अडानी ग्रुप रिश्वत मामले में छत्तीसगढ़ लिंक सामने आने पर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गुरुवार को कहा था कि उनकी सरकार के दौरान कोई समझौता नहीं हुआ था. लेकिन 53 पन्नों वाला दस्तावेज (ई-स्टाम्प) आजतक के हाथ लगा है, जिससे साबित होता है कि भूपेश बघेल सरकार के दौरान भारत सरकार के नियंत्रण वाली कंपनी सोलर एनर्जी कारपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) और राज्य सरकार के स्वामित्व वाली छत्तीसगढ़ स्टेट पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (CPDCL) के बीच एक पावर सेल एग्रीमेंट (PSA) साइन हुआ था.
इस दस्तावेज के पहले और दूसरे पृष्ठ पर साफ-साफ लिखा है कि, 'यह पावर सेल एग्रीमेंट 12 अगस्त, 2021 को रायपुर में भारत सरकार के स्वामित्व वाली SECI (सोलर एनर्जी कारपोरेशन ऑफ इंडिया) और छत्तीसगढ़ सरकार के स्वामित्व वाली CPDCL (छत्तीसगढ़ स्टेट पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड) के बीच बना है.' मामले के केंद्र में अडानी ग्रीन एनर्जी और एक अन्य रिन्यूएबल-एनर्जी कंपनी, एज्योर पावर द्वारा सरकारी स्वामित्व वाली सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) को 12 गीगावाट सोलर एनर्जी सप्लाई करने का कॉन्ट्रैक्ट था.
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हालांकि, SECI को खरीदार ढूंढने में संघर्ष करना पड़ा. क्योंकि राज्य सरकारों के लिए SECI से सोलर एनर्जी खरीदना महंगा पड़ रहा था. खरीदारों के बिना सौदा आगे नहीं बढ़ सकता था और कंपनी के सामने बड़े नुकसान का जोखिम था. अडानी ग्रुप पर आरोप है कि उसने ओडिशा (तब नवीन पटनायक की बीजेडी द्वारा शासित), तमिलनाडु (डीएमके शासित), छत्तीसगढ़ (कांग्रेस शासित) और आंध्र प्रदेश (तब जगन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस का शासन था) में सोलर एनर्जी सप्लाई करने का कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए इन राज्यों के सरकारी अधिकारियों को रिश्वत ऑफर की.
रमन सरकार में हुआ समझौता: भूपेश बघेल
अडानी मामले में छत्तीसगढ़ लिंक पर कांग्रेस नेता और राज्य के पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, 'मैं राहुल गांधी द्वारा अडानी मामले में जेपीसी की मांग का समर्थन करता हूं...2020-2023 के बीच सीएम के रूप में मेरे कार्यकाल से संबंधित कोई मामला नहीं है. अगर राज्य की नई सरकार और अडानी के बीच कोई डील हुई है तो मुझे इसकी जानकारी नहीं है. कोरबा वेस्ट पावर प्लांट, रायगढ़, जीएमआर पावर प्लांट, रायपुर और लेन्को पावर प्लांट, कोरबा को केंद्र ने अडानी ग्रुप को दे दिया और इससे बैंकों को घाटा उठाना पड़ा. छत्तीसगढ़ बिजली बोर्ड से समझौता रमन सिंह के कार्यकाल में हुआ था. संबित पात्रा (भाजपा सांसद) अपनी ही सरकार पर आरोप लगा रहे हैं.'
अडानी ग्रुप रिश्वत मामले पर क्या बोली BJP?
अमेरिकी अभियोजकों ने गौतम अडानी पर सौर ऊर्जा अनुबंधों के लिए अनुकूल शर्तों के बदले भारतीय अधिकारियों को $250 मिलियन (लगभग ₹2,100 करोड़) से अधिक की रिश्वत देने की योजना में शामिल होने का आरोप लगाया है. भाजपा नेता संबित पात्रा ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि अमेरिकी अभियोजकों द्वारा उद्योगपति गौतम अडानी पर लगाए गए आरोपों में चार भारतीय राज्यों का नाम लिया गया है. यह मामला जुलाई 2021 से फरवरी 2022 के बीच का है, जब इन चारों राज्यों में विपक्षी दलों की सरकार थीं.
बीजेपी प्रवक्ता और पुरी के सांसद संबित पात्रा ने कहा, 'चार भारतीय राज्य, जिनके नाम अमेरिकी कोर्ट के सामने आए हैं, वे ओडिशा, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश हैं. उस समय, छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार सत्ता में थी. आंध्र प्रदेश में उस वक्त YSRCP की सरकार थी. तमिलनाडु में कांग्रेस की सहयोगी डीएमके की सरकार थी. ओडिशा में, बीजद सरकार थी. तो, दस्तावेज में जिन चार राज्यों का नाम दिया गया है, उनमें न तो बीजेपी के मुख्यमंत्री थे और न ही हमारी पार्टी द्वारा समर्थित सरकारें थीं. इन सभी में कांग्रेस और उसके सहयोगियों की सरकारें थीं.'
अमेरिका में गौतम अडानी पर क्या आरोप हैं?
अमेरिकी अभियोजकों ने गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर और अन्य 6 लोगों पर 2020 से 2024 के बीच भारत सरकार के अधिकारियों को उन शर्तों पर सौर ऊर्जा अनुबंध जीतने के लिए 250 मिलियन डॉलर (लगभग 2,100 करोड़ रुपये) से अधिक की रिश्वत देने का आरोप लगाया है, जिससे अडानी ग्रुप को 2 बिलियन डॉलर से अधिक का संभावित लाभ होना था. अभियोजकों ने आरोप लगाया है कि यह बात उन अमेरिकी बैंकों और निवेशकों से छुपाई गई थी, जिनसे अडानी समूह ने परियोजना के लिए अरबों डॉलर जुटाए थे. अमेरिकी कानून विदेशी कंपनियों पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर वहां की कोर्ट में सुनवाई की अनुमति देता है, यदि आरोपों का संबंध अमेरिकी निवेशकों या बाजारों से संबंध हो.
अडानी ग्रुप ने बयान जारी कर कही ये बात
इस पूरे मामले पर अडानी ग्रुप का बयान भी आया है. इसमें कहा गया है, 'अमेरिकी न्याय विभाग और SEC द्वारा अडानी ग्रीन के निदेशकों के खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार हैं और हम इन आरोपों का खंडन करते हैं. अमेरिकी न्याय विभाग ने खुद कहा है कि ये सिर्फ आरोप हैं और प्रतिवादी के दोषी साबित होने तक उसे निर्दोष माना जाएगा. हम हर संभव कानूनी विकल्प का उपयोग करेंगे. अडानी ग्रुप ने हमेशा अपने पारदर्शिता को प्राथमिकता दी है और नियामों का पालन किया है और ग्रुप इसे बरकरार रखने के लिए प्रतिबद्ध है.'