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'36 साल की तपस्या का फल मिला...', कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के फैसले पर बेटे ने मोदी सरकार का जताया आभार

जननायक के रूप में मशहूर बिहार के समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर को राष्ट्रपति ने भारत रत्न देने का ऐलान किया है. इसको लेकर आजतक ने उनके बेटे और राज्यसभा सांसद रामनाथ ठाकुर से बात की. उन्होंने कहा कि यह 34 साल की तपस्या का फल है.

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रामनाथ ठाकुर और उनके पिता कर्पूरी ठाकुर
रामनाथ ठाकुर और उनके पिता कर्पूरी ठाकुर

बिहार की राजनीति में एक अहम चेहरा रहे कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिया जाएगा. राष्ट्रपति कार्यालय ने इस बारे में एक बयान जारी कर जानकारी दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सिफारिश पर राष्ट्रपति ने जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का ऐलान किया है. इस फैसले पर उनके बेटे रामनाथ ठाकुर ने कहा कि यह 34 साल की तपस्या का फल है. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री को भी इस बारे में चिट्ठी लिखी थी.

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रामनाथ ठाकुर ने कहा कि 34 साल का संघर्ष है तब जाकर उनके पिता कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिया जा रहा है. प्रधानमंत्री ने उन्हें यह सम्मान दिए जाने की मांग का जवाब तो नहीं दिया था लेकिन अब इसका ऐलान किया है तो इससे वह काफी खुश हैं. रामनाथ ठाकुर ने आजतक से बातचीत में कहा कि बहुत खुशी है कि उनके पिता को भारत रत्न सम्मान दिया जा रहा है, जो कि देश का सर्वश्रेष्ठ सम्मान माना जाता है.

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जेडीयू ने भारत रत्न देने की मांग की थी

रामनाथ ठाकुर जनता दल यूनाइटेड के नेता हैं और अभी राज्यसभा सांसद हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का बहुत शुक्रिया कि उन्होंने आज कर्पूरी जी को भारत रत्न दिए जाने का ऐलान किया. बताया जा रहा है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस बारे में केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखी थी और खासतौर से मांग की थी कि कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिए.

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कौन थे कर्पूरी ठाकुर?

प्रमुख समाजवादी नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है. उन्हें जननायक कहा जाता है. उन्होंने पिछड़े वर्गों के हितों की वकालत की और मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान विभिन्न गरीब समर्थक पहलों को लागू किया, जिसमें भूमि सुधार और वंचितों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से नीतियां शामिल थीं.

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कर्पूरी ठाकुर उत्थान के लिए अपनी अटूट प्रतिबद्धता के लिए प्रसिद्ध थे. दलित और उनके दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ी. सामाजिक न्याय और सबका विकास सुनिश्चित करने की उनकी कोशिशों ने एक स्थायी प्रभाव छोड़ा है.

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