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NSG Raising Day: क्यों 'सर्वत्र सर्वोत्तम सुरक्षा' प्रदान करती है NSG? जानिए हमारे बेहतरीन कमांडो फोर्स की ताकत

जब भी दुश्मनों ने देश को मुसीबत में डाला, हमारे ब्लैक कैट यानी NSG कमांडो ने उन्हें मौत दिखाई है. चाहे वह स्वर्ण मंदिर में ऑपरेशन ब्लैक थंडर हो. 26/11 हमले के आतंकियों को मारना हो. या फिर जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से भिड़ना हो या चीनी घुसपैठ का जवाब देना हो. ये अपनी जान लड़ा देते हैं.

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आज यानी 16 अक्टूबर 2022 को NSG का 38वां स्थापना दिवस है.
आज यानी 16 अक्टूबर 2022 को NSG का 38वां स्थापना दिवस है.

नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (National Security Guard - NSG) का आज 38वां स्थापना दिवस (38th Raising Day) है. ये देश की बेहतरीन कमांडो फोर्स है. इसके एक-एक कमांडों दर्जनों दुश्मनों पर अकेले भारी पड़ते हैं. सिर्फ आतंकियों को मारना ही इनका मुख्य काम नहीं है. ये होस्टेज की स्थिति को संभालते हैं. सीक्रेट मिशन करते हैं. सर्जिकल स्ट्राइक या फिर युद्ध से पहले जासूसी करनी हो. आसमान हो, जमीन हो या फिर पानी... कहीं भी ये दुश्मन को मौत दिखा देते हैं. ये मारने और मरने दोनों के लिए तैयार रहते हैं. ये हैं हमारे NSG कमांडो. 

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एनएसजी कमांडो फोर्स (NSG Commando Force) ही देश के ब्लैक कैट्स हैं. इस फोर्स में 10 हजार कमांडो हैं. जिन्हें अलग-अलग कामों के लिए अलग-अलग टीमों में बांटा गया है. ये आतंकरोधी अभियानों में पूरी तरह से प्रशिक्षित होते हैं. इसमें देश के किसी भी सैन्य, अर्द्धसैनिक बल या पुलिस से जवान शामिल हो सकते हैं. इनकी ट्रेनिंग 14 महीने की होती है. यह गृह मंत्रालय के तहत काम करते है. यह वीआईपी सिक्योरिटी, हाईजैकिंग रोकने, बम का पता लगाने जैसे अन्य कार्यो के लिए भी तैनात किए जाते हैं. इसका ध्येय वाक्य है- 'सर्वत्र सर्वोत्तम सुरक्षा'. 

NSG 38th Raising Day

ये हैं NSG कमांडो के बहादुरी के किस्से 

एनएसजी कमांडो फोर्स (NSG Commando Force) को 16 अक्टूबर 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के समय बनाया गया था. शुरुआत में इसका इस्तेमाल सबसे ज्यादा पंजाब में हुआ. उसके बाद जम्मू और कश्मीर में. 1 मई 1986 को 300 NSG कमांडो ने 700 बीएसएफ जवानों के साथ मिलकर स्वर्ण मंदिर को आतंकियों से मुक्त कराया था. इसके बाद 1988 में इन्होंने पंजाब के मांड इलाके में ऑपरेशन ब्लैक हॉक पूरा किया. दो आतंकी मारे गए. 

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12 मई 1988 में 1000 NSG कमांडो ने ऑपरेशन ब्लैक थंडर-2 किया. फिर से स्वर्ण मंदिर को घेरा गया. 15 से 18 मई तक चले असॉल्ट ऑपरेशन में 40 आतंकी मारे गए. 200 ने सरेंडर कर दिया था. फिर ऑपरेशन माउस ट्रैप किया गया. 1990 में कोलकाता में थाईलैंड के विमान में बर्मा के स्टूडेंट्स को होस्टेज सिचुएशन से बचाया. 1993 में जब आतंकियों ने इंडियन एयरलाइंस के विमान को अमृतसर एयरपोर्ट हाईजैक किया तब NSG कमांडों फोर्सेज ने ऑपरेशन अश्वमेध चलाया. जिसमें दोनों आतंकियों को मार गिराया गया था. तीसरे को गिरफ्तार कर लिया गया. 

