कृत और हिंदी में MA कर सकते हैं. बाबा कहलवाना पसंद नहीं क्योंकि मैं सन्यासी नहीं हूं. महाराज कह सकते हैं.
सवाल: हिंदू या मुसलमान कौन खतरे में?
जवाब: हिंदू खतरे में हैं क्योंकि 80 फीसदी होते हुए भी स्थिति ये है. जिस दिन 50-50 हो गया तो कहीं कश्मीर ना बन जाए, कहीं पाकिस्तान ना हो जाए. ये हमारा फैक्ट है. उनका फैक्ट वो जाने. क्योंकि जो पाकिस्तान में हिंदुओं की स्थिति बुरी है. यहीं शर्णार्थी हैं दिल्ली में, यमुना के पास 300 से अधिक पाकिस्तानी परिवार हैं. उनके बच्चों से हम मिले, उनकी स्थिति बहुत खराब थी. यहां तो ये बहुत सुरक्षित है. ये तो पथराव कर रहे हैं, साक्षी जैसे कांड कर रहे हैं. ये तो भारत के संतों को सॉफ्ट टारगेट बना रहे हैं. ये हमारे लिए एफआईआर की मांग तक करते हैं. ये गजवा ए हिंद चाहते हैं. 80 फीसदी होते हुए राम के जन्मस्थल के लिए कई वर्षों कोर्ट के चक्कर काटने पड़े. खतरे में हिंदू हैं या मुसलमान, ये बुद्धिजीवी लोग निर्णय लें.