बिलकिस बानो मामले के 11 में से 9 दोषी शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में अपनी दलीलें देंगे. पीड़िता के साथ रेप और उनके परिजनों की हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा में राहत पाए 11 में से नौ दोषियों ने आत्मसमर्पण करने के लिए और समय दिए जाने की गुहार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. इन याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करने जा रहा है.
दरअसल, गुजरात सरकार द्वारा इन 11 दोषियों को माफी के आधार पर समय से पहले रिहाई करते हुए इनको जेल से रिहा कर दिया था. इसके खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई कर 8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस पंकज मित्थल की पीठ ने इन दोषियों को दो हफ्ते में जेल में सरेंडर करने का आदेश दिया था.
दोषी गोविंदभाई नाई का कहना है कि उसके 88 वर्षीय पिता और 75 वर्षीय मां बीमार हैं. वह उनकी देखभाल करने वाला एकमात्र व्यक्ति है. इस आधार पर उसे आत्मसमर्पण के लिए और समय दिया जाए. वहीं रमेश रूपाभाई चंदना का कहना है कि उसे अपने बेटे की शादी की व्यवस्था करनी है. इसके लिए और मोहलत दी जाए.
दोषी मितेश चिमनलाल भट्ट और जसवन्तभाई चतुरभाई नाई का कहना है कि उन्हें सर्दियों की फसलों की कटाई करनी है. शीतकालीन उपज अब कटाई के लिए तैयार है. वह आत्मसमर्पण करने से पहले इसे भी पूरा कर लेना चाहता है. प्रदीप रमणलाल मोढिया का कहना है कि अभी उनके फेफड़े की सर्जरी हुई है और ठीक होने के लिए समय चाहिए.
बिपिनचंद कनैयालाल जोशी का कहना है कि हाल ही में पैर की सर्जरी के कारण वह आंशिक रूप से विकलांग है. राधेश्याम भगवानदास शाह का कहना है कि उसके बूढ़े माता-पिता हैं और एक बेटा है जो कॉलेज में है. इसलिए उसे आत्मसमर्पण करने से पहले अपने परिवार के लिए वित्तीय व्यवस्था के लिए कुछ और समय की जरूरत होगी.
केशरभाई खीमाभाई वोहनिया ने अपने बुढ़ापे का हवाला देते हुए कहा कि उनके बेटे की शादी तय है. इसलिए उसे और समय दिया जाए. शैलेशभाई चिमनलाल भट्ट बुढ़ापे, परिवार में शादी और सर्दियों की फसलों की कटाई का हवाला देते हुए आत्मसमर्पण के लिए और समय दिए जाने की गुहार लगाई है.