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'रन्या-तरुण 26 बार दुबई गए, सुबह जाकर शाम को लौटे...', गोल्ड स्मगलिंग केस में नए खुलासे

जांच में सामने आया है कि तरुण और रन्या अब तक 26 बार एक साथ दुबई की यात्रा कर चुके हैं. दिलचस्प बात यह है कि वे सुबह दुबई जाते और शाम को वापस लौट आते थे. जांच एजेंसियों का मानना है कि यह पैटर्न बेहद संदिग्ध है और इससे यह आशंका बढ़ जाती है कि आरोपी कभी भी देश छोड़कर भाग सकता है.

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रन्या राव और तरुण
रन्या राव और तरुण

दुबई से सोने की तस्करी के मामले में गिरफ्तार एक्ट्रेस रन्या राव की जमानत याचिका पर आज आर्थिक अपराधों के लिए विशेष अदालत में सुनवाई हुई. इस दौरान डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (DRI) के वकील मधुराव ने मामले में दूसरे आरोपी तरुण की जमानत का कड़ा विरोध किया और अदालत के समक्ष कई चौंकाने वाले खुलासे किए.

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मधुराव ने बताया कि कस्टम्स एक्ट के तहत एक करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के सामान को बिना अनुमति देश में लाना अपराध है. इसी आरोप में रन्या राव को गिरफ्तार किया गया था. उनकी गिरफ्तारी के बाद जब्त किए गए दस्तावेजों और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की फॉरेंसिक जांच की गई जिसमें कई अहम जानकारियां सामने आईं और दूसरे आरोपी तरुण की भूमिका भी उजागर हुई.

रन्या ने बुक की थी तरुण की फ्लाइट टिकट

जांच में यह सामने आया कि तरुण दुबई से हैदराबाद आया था और उसकी यात्रा की टिकट रन्या ने खुद बुक की थी. इतना ही नहीं, टिकट का भुगतान भी रन्या ने तरुण के बैंक खाते में पैसा ट्रांसफर करके किया था. इसके सबूत जांच एजेंसियों के पास मौजूद हैं. यही नहीं, दुबई में तरुण ने रन्या को सोना भी सौंपा था, जिसे भारत लाने की तैयारी थी.

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तरुण के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर भी जारी किया गया था, ताकि वह देश छोड़कर न भाग सके. बावजूद इसके, तरुण ने फरार होने की कोशिश की. 8 तारीख को तरुण ने देश छोड़कर भागने की कोशिश की. जब उसे कोई और रास्ता नहीं सूझा, तो वह हैदराबाद से बेंगलुरु भाग गया. हालांकि, जांच एजेंसियों ने उसे पकड़ लिया और गिरफ्तारी के सभी दस्तावेजों और कारणों को अदालत में पेश किया.

भागने की फिराक में था तरुण?

DRI के वकील मधुराव ने साफ किया कि गिरफ्तारी के दौरान किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं किया गया. तरुण की बहन को गिरफ्तारी की जानकारी दी गई और पूरी प्रक्रिया कानूनी दायरे में रहकर पूरी की गई. जांच में यह भी सामने आया कि तरुण अमेरिकी नागरिक है, जिससे मामले की गंभीरता और बढ़ जाती है.

अदालत में सुनवाई के दौरान तरुण की यात्रा पर भी सवाल उठे. उसने दावा किया था कि वह जिनेवा जा रहा था, लेकिन वह हैदराबाद और फिर बेंगलुरु पहुंच गया. अब सवाल यह उठता है कि अगर उसे वाकई जिनेवा जाना था तो उसने यह रूट क्यों चुना?

तरुण और रन्या ने 26 बार की दुबई की यात्रा

मधुराव ने दलील दी कि तरुण और दुबई के बीच हुए बिजनेस लेन-देन की गहराई से जांच होनी चाहिए. दुबई में सोने की खरीद के लिए किए गए भुगतान की भी बारीकी से जांच जरूरी है. इसके अलावा, गोल्ड स्मगलिंग नेटवर्क के अंतरराष्ट्रीय लिंक को उजागर करने के लिए भी जांच की जरूरत है.

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जांच में यह भी सामने आया कि तरुण और रन्या अब तक 26 बार एक साथ दुबई की यात्रा कर चुके हैं. दिलचस्प बात यह है कि वे सुबह दुबई जाते और शाम को वापस लौट आते थे. जांच एजेंसियों का मानना है कि यह पैटर्न बेहद संदिग्ध है और इससे यह आशंका बढ़ जाती है कि आरोपी कभी भी देश छोड़कर भाग सकता है.

बचाव पक्ष ने आरोपों का किया खंडन

तरुण की जमानत याचिका पर विशेष अदालत में बचाव पक्ष की ओर से भी दलीलें पेश की गईं. तरुण के वकील देवराजू ने अदालत में जमानत के पक्ष में तर्क देते हुए कहा कि उनके मुवक्किल के विदेश भागने की कोई संभावना नहीं है. वहीं, डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (DRI) के वकीलों ने इस दावे का खंडन किया और कहा कि तरुण विदेश जाने की योजना बना रहा था.

बचाव पक्ष के वकील देवराजू ने दलील दी कि तरुण का पासपोर्ट पहले से ही DRI के पास जमा है, ऐसे में उसके विदेश भागने की संभावना नहीं हो सकती. उन्होंने कहा कि तरुण अमेरिका का मूल निवासी है और पिछले एक दशक से भारत में रह रहा है. वह किसी भी तरह से सबूतों से छेड़छाड़ नहीं कर सकता इसलिए उसे जमानत मिलनी चाहिए.

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कल फैसला सुनाएगी अदालत

DRI की ओर से पेश वकीलों ने अदालत में दावा किया कि तरुण दुबई में कस्टम क्लियरेंस की प्रक्रिया पूरी करता था, जिसके बाद यह सोना जिनेवा या बैंकॉक भेजा जाता था. बाद में रन्या इसे भारत लाने का काम करती थीं. हालांकि, बचाव पक्ष ने इस आरोप पर सवाल उठाते हुए कहा कि DRI के पास इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं है. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. कोर्ट अब इस मामले में कल अपना फैसला सुनाएगा.

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