पश्चिम बंगाल की बार काउंसिल ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर कोलकाता हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल को तत्काल हटाने की मांग की है. बार काउंसिल ने नारदा स्कैम केस की सुनवाई में आई विसंगतियों का हवाला देते हुए कहा कि सीबीआई की एक स्पेशल कोर्ट ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के कुछ नेताओं को बिना अपील करने का अवसर दिए हुए, जमानत के अंतरिम आदेश पर रोक लगा दी थी.
बार काउंसिल ने अपने पत्र में यह भी कहा है कि जस्टिस बिंदल को जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस के तौर पर भी हटा दिया गया था और जम्मू-कश्मीर बार एसोसिएशन ने उनके व्यवहार के कारण उनकी अदालत का बहिष्कार करने का संकल्प लिया था. पश्चिम बंगाल बार काउंसिल के अध्यक्ष अशोक देब ने चीफ जस्टिस को लिखे गए पत्र में अपने हस्ताक्षर भी किए हैं.
पत्र में लिखा गया है कि कोलकाता हाईकोर्ट देश की सबसे पुरानी अदालत है, ऐसे में इस कोर्ट का ऐतिहासिक महत्व भी है. इस कोर्ट से जुड़कर ऐसा पत्र हमें लिखना पड़ रहा है, यह दुखद है. इस कोर्ट में जजों ने, अधिवक्ताओं ने उच्चस्तरीय समर्पण हमेशा से दिखाया है. किसी भी तरह का गलत प्रयास इस संस्था की छवि को धूमिल कर सकता है.
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बार काउंसिल ने जस्टिस बिंदल के जम्मू कश्मीर में कार्यकाल पर भी प्रश्न उठाया है. साथ ही यह भी कहा कि वहां भी इनकी पोस्टिंग से अधिवक्ता खुश नहीं थे और न्यायिक कार्यों का बहिष्कार किया था. कोलकाता के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बनाए जाने के बाद के कार्यकाल पर बार काउंसिल लगातार प्रश्न खड़े कर रही है.
जस्टिस बिंदल के खिलाफ भड़का बार काउंसिल
अपनी चिट्ठी में बार काउंसिल ने कहा कि कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बनने के बाद लगातार जस्टिस बिंदल ने ऐसे काम किए हैं, जिसकी वजह से यह चिट्ठी लिखनी पड़ी है. बार काउंसिल ने उन केसों का भी जिक्र किया है, जिनकी सुनवाई जस्टिस बिंदल की पीठ ने की, जिस पर फैसले के बाद काउंसिल ने आपत्ति जताई है.
वहीं, बार काउंसिल के इन आरोपों पर भारतीय जनता पार्टी के आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने ममता सरकार को घेरा है, साथ ही बार काउंसिल के जरिए जजों पर दबाव बनाने का आरोप भी लगाया है. अमित मालवीय ने ट्वीट के जरिए ममता सरकार और बार काउंसिल को घेरा है. उन्होंने बार काउंसिल की इस मांग को राजनीति से प्रेरित बताया है.
हाईकोर्ट का रोस्टर ठीक करना चाहती हैं ममता!
उन्होंने ट्वीट किया, 'कोलकाता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को हटाने की मांग के कारण राजनीतिक हैं. नंदीग्राम मामले को जस्टिस कौशिक चंद्र को सौंपना. नारदा केस और अन्य मामलों में फिरहाद हकीम और अन्य नेताओं की जमानत. टीएमसी विधायक बस इतना कह सकते थे कि ममता बनर्जी हाईकोर्ट के रोस्टर को ठीक करना चाहती हैं.'
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा कि कोलकाता हाईकोर्ट ने चुनाव बाद भड़की हिंसा में ममता बनर्जी प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया था. सीएम ने बार काउंसिल की आड़ में टीएमसी विधायक को बचाना चाहती हैं. क्या न्यायपालिका की धज्जियां उड़ाने के लिए बोली लगाई जा रही है? बीजेपी के आरोपों पर टीएमसी की प्रतिक्रिया अब तक सामने नहीं आई है.