'बुलबुल' के विवाद के बाद वीर सावरकर एक बार फिर राजनीति के केन्द्र में हैं. इस बार मामला केरल में कांग्रेस की 'भारत जोड़ो यात्रा' के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों के एक पोस्टर पर उनकी फोटो दिखने के बाद उछला है. बीजेपी के एक नेता ने कांग्रेस की यात्रा के दौरान वीर सावरकर की फोटो दिखने को लेकर जहां राहुल गांधी से लेकर जवाहर लाल नेहरू तक चुटकी ली, वहीं कांग्रेस की ओर से जबरदस्त पलटवार किया गया. उसने भी इस मामले में वीर सावरकर की माफी और अटल बिहारी वाजपेयी की बटेश्वर केस की गवाही से जुड़े विवाद को सामने कर दिया.
कांग्रेस ने बताया प्रिंटिंग मिस्टेक
बीजेपी की आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने 'भारत जोड़ो यात्रा' के एक पोस्टर की तस्वीर ट्वीट की थी. इसमें स्वतंत्रता सेनानियों के बीच में वीर सावरकर की भी फोटो है. इस पर कांग्रेस ने अपना बचाव करते हुए इसे प्रिंटिंग मिस्टेक बताया है. कांग्रेस का कहना है कि वो पोस्टर पर स्वतंत्रता सेनानियों की तस्वीर चाहते थे. बूथ स्तर के एक कार्यकर्ता ने बताया कि पोस्टर डिजाइन करने वाले लड़के ने ऑनलाइन इन फोटो को खोजा था. उनकी ओर से इसकी सही से जांच नहीं हो सकी. ये एक प्रिंटिंग मिस्टेक है.
अमित मालवीय ने ली चुटकी
वीर सावरकर वाले पोस्टर की तस्वीर केरल के एर्नाकुलम में एयरपोर्ट के नजदीक की बताई जा रही है. इस फोटो के साथ अमित मालवीय ने लिखा- एर्नाकुलम में कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में वीर सावरकर की फोटो भी है. देर से ही सही, राहुल गांधी के लिए ये अच्छा रियलाइजेशन है, जिनके परनाना नेहरू ने पंजाब के नाभा जेल से सिर्फ दो हफ्ते में ही बाहर आने के लिए अंग्रेजों से गुहार लगाई थी, और एक दया याचिका पर हस्ताक्षर किए थे.
Veer Savarkar’s pictures adorn Congress’s Bharat Jodo Yatra in Ernakulum (near airport). Although belated, good realisation for Rahul Gandhi, whose great grandfather Nehru, signed a mercy petition, pleaded the British to allow him to flee from Punjab’s Nabha jail in just 2 weeks. pic.twitter.com/i8KxicPl1y
— Amit Malviya (@amitmalviya) September 21, 2022
जयराम का बीजेपी पर पलटवार
हालांकि अमित मालवीय के बयान पर कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि उनका फैक्ट से कोई लेना-देना नहीं है. वो इसे तोड़-मरोड़कर कर पेश करते हैं और मानहानि करते हैं. हम उनके खिलाफ मानहानि का नोटिस भेज रहे हैं. ये बात भी चौंकाने वाली है कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ऐसे सवाल उठा रही है. ये सीपीएम और बीजेपी के बीच का गठबंधन है जैसा कि वीपी सिंह की सरकार के समय हुआ था.
खेड़ा ने उठाया 'बटेश्वर गवाही' का मामला
हीं कांग्रेसी नेता पवन खेड़ा ने भी इस बारे में बीजेपी पर पलटवार किया. उन्होंने कहा कि नेहरू (जवाहर लाल नेहरू) ने करीब 10 साल का वक्त जेल में गुजारा और कभी भी कोई दया याचिका नहीं लिखी, जैसी पहले सावरकर और फिर बाद में वाजपेयी (अटल बिहारी वाजपेयी) और अन्य ने लिखी. क्या बटेश्वर की गवाही की बात की जाए?
Typical Malaviya BS that is peddled as history. Nehru spent a total of almost ten years in jail and never ever submitted a mercy petition like Savarkar first and later Vajpayee and others. Let’s talk about the Bateshwar back stabbing…. https://t.co/2Kym4Znrwb
— Pawan Khera 🇮🇳 (@Pawankhera) September 21, 2022
क्या है 1942 का बटेश्वर केस?
बटेश्वर का मामला साल 1942 का है. ये वो विवाद है जिसने अटल बिहारी वाजपेयी का पीछा कभी नहीं छोड़ा. अटल बिहारी वाजपेयी आगरा के पास बटेश्वर के रहने वाले थे. उन पर आरोप लगता रहा है कि 1942 में जब 'भारत छोड़ो आंदोलन' चल रहा था, तो वन विभाग के एक कार्यालय पर तिरंगा फहराने की घटना के बारे में उन्होंने अंग्रेजों के सामने गवाही दी थी, जिसकी वजह से 4 स्वतंत्रता सेनानियों को सजा हुई थी. हालांकि वाजपेयी ने कई बार इस विवाद से पीछा छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन 2004 में उनके आखिरी लोकसभा चुनाव के वक्त भी उनके खिलाफ चुनाव लड़ रहे राम जेठमलानी ने इस मामले को सामने रख दिया था. उन्होंने लीलाधर वाजपेयी को आगे कर इस विवाद को हवा दी थी. लीलाधर वाजपेयी भी बटेश्वर वाले मामले में जेल जाने वाले लोगों में शामिल थे.