पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो अगले महीने भारत आने वाले हैं. वह गोवा में 4-5 मई को होने वाली विदेश मंत्रियों की एससीओ समिट में हिस्सा लेंगे. 2014 में तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ के भारत आने के बाद यह किसी पाकिस्तानी नेता की यह पहली भारत यात्रा होगी. बिलावल भुट्टो की यह भारत यात्रा ऐसे वक्त पर होने जा रही है, जब दोनों देशों के बीच रिश्ते बुरे दौर से गुजर रहे हैं.
भारत ने प्रोटोकॉल के तहत एससीओ देशों के विदेश मंत्रियों को समिट में शामिल होने के लिए न्योता भेजा था. इन देशों में पाकिस्तान और चीन भी शामिल हैं. वैसे पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक बयान देने के बाद ऐसा माना जा रहा था कि बिलावल नहीं आएंगे, हालांकि उन्होंने समिट में शामिल होने का फैसला किया है.
खैर, उनके भारत आने की बात से अब यह चर्चा होने लगी है कि क्या बिलावल की इस यात्रा से दोनों देशों के रिश्तों में आई कड़वाहट कम हो सकेगी. वैसे बिलावल से पहले भी उनके परिवार के कई सदस्य अलग-अलग वजहों से भारत की यात्रा पर आ चुके हैं. आइए जानते हैं कि इनके परिवार के कौन-कौन से सदस्य यहां आए थे लेकिन उससे पहले यह जान लेते हैं कि बिलावल ने पीएम के खिलाफ क्या बयान दिया था.
बिलावल जरदारी भुट्टो ने दिसंबर में न्यू यॉर्क में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पीएम मोदी पर विवादित टिप्पणी की थी. भारत के विदेश मंत्री की ओर से 9/11 के मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन को पनाह देने वाली टिप्पणी पर पाकिस्तान के मंत्री ने पीएम मोदी पर निजी हमला बोलते हुए कहा था, 'मैं भारत को बताना चाहता हूं कि ओसामा बिन लादेन तो मर चुका है, लेकिन 'गुजरात का कसाई' अभी जिंदा है और भारत का प्रधानमंत्री है.'
बिलावल भुट्टो से पहले उनके पिता आसिफ अली जरदारी आज से 11 साल पहले इसी महीने में एक दिवसीय दौरे पर भारत आए थे. तब जरदारी पाकिस्तान के राष्ट्रपति थे. उस समय बिलावल भी उनके साथ आए थे. उन्होंने भारत के तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह के घर 7 रेसकोर्स रोड पर मुलाकात की थी. तब उन्होंने द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की थी.
- उस समय मनमोहन ने जरदारी से कहा था कि मुंबई हमले के साजिशकर्ताओं को न्याय के कठघरे में लाना जरूरी है. अमेरिका ने भी इस यात्रा का स्वागत किया था. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के तत्कालीन प्रवक्ता मार्क टोनर ने तब कहा था कि हमें यह देखकर खुशी हो रही है. दोनों देश बैठक और बातचीत में शामिल हो रहे हैं और दोनों के बीच बेहतर सहयोग का निर्माण हो रहा है. यह अच्छी स्थिति है.
- विपक्ष की नेता रहीं सुषमा स्वराज ने तब ट्वीट किया था- दोपहर के भोजन के अंत में प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति जरदारी से कहा कि वह अजमेर शरीफ जा रहे हैं, तो उन्हें ख्वाजा चिश्ती के सामने दोनों देशों में शांति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए.'
- इसके बाद जरदारी अजमेर दरगाह गए थे. तब बिलावल ने ट्वीट किया था- अभी अजमेर आए. यहां बहुत आध्यात्मिक और शांतिपूर्ण माहौल है.
- वहीं सरबजीत सिंह की रिहाई की मांग को लेकर उनकी बहन दलबीर कौर और उनकी बेटी आसिफ अली जदारी से मिलने अजमेर पहुंची गई थीं.
- बिलावल भुट्टो ने 2012 में अपने पहले भारत दौरे पर अपनी मां बेनजीर भुट्टो से जुड़ा एक किस्सा बताया था. उन्होंने बताया था कि उनकी मां बेनजीर कहा करती थीं, ‘हर पाकिस्तानी में एक भारत बसता है.’
बिलावल भुट्टो की मां और पाकिस्तान की पूर्व पीएम बेनजीर भुट्टो भी भारत आ चुकी हैं. वह एक मीडिया ग्रुप के दो दिवसीय सम्मेलन 'पीस डिविडेंड-प्रोग्रेस फॉर इंडिया एंड साउथ एशिया' में शामिल होने के लिए दिल्ली आई थीं. तब उन्होंने 12 दिसंबर 2003 को तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी से उनके आवास पर जाकर मुलाकात की थी. वह तत्कालीन डिप्टी पीएम लालकृष्ण आडवाणी से भी मिली थीं.
हालांकि तब पाकिस्तान ने उनकी इस यात्रा का विरोध किया था. पाकिस्तान के तत्कालीन सूचना मंत्री शेख राशिद अहमद ने कहा था कि बेनजीर की भारत यात्रा का उद्देश्य सार्क शिखर सम्मेलन को नुकसान पहुंचाना है. बेनजीर कभी भी भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों को सामान्य नहीं करना चाहती थीं. सेमिनार में बेनजीर का शामिल होना स्पष्ट रूप से देश (पाकिस्तान) के प्रति उनके नकारात्मक दृष्टिकोण को दर्शाती है. ऐसा करना पाकिस्तान की अखंडता और एकजुटता के लिए एक झटका है.
