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मेरे भाई से बात करवा दो... ये अंतिम ख्वाहिश थी ललित ऋषिदेव की. जी हां 22 साल का ललित भी ओडिशा रेल हादसे में मारे गए उन 288 लोगों में से एक है जो कि कोरोमंडल ट्रेन में सफर कर रहा था. लेकिन उसे नहीं पता था कि यह सफर उसकी जिंदगी का आखिरी सफर होने वाला है. बिहार के पूर्णिया का रहने वाले ललित को चेन्नई में मजदूरी का काम मिला था.
नौकरी के लिए वह घर से निकला तो जरूर. लेकिन अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच सका. बालासोर में शुक्रवार को हुए रेल हादसे में ललित गंभीर रूप से घायल हो गया था.
जब उसे रेस्क्यू किया गया तो उसकी हालत काफी नाजुक थी. शायद वह जान चुका था कि अब उसके पास गिनती के कुछ ही मिनट बचे हैं. इसलिए उसने रेस्क्यू करने वाले शख्स से गुजारिश की कि वह उसकी बात उसके छोटे भाई से करवा दे.
शख्स ने तुरंत ललित का मोबाइल ढूंढना शुरू किया. जल्द ही मोबाइल मिला तो ललित के भाई मिथुन ऋषिदेव को फोन लगाया गया. कुछ ही मिनट ललित उससे बात कर पाया. फिर उसकी वहीं मौत हो गई. भाई की मौत की खबर सुनते ही मिथुन फूट-फूट कर रोने लगा. परिवार भी सदमे में चला गया.
नहीं मिल पा रहा था ललित का शव
भाई का शव लेने के लिए रविवार को जब मिथुन परिवार संग बालासोर पहुंचा तो उन्हें ललित का शव ढूंढने में काफी मशक्कत करनी पड़ी. दरअसल, उस समय पता ही नहीं चल पा रहा था कि आखिर ललित का शव है कहां. इतने ज्यादा शवों में ललित का शव ढूंढना काफी मुश्किल भरा था. फिर 'आजतक' की टीम ने मिथुन और उसके घर वालों की मदद की.
ललित के साथ सफर कर रहे दो लोगों की भी मौत
आखिरकार ललित का शव ढूंढ निकाला गया. बेटे के शव को देख माता-पिता अपनी सुध ही खो बैठे. वहीं, मिथुन भी यकीन नहीं कर पा रहा था कि उसका बड़ा भाई अब इस दुनिया में नहीं है. परिवार ने बताया कि ललित के साथ तीन और भी लोग थे. जिनमें से दो की मौत इस रेल हादसे में हो गई है.
रेल हादसे में अब तक 288 लोगों की मौत हुई है
बता दें, ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार शाम को तीन रेलगाड़ियों में हुई भीषण टक्कर से अभी तक 288 लोगों की मौत हो गई है. जबकि एक हजार से अधिक लोग घायल हैं. बचाव और राहत कार्य के बाद रेलवे वे शनिवार रात में ही पटरियों से अधिकांश मलबा हटा दिया है और ट्रैक को जल्द शुरू करने की कोशिश जारी है. रेल मंत्रालय के मुताबिक, 1000 से अधिक कर्मचारी लगातार काम पर जुटे हैं.