बांग्लादेश में पूर्व ISKCON साधु चिन्मय कृष्ण दास के वकीलों ने हाई कोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की है. देशद्रोह के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे दास के मामले की सुनवाई 20 जनवरी को होने की संभावना है. उनके वकीलों का कहना है कि मौजूदा परिस्थितियों और कानूनी मामलों को ध्यान में रखते हुए यह याचिका दायर की गई है.
इस बीच, एक अहम राहत के रूप में, चिटगांग कोर्ट ने 63 हिंदू वकीलों को अंतरिम जमानत दी. ये वकील उन 70 वकीलों में से हैं जिन्हें पिछले साल नवंबर में चिटगांग कोर्ट परिसर में हिंसा और एक मुस्लिम वकील की मौत के मामले में गिरफ्तार किया गया था. चिटगांग में हुई इस घटना को चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद बढ़े तनाव का परिणाम माना जा रहा है.
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63 वकीलों को निजी बॉन्ड पर दी गई जमानत
अदालत ने सोमवार को जब 70 में से 63 वकील स्वेच्छा से आत्मसमर्पण करने आए, तो उन्हें 1000 बांग्लादेशी टका के व्यक्तिगत बांड पर जमानत दी. यह कदम न्याय व्यवस्था में संतुलन और समुदायों के बीच शांति बनाए रखने की दिशा में उठाया गया एक अहम प्रयास माना जा रहा है.
2 जनवरी को अदालत ने खारिज की थी याचिका
चिन्मय दास को शेख हसीना की सत्ता जाने के बाद गिरफ्तार किया गया था. इसको लेकर बांग्लादेश से लेकर भारत तक में विरोध प्रदर्शन देखे गए. बांग्लादेश के चिटगांव की एक अदालत ने गुरुवार (2 जनवरी) को जेल में बंद हिंदू साधु चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिन्हें 25 नवंबर को ढाका पुलिस ने देशद्रोह के एक मामले में गिरफ्तार किया था.
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शेख हसीना के शासन के खात्मे के बाद चिन्मय दास बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं के लिए एक प्रमुख आवाज के रूप में उभरे हैं. उन्हें 25 नवंबर को देशद्रोह के आरोप में ढाका पुलिस की जासूसी ब्रांच ने गिरफ़्तार किया था. उनकी गिरफ़्तारी के बाद, 26 नवंबर को चिटगांव के मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी.