गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा से किसान आंदोलन को बड़े झटके लग रहे हैं. हिंसा के दूसरे दिन यानी आज बुधवार को किसान आंदोलन के साथ जुड़े 2 संगठनों ने आंदोलन से हटने का ऐलान किया है. राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन और भारतीय किसान यूनियन (भानु) अब आंदोलन से अलग हो चुके हैं.
भारतीय किसान यूनियन (भानु) भी राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के बाद किसान आंदोलन से अलग हो गया. भारतीय किसान यूनियन (भानु) के अध्यक्ष भानु प्रताप ने आज चिल्ला बॉर्डर पर कहा कि कल दिल्ली में जो कुछ हुआ उससे मुझे बेहद तकलीफ पहुंची है और हम अपने 58 दिन के आंदोलन को खत्म कर रहे हैं.
भानु प्रताप सिंह ने आजतक के साथ बातचीत में कहा, 'जो कल हुआ है लाल किले पर, जो दूसरा झंडा फहराया गया है उनका मैं विरोध करता हूं. जिन लोगों ने पुलिस पर हमला किया है उनका विरोध, जिन्होंने उदडंता किया है उनका विरोध, जिन्होंने किसान संगठनों को बदनाम किया है उनका मैं विरोध करता हूं. इन सारे घटनाक्रम से दुखी होकर मैं चिल्ला बॉर्डर से अपने नेताओं को हटाकर आंदोलन से अलग होने का ऐलान करता हूं.' उन्होंने कहा कि जो भी राजनीतिक दल इन झंडा फहराने वालों का समर्थन करता है उनका भी विरोध करता हूं.
किसान आंदोलन ने क्यों हटे किसान नेता भानु प्रताप #Dangal @sardanarohit #FarmersProtest pic.twitter.com/HLxsz3255j
— AajTak (@aajtak) January 27, 2021
पिछले महीने भी हटने का किया था ऐलान
इससे पहले भारतीय किसान यूनियन (भानु) ने पिछले साल दिसंबर में आंदोलन से हटने का ऐलान किया था लेकिन बाद में आंदोलन में बना रहा था. भारतीय किसान यूनियन (भानु) ने पिछले महीने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात करने के बाद चिल्ला बॉर्डर पर आंदोलन खत्म करने की बात कही थी.
हालांकि बाद में आंदोलन से पीछ हटने वाले भारतीय किसान यूनियन (भानु) के सुर बदल गए और सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि छल हुआ है. भारतीय किसान यूनियन (भानु) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानु प्रताप ने कहा कि पंजाब के किसानों को दिल्ली में घुसने नहीं दिया जा रहा है.
तब भानु प्रताप ने कहा था, '40 साल से प्रधानमंत्री लोगों से मिल रहे हैं. कोई प्रधानमंत्री नहीं रोकता था लेकिन न जाने क्यों ये प्रधानमंत्री किसानों को दिल्ली में घुसने ही नहीं दे रहे हैं. अब जैसी ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई हमारे साथ छल होने लगा.' भानु ने आगे कहा कि यह आंदोलन देश के सभी किसानों का है, किसी एक संगठन का नहीं है, सभी संगठन काले कृषि कानूनों के खिलाफ हैं और हमारे संगठन में कोई भी आपस में फूट नहीं है.
'लोगों को पिटवाने नहीं आए'
इससे पहले राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के नेता वीएम सिंह ने किसान आंदोलन से अलग होने का ऐलान करते हुए कहा कि उनका संगठन किसानों के आंदोलन से अलग हो रहा है. ये संगठन अब आंदोलन का हिस्सा नहीं होगा. उन्होंने कहा कि इस रूप से आंदोलन नहीं चलेगा. हम यहां पर शहीद कराने या लोगों को पिटवाने नहीं आए हैं.
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वीएम सिंह ने भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत पर भी आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि राकेश टिकैत सरकार के साथ बैठक में गए. उन्होंने यूपी के गन्ना किसानों की बात एक बार भी उठाई क्या? क्या उन्होंने धान की बात की. उन्होंने किस चीज पर बात की. हम केवल यहां से समर्थन देते रहें और वहां पर कोई नेता बनता रहे, ये हमारा काम नहीं है.
दिल्ली में कल मंगलवार को हुई हिंसा से नाराज किसान मजदूर संगठन के अध्यक्ष वीएम सिंह ने कहा कि हिंसा से हमारा कोई लेना-देना नहीं है. हिंदुस्तान का झंडा, गरिमा, मर्यादा सबकी है. उस मर्यादा को अगर भंग किया है, भंग करने वाले गलत हैं और जिन्होंने भंग करने दिया वो भी गलत हैं. उन्होंने आगे कहा कि आईटीओ में एक साथी शहीद भी हो गया. जो लेकर गया या जिसने उकसाया उसके खिलाफ पूरी कार्रवाई होनी चाहिए.