बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना ने देश की राजनीति में भूचाल रखा है. नीतीश सरकार ने जो जाति जनगणना कराई थी, उसकी रिपोर्ट सोमवार को जारी की गई. इसके साथ ही बिहार में अलग-अलग जातियों के आंकड़े और वर्गों का प्रतिशत भी सामने आ चुका है. जाति आधारित गणना रिपोर्ट सार्वजनिक को होने के बाद नीतीश कुमार ने आज सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसमें 9 दल शामिल हुए. इस मीटिंग में कई दलों ने रिपोर्ट पर आपत्ति भी जताई है.
मुख्यमंत्री सचिवालय में नीतीश कुमार की मौजूदगी में कुल 9 अलग-अलग राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि इस बैठक में शामिल हुए. 2 घंटे तक चली बैठक के बाद आधिकारिक तौर पर कोई प्रेस ब्रीफिंग तो नहीं हुई लेकिन बैठक में पहुंचे अलग-अलग राजनीतिक दलों के नेताओं ने अपनी बात जरूर मीडिया के सामने रखी.
सर्वदलीय बैठक में जाति आधारित गणना रिपोर्ट को लेकर किन दलों के नेताओं ने कौन से सवाल रखे, ये हम आपको बताने जा रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी की तरफ से विधानसभा में विरोधी दल के नेता विजय कुमार सिन्हा और विधान परिषद में नेता विपक्ष हरि सहनी सर्वदलीय बैठक में शामिल हुए. विजय कुमार सिन्हा ने यह जरूर कहा कि बीजेपी जाति आधारित गणना का समर्थन करती है लेकिन जो आंकड़े आए हैं वह कहीं ना कहीं भ्रम फैला रहे हैं. ऐसा ना हो कि हड़बड़ी में गलत आंकड़े आएं.
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विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि केंद्र सरकार समाज के कमजोर वर्ग के लिए जो योजनाएं चला रही हैं. कहीं उन योजनाओं से लोग अछूते ना रह जाएं, असली चिंता इस बात की है. विजय कुमार सिन्हा ने बैठक में आर्थिक और सामाजिक आंकड़े भी जारी करने की मांग की. सरकार की तरफ से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह भरोसा दिया कि डेढ़ महीने के बाद यह आंकड़े भी जारी कर दिए जाएंगे. बैठक में तमाम दलों के प्रतिनिधियों के सामने प्रेजेंटेशन के जरिए यह बताया गया कि जाति आधारित गणना का काम कैसे पूरा किया गया. विपक्ष यह मांग भी करता रहा कि जिन 17 बिंदुओं पर लोगों से गणना के दौरान सवाल पूछे गए वह भी सार्वजनिक किए जाएं.
नीतीश ने सुझावों पर अमल के दिए निर्देश
सीएम नीतीश ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि जो भी सुझाव आ रहे हैं उन पर तत्काल अमल करें. विपक्ष ने ये भी मांग रखी कि जाति आधारित गणना को लेकर जो आपत्तियां सामने आ रही हैं उनका निराकरण किया जाए. विधान परिषद में विरोधी दल के नेता हरि सहनी ने इस बात पर आपत्ति जताई कि मल्लाह जाति की उपजातियां को उससे अलग किया गया, जिसकी वजह से आंकड़े ठीक नहीं आए. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा सेक्यूलर के नेता जीतन राम मांझी ने भुइयां जाति और उसकी उपजातियां को अलग-अलग कैटेगरी में रखे जाने पर भी आपत्ति जताई. AIMIM के नेता अख्तरुल इमान ने सरकार से कहा कि मुसलमानों की आबादी को अलग-अलग जातियों में बांट दिया गया. मुसलमानों की तादाद कहीं ज्यादा है और इसी आधार पर उनके आरक्षण का दायरा भी बढ़ना चाहिए.
आरजेडी-कांग्रेस ने जातीय जनगणना से खुश
वहीं सत्तापक्ष की तरफ से आरजेडी, कांग्रेस और वाम दलों ने जाति आधारित गणना रिपोर्ट पर संतोष जाहिर किया. डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खां ने रिपोर्ट को ऐतिहासिक बताया. उन्होंने इसी फॉर्मेट में देश के अंदर जातीय जनगणना कराई जाने की मांग भी रखी. वाम दलों ने कहा कि सरकार अब आर्थिक और सामाजिक आंकड़े जारी कर नए सिरे से योजनाओं को समाज के कमजोर वर्गों तक पहुंचाने की दिशा में काम करे. कुल मिलाकर नीतीश कुमार ने जाति आधारित गणना के जरिए जो मास्टर कार्ड खेला है उसे पर आज तमाम दल बैठक में अपने अपने हिसाब से बात रखते नजर आए.