NSG 38th Raising Day

साल 2002 में गुजरात के अक्षरधाम मंदिर में आतंकियों को मौत के घाट उतारा. इसके बाद 26/11 मुंबई हमले में पाकिस्तानी आतंकियों को मार गिराया. इसमें कई एनएसजी जवान जख्मी हुए. मेजर संदीप उन्नीकृष्णन और हवलदार गजेंद्र सिंह बिष्ट शहीद हो गए. एनएसजी ने मुंबई में ऑपरेशन ब्लैक टॉरनैडो चलाया था. ताज होटल के 900 कमरे तलाशे गए, 8 आतंकियों को मार गिराया और 600 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाला. इसके अलावा एनएसजी ने हैदराबाद, बेंगलुरु, पटना पर हुए ब्लास्ट का खुलासा किया. 2016 में जब आतंकियों ने पठानकोट पर हमला किया तब NSG ने एक्शन लिया. जवाबी हमले में लेफ्टिनेंट कर्लन निरंजन शहीद हो गए. इस ऑपरेशन में छह आतंकी मारे गए थे.   

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कितने प्रकार की टीम होती है NSG के पास

एनएसजी के पास पांच प्रकार की टीम है. जो अलग-अलग कार्यों के लिए बनाई गई है. ये टीम खतरनाक मिशनों को पूरो करने में अव्वल है. 

स्पेशल एक्शन ग्रुप (SAG): एनएसजी के इस ग्रुप में सबसे खतरनाक टीम है 51 और 52 एसएजी. इनके साथ काम करती है 11 SRG. ये तीनों मिलकर आतंकरोधी मिशन अंजाम देते हैं. एंटी-हाईजैकिंग ऑपरेशन करते हैं. SAG के सैनिक भारतीय सेना से लिए जाते हैं. जबकि SRG के सदस्यों को सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स से लिया जाता है. 

NSG 38th Raising Day

स्पेशल रेंजर ग्रुप (SRG): एनएसजी के पास तीन स्पेशल रेंजर ग्रुप है. 11, 12 और 13. 11 एसआरजी आतंकरोधी मिशनों के लिए तैनात है. इनकी भर्ती बीएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, असम राइफल्स से होती है. 

स्पेशल कंपोजिट ग्रुप (SCG): यह ग्रुप भारतीय सेना और अर्द्धसैनिक बलों के मिश्रण से बनाई जाती है. इनका मुख्य काम आतंकियों से लड़ना है. इनकी तैनाती है मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता और गांधीनगर में है. 

इलेक्ट्रॉनिक सपोर्ट ग्रुप (ESG): ये ग्रुप मानेसर में तैनात रहती है. यह अपने अन्य कमांडो समूहों को कम्यूनिकेशन और टेक्नोलॉजिकल सपोर्ट प्रदान करती है. 

नेशनल बॉम्ब डेटा सेंटर (NBDC): ये ग्रुप बम को डिटेक्ट करने. उन्हें निष्क्रिय करने का काम करती है. या फिर कहीं बम धमाके हो जाते हैं तो उन घटनाओं की जांच करने में मदद करते हैं. इन्हें खास तरह की एक्सप्लोसिव इंजीनियरिंग की ट्रेनिंग कराई जाती है. 

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NSG 38th Raising Day

NSG के हथियार, ड्रोन्स और गाड़ियां

NSG कमांडों के पास ग्लॉक-17 पिस्टल, सिग एसजी 551 असॉल्ट राइफल, बरेटा एआर70/90 असॉल्ट राइफल, फ्रांची एसपीएस-15 शॉटगन, एम249 लाइट मशीन गन, हेकलर एंड कोट स्नाइपर राइफल, टेवोर बुलपप राइफल, बेरेट स्नाइपर राइफल, हेकलर एंड कोच सबमशीन गन, सिग सबमशीन गन, ग्लॉक के खंजर, कॉर्नर शॉट गन होते हैं. इसके अलावा एनएसजी के पास ब्लैक हॉर्टेन नैनो मिलिट्री ड्रोन और एक आत्मघाती हमला करने वाला कामीकेज ड्रोन भी रहता है. NSG कमांडो को जरूरत पड़ने पर तुरंत भारतीय वायुसेना का ट्रांसपोर्ट विमान मिलता है. इसके अलावा इनके पास अपने बख्तरबंद वाहन और टैक्टिकल लैडर ट्रक भी होते हैं.  

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