भारत रत्न और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का लंबी बीमारी के बाद आज सोमवार को निधन हो गया. उनका लंबे समय से हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था. उनका अंतिम संस्कार मंगलवार को किया जाएगा. अंतिम संस्कार उनके पैतृक राज्य पश्चिम बंगाल के बजाए राजधानी दिल्ली में ही किया जाएगा.
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब का पार्थिव शरीर मंगलवार सुबह 9 बजे दिल्ली के 10 राजाजी मार्ग में श्रद्धांजलि देने के लिए रखा जाएगा. सुबह सवा 9 बजे से गणमान्य व्यक्तियों द्वारा श्रद्धांजलि दी जाएगी. फिर 11 बजे से 12 बजे के बीच आम जनता अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित कर सकेंगे.
कोरोना संकट को देखते हुए लोगों से सामाजिक दूरी का पालन करने का निर्देश दिया गया है. दिल्ली के लोधी श्मशान घाट पर दोपहर 2.30 बजे दाह संस्कार किया जाएगा. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत प्रणब के अंतिम संस्कार में शामिल होंगे.
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का आज दिल्ली में निधन हो गया. प्रणब का आर्मी रिसर्च एंड रेफरल हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था. वह 84 साल के थे.
प्रणब मुखर्जी देश के 13वें राष्ट्रपति थे. वह पिछले काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उनकी कोरोना रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई थी.
निधन से शोक की लहर
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देशभर के कई नेताओं ने गहरा शोक जताया. प्रधानमंत्री मोदी ने प्रणब मुखर्जी के साथ अपनी तस्वीरें ट्वीट कर उनको श्रद्धांजलि दी. प्रधानमंत्री ने उनसे मिली सलाहों को यादगार बताया.
प्रधानमंत्री ने एक के बाद किए अपने कई ट्वीट में कहा, भारत रत्न प्रणब मुखर्जी के निधन पर पूरा भारत शोकाकुल है. उन्होंने हमारे राष्ट्र के विकास पथ पर एक अमिट छाप छोड़ी है. वह एक उत्कृष्ट विद्वान और राजनीतिज्ञ थे. समाज के सभी वर्गों और राजनीतिक वर्ग में उनकी प्रशंसा होती थी.
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, 'दशकों के अपने राजनीतिक जीवन के दौरान, प्रणब मुखर्जी ने प्रमुख आर्थिक और रणनीतिक मंत्रालयों में लंबे तक अपना योगदान दिया. वह एक नायाब सांसद थे. हमेशा अच्छी तरह से तैयार, बेहद मुखर और साथ ही विनोदप्रिय भी.'
प्रधानमंत्री मोदी ने प्रणब मुखर्जी को जनता का राष्ट्रपति करार दिया. उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, 'भारत के राष्ट्रपति के रूप में, प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन को आम नागरिकों के लिए और भी सुलभ बनाया. प्रणब ने राष्ट्रपति आवास को सीखने, नवाचार, संस्कृति, विज्ञान और साहित्य का केंद्र बनाया. प्रमुख नीतिगत मामलों पर उनकी बुद्धिमान सलाह मेरे द्वारा कभी भुलाई नहीं जाएगी.'