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संतूर वादक भजन सोपोरी का निधन, गुरुग्राम के अस्पताल में चल रहा था इलाज

संतूर वादक भजन सोपोरी का निधन हो गया है. गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. वे लंबे समय से बीमार थे, लेकिन आज गुरुवार को उनकी तबीयत ज्यादा खराब हुई और फिर उनके निधन की खबर आ गई.

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संतूर वादक भजन सोपोरी का निधन
संतूर वादक भजन सोपोरी का निधन
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 74 साल की उम्र में भजन सोपोरी का निधन
  • फोर्टिस अस्पताल में चल रहा था इलाज

संतूर वादक भजन सोपोरी का निधन हो गया है. गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. वे लंबे समय से बीमार थे, लेकिन आज गुरुवार को उनकी तबीयत ज्यादा खराब हुई और फिर उनके निधन की खबर आ गई.

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उनका जाना शास्त्रीय संगीत के लिए एक बड़ी क्षति है जिसे कभी नहीं भरा जा सकेगा. पिछले महीने पंडित शिवकुमार शर्मा का भी निधन हो गया था और अब भजन सोपोरी का.  उनके योगदान के लिए उन्हें प्रतिष्ठित राष्ट्रीय कालिदास सम्मानित किया जा चुका है. वे सोपोरी सूफियाना घराने से ताल्लुक रखते थे और पूरी दुनिया में अपनी कला के दम पर उन्होंने एक अलग पहचान बनाई थी.

उन्हें उनकी कला के लिए पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया था. लेकिन 74 साल की उम्र में सेहत ने उनका साथ देना थोड़ा कम कर दिया. उन्हें गुरुग्राम के अस्पताल में एडमिट जरूर करवाया गया, डॉक्टरों का भी पूरा प्रयास रहा, लेकिन गुरुवार को उन्होंने अंतिम सांस ली और संगीत जगत में एक बड़ा खालीपन छोड़ गए.

भजन सोपोनी की कला इतनी महान थी कि वे संतूर से लेकर सितार तक, सब बजा सकते थे. उनके पास इंडियन क्लासिकल म्यूसिक में डबल मास्टर की डिग्री थी. उन्होंने इंग्लिश लिट्रेचर में भी मास्टर डिग्री ले रखी थी. ऐसे में संगीत के साथ-साथ भाषा पर भी उनकी जबरदस्त पकड़ रहती थी. वैसे उन्हें ये कला भी अपने महान वादक पंडित शंकर पंडित जी से देन में मिली थी. शंकर पंडित ने ही भारत में सूफि बाज स्टाइल को लोकप्रिय बनाया था. बाद में सोपोरी ने भी उस कला को आगे बढ़ाया और संतूर को भी एक अंतरराष्ट्रीय पहचान दिला दी.

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1950 के दशक में ही वे संतूर के साथ दुनियाभर में कॉन्सर्ट करने लगे थे. क्लासिकल म्यूसिक को संतूर के जरिए उन्होंने एक नया आयाम दे दिया था. उन्होंने अपने संतूर के साथ ही इतने एक्सपेरिमेंट किए कि उनके लिए वो एक वाद्य यंत्र ही हमेशा काफी रहा और वे सभी का दिल जीतते रहे.

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