बंगाल में विधान परिषद (Bengal Legislative council) के गठन को मंजूरी मिल गई है. बंगाल विधानसभा ने आज मंगलवार को संविधान की धारा 169 के तहत राज्य में विधान परिषद के निर्माण को लेकर प्रस्ताव पारित कर दिया है. अब इसे अमल में लाने के लिए संसद की दोनों सदनों से पारित कराना होगा.
बंगाल विधानसभा ने विधान परिषद के निर्माण को लेकर सदन में पेश प्रस्ताव के पक्ष में 196 सदस्यों ने वोट किया तो विरोध में 69 वोट पड़े. वोटिंग के दौरान सदन में 265 सदस्य उपस्थित हुए थे.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने बंगाल विधानसभा चुनाव (Bengal Assembly Election) के दौरान राज्य में विधान परिषद का गठन करने का वादा किया था. बंगाल में 2 जुलाई से विधानसभा का सत्र चल रहा है.
अब संसद से भी मंजूरी जरुरी
बंगाल में विधानसभा की कुल 294 सीटें हैं और अगर विधान परिषद का गठन होता है तो उसमें 98 सीटें ही हो सकती हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि विधान परिषद की सीटों के संख्या विधानसभा की कुल सीटों की संख्या से एक तिहाई से ज्यादा नहीं हो सकती.
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ममता बनर्जी सरकार की ओर से विधानसभा में पेश विधान परिषद बनाने का प्रस्ताव पास हो गया है, लेकिन अब इसे संसद के दोनों सदनों यानी लोकसभा (Lok Sabha) और राज्यसभा (Rajya Sabha) से बहुमत से पास कराना होगा. इस तरह से विधानसभा परिषद का गठन केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की मंजूरी के बिना नहीं हो सकता.
कितने राज्यों में विधान परिषद
पश्चिम बंगाल में 5 दशक पहले विधान परिषद की व्यवस्था थी, लेकिन बाद में इसे खत्म कर दिया गया था. आजादी के बाद 5 जून 1952 को राज्य में 51 सदस्यों वाली विधान परिषद का गठन किया गया. लेकिन बाद में 21 मार्च 1969 को इसे खत्म कर दिया गया.
हालांकि 2011 में ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल की सत्ता में आते ही विधान परिषद के गठन का वादा किया था.
फिलहाल उत्तर प्रदेश के अलावा आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र और बिहार में विधान परिषद की व्यवस्था है. इस परिषद को विधानसभा का उच्च सदन भी कहते हैं. इससे पहले जम्मू- कश्मीर में भी विधान परिषद थी लेकिन केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद इसकी मान्यता खत्म हो गई.