बागेश्वर धाम के संत धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के नाम और काम से शायद ही अब देश में कोई अछूता रहा हो. कथाचावक और कथित तौर पर लोगों के मन की बात जान लेने वाले इस युवा संत के छतरपुर (मध्य प्रदेश) स्थित बागेश्वर धाम में देश-दुनिया की तमाम जगहों से आने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है. ऐसे में लोग जानता चाहते हैं कि आखिर धीरेंद्र शास्त्री के 'दिव्य दरबार' में पेशी या कहें कि अपॉइंटमेंट कैसे मिलता है? जहां शास्त्री उनकी समस्याओं का समाधान बता दें. यहां आपको बता दें कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का बागेश्वर धाम मध्य प्रदेश के छतरपुर जिला मुख्यालय से तकरीबन 30 किलोमीटर दूर गढ़ा गांव के पास मौजूद है.
शास्त्री के 'दिव्य दरबार' के दौरान धाम में उनसे मिलने के लिए टोकन लेने की व्यवस्था है. आवेदक को इस धाम के परिसर में लगे बॉक्स में अपने से जुड़ी तमाम जानकारियां मसलन नाम, पिता का नाम, पता और मोबाइल नंबर इत्यादि डालनी होती हैं. फिर धाम की टीम इन आवेदकों में से जिसे बुलाना चाहती है, उससे संपर्क करती है और उन्हें एक निश्चित तिथि पर दरबार में आने के लिए आने के लिए कहती है. इसके लिए कुछ लोग कई दिनों तक वहां रुके रहते हैं, तो कइयों अपने घर लौट आते हैं और फोन आने पर बागेश्वर धाम चले जाते हैं.
खास बात यह है कि अपॉइंटमेंट की यह प्रक्रिया कलर कोडेड है. मतलब शास्त्री से मिलने के इच्छुक लोगों को एक लाल कपड़े में, विवाह संबंधी मामलों के लिए एक पीले कपड़े में और आत्माओं से परेशान होने पर एक काले कपड़े में एक नारियल रखना होता है.
यहां कुछ वर्षों के भीतर देश दुनिया के कोने कोने से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या काफी बढ़ गई है. इस स्थान पर हनुमान भक्त धीरेंद्र शास्त्री 'राम कथा' का वाचन करते और दिव्य दरबार लगाकर भक्तों के मन की बात उनके बिना पूछे ही एक कागज पर लिख देते. मगर अब धाम के अलावा दूसरे राज्यों और देशों में भी उनकी कथाओं और दरबार लगने लगे हैं, जिससे अब यह तय नहीं किया जा सकता कि अर्जी लगाने वाले श्रद्धालु की पेशी कब तक होगी. बता दें कि आगामी 2 साल तक शास्त्री की होने वाली कथाओं का शेड्यूल तय हो चुका है.
इन दिनों शास्त्री जहां भी कथा वाचन करते हैं, वहां श्रद्धालुओं की भीड़ से किसी को भी चुन लेते हैं और उसे भूत और भविष्य के बारे में बताते हैं. उनका दावा है कि ऐसा करने की प्रेरणा उन्हें अंदर से मिलती हैं और हनुमान जी उनसे ऐसा करवाते हैं.
दिलचस्प बात यह है कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने यह भी कहा कि उन्होंने कभी भी चमत्कार करने का दावा नहीं किया. शास्त्री कहते हैं, मैं केवल सनातन धर्म का प्रचार कर रहा हूं, जो संविधान के तहत मेरा अधिकार है. मैं केवल अपने भगवान से संकट में पड़े लोगों की मदद करने की प्रार्थना करता हूं. लोग चादर बिछाते हैं और मोमबत्तियां जलाते हैं. इसे तर्कहीन क्यों नहीं माना जाता?''
'बागेश्वर धाम महायंत्र' की महिमा
बागेश्वर धाम की एक वेबसाइट भी है जो श्रद्धालुओं के लिए तमाम सेवाएं प्रदान करती है. यहां तक कि गरीबी से छुटकारा पाने के लिए भी. यहां एक 'बागेश्वर धाम महायंत्र' बेचा जाता है. दावा है कि महायंत्र कई ब्राह्मणों ने अभिमंत्रित किया है और यह उन लोगों को लाभान्वित करेगा जो बहुत मेहनत करते हैं, फिर भी उनके पास पैसा नहीं होता.
'पूरा बचपन तपस्या में बीता'
Aajtak से बात करते हुए बागेश्वर पीठाधीश्वर ने कहा था, ''मैं कोई तपस्वी नहीं हूं, लेकिन पूरा बचपन तपस्या में बीता है. बचपन से ही हनुमान चालीसा का पाठ किया. गुरुजी ने जो बताया उसे अनुभव किया. हनुमान जी के चरणों में बैठकर रोए. उसका ही परिणाम है कि आज सनातन धर्म का झंडा हर जगह गाड़ा जा रहा है.''
क्या है विवाद की जड़?
पता होगा कि बागेश्वर धाम सरकार छतरपुर जिले (मध्य प्रदेश) के गढ़ा गांव निवासी धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इन दिनों सुर्खियों में बने हुए हैं. दरअसल, महाराष्ट्र के नागपुर में अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति ने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर एक कार्यक्रम के दौरान चमत्कार करने के नाम पर अंधविश्वास फैलाने का आरोप लगाया गया था. इसको लेकर पुलिस को केस दर्ज करने की दरख्वास्त दी गई थी.
इस समिति के उपाध्यक्ष श्याम मानव का दावा था कि धीरेंद्र शास्त्री एफआईआर के डर से दो दिन पहले ही कथा को समाप्त कर नागपुर से चले गए. इसके बाद से बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पक्ष और विपक्ष में सोशल मीडिया से लेकर टेलीविजन जगत में बहस छिड़ गई.
उधर, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अपनी सफाई में कहा कि बागेश्वर धाम पर होने जा रहे एक बड़े उत्सव के चलते वह अपनी प्रस्तावित तीन कथाओं में से 2-2 दिन कम कर रहे हैं. बता दें कि नागपुर के बाद उनकी कथा छत्तीसगढ़ के रायपुर में आयोजित हो रही है. यहां भी शास्त्री ने मीडिया के सामने चमत्कार दिखाने का दावा किया.