वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) नीति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पूर्व सैनिकों को बड़ी राहत दी. कोर्ट ने सरकार को ओआरओपी के तहत बकाया रकम का भुगतान 15 मार्च तक करने का आदेश दे दिया. सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सैनिक की याचिका पर सुनवाई के दौरान पेमेंट नहीं मिलने के सवाल पर यह आदेश दिया. मालूम हो कि ओआरओपी का भुगतान सशस्त्र बलों के उन कर्मियों को किया जाता है, जो समान सेवा अवधि के साथ समान रैंक पर सेवानिवृत्त होते हैं, भले ही उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख कुछ भी हो.
वहीं अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने सुप्रीम कोर्ट को बताया- मैं व्यक्तिगत रूप से इस मामले की निगरानी रख रहा हूं. इसे जल्द ही पेमेंट शुरू किया जाएगा. 25 लाख पेंशनभोगी हैं. लिस्ट अंतिम स्क्रीनिंग के लिए मंत्रालय के पास आ गई है. यह रक्षा मंत्रालय के फाइनेंस सेक्शन के पास है.
दिसंबर में OROP में किया गया है संशोधन
केंद्रीय कैबिनेट ने पिछले साल 23 दिसंबर को वन रैंक वन पेंशन योजना को संशोधित किया था. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने जानकारी देते हुए बताया था कि वन रैंक वन पेंशन का रिवीजन किया गया है. पहले इस योजना में 20.60 लाख पेंशनरों को लाभ मिलता था, लेकिन अब संशोधन के बाद 25 लाख को इसका फायदा मिलेगा. सरकार के इस फैसले से राजस्व पर 8500 करोड़ का भार भी आएगा.
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया था कि इसके तहत जुलाई 2019 से जून 2022 तक की अवधि का एरियर या बकाया भी दिया जाएगा, जिसमें 23,638.07 करोड़ रुपये की राशि बनती है. इसका लाभ सभी रक्षा बलों से सेवानिवृत होने वाले और परिवार पेंशनधारकों को मिलेगा.
वीआरएस लेने वालों को नहीं मिलेगा लाभ
अनुराग ठाकुर ने बताया था कि जिन रक्षा कर्मियों ने 1 जुलाई 2014 के बाद वीआरएस (वॉलंटरी रिटायरमेंट) ले लिया है, उन्हें इसका लाभ नहीं मिलेगा. उन्होंने बताया कि इस अवधि के बाद रिटायर हुए सुरक्षा कर्मियों का मिलाकर अब लाभार्थियों की संख्या बढ़कर 2513002 पर पहुंच गई है.
क्या है वन रैंक वन पेंशन स्कीम?
वन रैंक, वन पेंशन (ओआरओपी) का मतलब है कि सशस्त्र बलों से रिटायर होने वाले समान रैंक वाले अफसरों को समान पेंशन, भले वो कभी भी रिटायर हुए हों यानी 1980 में रिटायर हुए कर्नल और आज रिटायर होने वाले कर्नल को एक जैसी पेंशन.