1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के करीब 8 महीने बाद (2 जुलाई 1972) की बात है, तब पाकिस्तान के पीएम जुल्फिकार अली भुट्टो थे और भारत में इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं. जुल्फिकार तब शिमला समझौता करने भारत आए थे. भुट्टो और उनका प्रतिनिधिमंडल 28 जून को शिखर वार्ता के लिए भारत आ गया था. 2 जुलाई की रात 10:30 बजे शुरू हुई बातचीत देर रात 12:40 बजे तक चली थी लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया था. इसके बाद शिमला के बार्न्स कोर्ट (राजभवन) में जुल्फिकार ने शिमला समझौता कर लिया था.
- इस समझौते के बाद पाकिस्तान का विभाजन हो गया था. बांग्लादेश के अलग राष्ट्र बन गया था. उस वक्त जुल्फिकार के साथ उनकी बेटी बेनजीर भुट्टो भी भारत आई थीं. हालांकि पहले वह अपनी पत्नी को साथ लाने वाले थे लेकिन उनकी तबीयत बिगड़ जाने के कारण वह अमेरिका से छुट्टियां मनाने पाकिस्तान आई अपनी बेटी बनजीर को अपने साथ भारत ले आए थे. बेनजीर बहुत हंसमुख स्वभाव की थीं, इसलिए भारत आते समय विमान में जुल्फिकार ने बेनजीर को ज्यादा हंसने-मुस्कराने से मना किया था.
- यह समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंधों में एक मील का पत्थर साबित हुआ. इसमें तय हुआ कि दोनों देश एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करेंगे. इसके अलावा दोनों देश मतभेदों को दूर करने के लिए द्विपक्षीय वार्ता का इस्तेमाल करेंगे.
वैसे तो भारत और पाकिस्तान के बीच कभी रिश्ते अच्छे नहीं रहे. हालांकि, बीच बीच में इसे सुधारने की कोशिश जरूर होती रही. लेकिन फरवरी 2019 में पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए हमले के बाद से दोनों देशों के रिश्ते और बिगड़ गए.
भारत ने पुलवामा हमले के जवाब में बालाकोट में एयरस्ट्राइक की थी. इसके बाद पाकिस्तान के विमानों ने भी भारत में घुसने की कोशिश की थी. इस दौरान भारतीय एयरफोर्स ने पाकिस्तानी F-16 विमान को भी मार गिराया था. हालांकि, इस दौरान भारतीय एयरफोर्स के विंग कमांडर अभिनंदन का विमान पाकिस्तानी सीमा में क्रैश हो गया था. हालांकि, बाद में उन्हें भारत भेज दिया गया था. इस घटना के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार समेत सभी तरह के रिश्ते खत्म हो गए.
अप्रैल 1996 में एक बैठक हुई. इसमें चीन, रूस, कजाकस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान शामिल हुए. इस बैठक का मकसद था आपस में एक-दूसरे के नस्लीय और धार्मिक तनावों को दूर करने के लिए सहयोग करना. तब इसे 'शंघाई फाइव' कहा गया. हालांकि, सही मायनों में इसका गठन 15 जून 2001 को हुआ. तब चीन, रूस, कजाकस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान ने 'शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन' की स्थापना की. इसके बाद नस्लीय और धार्मिक तनावों को दूर करने के अलावा कारोबार और निवेश बढ़ाना भी मकसद बन गया. 1996 में जब शंघाई फाइव का गठन हुआ, तब इसका मकसद था कि चीन और रूस की सीमाओं पर तनाव कैसे रोका जाए और कैसे उन सीमाओं को सुधारा जाए. ये इसलिए क्योंकि उस समय बने नए देशों में तनाव था. ये मकसद सिर्फ तीन साल में ही हासिल हो गया. इसलिए इसे सबसे प्रभावी संगठन माना जाता है.
शंघाई सहयोग संगठन में 8 सदस्य देश शामिल हैं. इनमें चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान हैं. इनके अलावा चार पर्यवेक्षक देश- ईरान, अफगानिस्तान, बेलारूस और मंगोलिया हैं. इस संगठन में यूरेशिया यानी यूरोप और एशिया का 60% से ज्यादा क्षेत्रफल है. दुनिया की 40% से ज्यादा आबादी इसके सदस्य देशों में रहती है. साथ ही दुनिया की जीडीपी में इसकी एक-चौथाई हिस्सेदारी है. इतना ही नहीं, इसके सदस्य देशों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के दो स्थायी सदस्य (चीन और रूस) और चार परमाणु शक्तियां (चीन, रूस, भारत और पाकिस्तान) शामिल हैं.
2005 में कजाकिस्तान के अस्ताना में हुई समिट में भारत, पाकिस्तान, ईरान और मंगोलिया ने भी हिस्सा लिया. ये पहली बार था जब SCO समिट में भारत शामिल हुआ था. 2017 तक भारत SCO का पर्यवेक्षक देश रहा. 2017 में SCO की 17वीं समिट में संगठन के विस्तार के तहत भारत और पाकिस्तान को पूर्णकालिक सदस्य का दर्जा दिया गया. SCO को इस समय दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन माना जाता है. इस संगठन में चीन और रूस के बाद भारत सबसे बड़ा देश है.