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बंगाल पंचायत चुनाव में बड़े चेहरों की बदौलत क्या TMC को मात दे पाएगी BJP? : आज का दिन, 5 जनवरी

ग्रीन हाइड्रोजन मिशन से आएगी पेट्रोल-डीजल के इस्तेमाल में कमी, पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में क्या TMC को हरा पाएगी BJP और UNSC में भारत का कार्यकाल पूरा, हासिल क्या रहा? सुनिए 'आज का दिन' में.

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बंगाल पंचायत चुनाव में बड़े चेहरों की बदौलत क्या TMC को मात दे पाएगी BJP?
बंगाल पंचायत चुनाव में बड़े चेहरों की बदौलत क्या TMC को मात दे पाएगी BJP?

देश हो दुनिया, हर जगह बदलते क्लाइमेट, प्रदूषण की समस्या को कम करने के लिए काम चल रहा है. अभी कुछ ही दिन पहले COP 27 की मीटिंग में दुनिया भर के तमाम देशों ने कार्बन एमिशन कम करने की बात कही थी. कल देश की राजधानी दिल्ली में कैबिनेट मीटिंग हुई. जिसमें नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मंजूरी दी गई है. केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के अनुसार इस मिशन के तहत सरकार भारत को ग्रीन हाइड्रोजन हब बनाना चाहती है. और केंद्र सरकार ने 2030 तक 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन बनाने का लक्ष्य भी रखा है. 19744 करोड़ रुपए भी इस प्रोजेक्ट को दिए जाएंगे. खास बात ये है कि सरकार हाइड्रोजन प्रोडक्शन के लिए प्राइवेट कम्पनीज को इंसेंटिव देगी. इस मिशन का ऐलान 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था, लेकिन अब इसे अमलीजामा पहनाने के तैयारी है.

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हाइड्रोजन के जरिए पेट्रोल,डीजल और कोयले का विकल्प ढूंढती सरकार के इस मिशन में क्या खास है और किस तरह से इस मिशन को चलाने की तैयारी है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें. 

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 पिछले कुछ सालों में बीजेपी लगातार देश की राजनीति में सफल हो रही है. लेकिन इसी सफलता के स्वाद में कंकड़ बन कर आ जाता है पश्चिम बंगाल. तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी के मजबूत पकड़ के सामने बीजपी हर बार मुंह की खाती रही. अब वहाँ पर पंचायत चुनाव होने हैं. और बंगाल में अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटी बीजेपी इन चुनावों में भी पूरे दमखम से उतरने जा रही है. आलम ये है कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से लेकर गृह मंत्री अमित शाह तक सब इन चुनावों के लिए कैम्पेन करने जा रहे हैं. इससे पहले बीजेपी जिन विधानसभा सीटों पर हारी थी, वहाँ हर साल रैली आयोजित कर रही है. बीजेपी की इस राह में एक ही रोड़ा है , वो है उसका कमजोर संगठन. 2021 विधानसभा चुनावों के बाद लगातार पार्टी के नेता पार्टी छोड़ते रहे हैं. ऐसे में इन पंचायत चुनावों में टीएमसी की मजबूत पकड़ को बीजेपी इन बड़े चेहरों के सहारे कितना कमजोर कर सकेगी? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें. 
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साल 2022 बीतने के साथ ही भारत समेत कुल 5 देशों की यूएनएससी सदस्यता समाप्त हो गई. इस साल से 5 नए देश इस ग्रुप में बतौर अस्थायी सदस्य शामिल हो रहे हैं. दो साल का कार्यकाल रहा भारत का. इस दौरान कई मुद्दों पर भारत ने आवाज भी उठाई. आतंकवाद से लेकर रूस यूक्रेन युद्ध तक. दिसंबर में भारत के पास इसकी अध्यक्षता भी आई ही थी. इसी दौरान ये भी मांग कई देशों ने की थी कि भारत को यूएनएससी का परमानेंट मेम्बर बनाया जाए. हालांकि ये रास्ता चीन और अमेरिका के रहते इतना आसान कहाँ. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए यूएन सिक्योरिटी काउंसिल को 1946 में बनाया गया था. तभी इसका पहला सेशन भी हुआ था. भारत समेत कई देशों की मांग ये है कि तबसे लेकर जियो पॉलिटिक्स बहुत बदल गई है, ऐसे में परमानेंट मेम्बर के तौर पर कुछ नए देशों को शामिल किया जाए. अभी नियम ये है कि 5 परमानेंट मेम्बर्स के अलावा बाकी के दस मेम्बर्स टेम्प्रेरी तौर पर दो साल के लिए चुने जाते हैं. भारत 2 साल के लिए सदस्य बना था, 2020 में, अब उसका कार्यकाल 2022 जाने के साथ ही खत्म हो गया. इसी के साथ 2028 की सदस्यता के लिए भारत ने फिर से अप्लाई भी कर दिया है. इस टेन्योर में भारत का क्या हासिल रहा और पिछले दो साल भारत के लिए किस तरह से यूएएनएससी में महत्वपूर्ण रहे? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें. 

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