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पीएम मोदी लगातार कांग्रेस पर हमलावर
वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि मनमोहन सिंह तो कहा करते थे देश के संसाधन पर पहला हक अल्पसंख्यकों का है. उसमें भी मुसलमानों का है. अब कांग्रेस कह रही है कि आबादी तय करेगी कि पहला हक किसका होगा. क्या अब अल्पसंख्यकों का हक कांग्रेस कम करना चाहती है क्या? और आबादी के हिसाब से ही तय करना है तो पहला हक किसका होगा? आबादी किसकी ज्यादा है, किसका हक होगा, कांग्रेस वाले साफ करें, क्या आबादी के हिसाब से हक मिलेगा क्या, क्या अल्पसंख्यकों को कांग्रेस हटाना चाहती है, क्या सबसे बड़ी आबादी वाले हिंदू सारे हक ले लें क्या.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ के बस्तर में कहा कि मैं कहता हूं कि कोई सबसे बड़ी आबादी है तो वो गरीब है तो इसलिए मेरे लिए गरीब ही सबसे बड़ी आबादी है. गरीब का कल्याण ही मेरा मकसद है. इस रैली के पांच घंटे बाद तेलंगाना के निजामाबाद में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सबसे बड़ी कोई जाति है तो वो गरीब है. पीएम ने कहा कि अगर आज इस देश की सबसे बड़ी कोई जाति है तो वो जाति गरीब है.
कांग्रेस जनता के बीच खाई बनाना चाहती है: पीएम
प्रधानमंत्री ने जगदलपुर में कहा था कि कांग्रेस और इनके सहयोगियों की साजिश से सतर्क रहना होगा. हक की बात करनी है तो मैं कहूंगा कि पहला हक संसाधनों पर भारत के गरीब का है. गरीब चाहे वो दलित हो. गरीब वो पिछड़ा हो. गरीब चाहे वो आदिवासी हो. गरीब चाहे सामान्य वर्ग से हो. हमें सबसे बड़ी जाति मेरे लिए गरीब है. हमें गरीब की चिंता करनी है. हमें गरीब का जीवन बदलना है. कांग्रेस देश के लोगों में आपसी खाई बनाना चाहती है.
सवाल उठता है कि जब नीतीश कुमार से लेकर राहुल गांधी तक लालू, तेजस्वी से लेकर अखिलेश यादव तक ही नहीं बल्कि देश के कई राज्यों से लेकर बीजेपी के सहयोगी तक जाति गणना की बात कर रहे हैं. जैसे बीजेपी की सहयोगी अपना दल एस की प्रमुख और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल भी जाति जनगणना जरूरी बताती हैं.
जाति जनगणना सार्वजनिक करने की मांग
बिहार के बाद कर्नाटक में जाति जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक करने की डिमांड हो रही है. मध्य प्रदेश, राजस्थान में कांग्रेस वादा कर रही है कि सत्ता में लौटकर जाति गणना कराएंगे. महाराष्ट्र में कांग्रेस ने जाति गणना कराने की मांग शिवसेना-बीजेपी सरकार से की है. ये सारी कवायद इसलिए ताकि विपक्ष के मुताबिक, आबादी के हिसाब से हक तभी मिलेगा, जब आबादी का सही आंकड़ा होगा.
गरीबी ही सबसे बड़ी जाति: पीएम
लेकिन प्रधानमंत्री कहते हैं कि जाति मत देखो, गरीबी ही सबसे बड़ी आबादी है. उस आबादी को सामाजिक न्याय दिलाने में जुटा हूं. पीएम ने जगदलपुर की रैली में कहा था कि मोदी ने दस साल में सारी योजना ऐसी बनाई जिसमें गरीबों में आत्मविश्वास पैदा हुआ है. मेरे लिए गरीब ही सबसे बड़ी जाति है. यही सबसे बड़ी बिरादरी है. अगर गरीब का भला हो गया तो देश का भला हो जाएगा.
बीजेपी को क्लास के हिसाब से कितना वोट बढ़ा?
प्रधानमंत्री जिस गरीब को सबसे बड़ी जाति बताकर सबसे बडी आबादी तक बताते हैं. उसका वोट भी बीजेपी हासिल करती आई है. आंकड़े से समझिए-
2014 के मुकाबले 2019 में बीजेपी के पास अपर मिडिल क्लास का 6 फीसदी वोट बढ़ा था. मिडिल क्लास का भी 6 फीसदी वोट बढ़ा. लोवर मिडिल क्लास का 5 प्रतिशत वोट बीजेपी के लिए बढ़ा, लेकिन दावा है कि गरीबों का वोट 12 फीसदी तक ज्यादा बढ़कर बीजेपी के खाते में आया.