सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को बिलकिस बानो मामले की सुनवाई हुई. इस दौरान सामने आया है कि, बिलकिस मामले में दो मई को सरकार बताएगी कि वो दोषियों की रिहाई की फाइल दिखाएगी या नहीं. सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान गुजरात और केंद्र सरकार को पीठ की नाराजगी भी झेलनी पड़ी. फटकार के बाद बिलकिस बानो केस के दोषियों की रिहाई के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर अब 2 मई को दोपहर बाद दो बजे अंतिम यानी निर्णायक सुनवाई होगी.
मंगलवार को गुजरात सरकार ने रिहाई से जुड़ी फाइल दिखाने के आदेश का विरोध किया. राज्य सरकार ने सुनवाई के दौरान दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक ही दोषियों की रिहाई हुई है. केंद्र और गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वे बिलकिस बानो मामले में दोषियों को दी गई छूट के संबंध में फाइल तलब करने के सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेश को चुनौती दे सकते हैं.
SC ने लगाई फटकार
दरअसल सरकार विशेषाधिकार का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रासंगिक दस्तावेज पेश नहीं करना चाहती. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने गुजरात सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि बार-बार कहने के बावजूद गुजरात सरकार उम्रकैद के दोषियों की समय पूर्व रिहाई के दस्तावेज रिकॉर्ड हमारे सामने नहीं ला रही है. हम आपके खिलाफ कोर्ट की अवमानना के आरोप में कार्यवाही करेंगे अगर आपने आज (मंगलवार) ही रिकॉर्ड हमारे सामने न ले कर आए तो! आपको रिकॉर्ड पेश करने ही होंगे.
2 मई को होगी निर्णायक सुनवाई
जस्टिस केएम जोसफ और जस्टिस बी वी नागरत्ना की पीठ के सामने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल वीएस राजू ने कहा कि कई दस्तावेज गुजराती में हैं और हमें पहले खुद उन दस्तावेजों को रिव्यू करना है. जस्टिस जोसफ ने कहा कि हमने आपको रिव्यू से कहां रोका है? आप हमारे सामने रिकॉर्ड लाइए. पीठ ने कहा कि हम नोटिस का जवाब देने के लिए अभियुक्तों को समय देंगे, लेकिन हम उनकी आजादी पर अंकुश नहीं लगाएंगे.
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने सोमवार तक गुजरात सरकार से निर्देश लेकर रिव्यू दाखिल करने या फिर दस्तावेज पेश करने पर निर्णय लेने की मोहलत मांगी. कोर्ट ने सोमवार तक दस्तावेजी रिकॉर्ड सौंपने की ताकीद करते हुए सुनवाई दो मई दोपहर बाद दो बजे तक टाल दी. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और गुजरात सरकार को ये तय करने के लिए एक मई तक का समय दिया कि वो रिहाई से जुड़े दस्तावेज मांगने के आदेश पर पुनर्विचार अर्जी दाखिल करेंगे या नहीं. दो मई को सुनवाई होगी.
'भयानक था अपराध, लेकिन...'
पीठ ने कहा कि एक झटके में 15 जिंदगियां बर्बाद हो गईं. जिस तरह से अपराध किया गया वह भयानक है. उम्रकैद के दौरान भी इनमें से हर दोषी को 1000 दिन से अधिक का पैरोल मिला है. एक को तो 1500 दिन. कोर्ट ने सरकार को नसीहत देते हुए कहा कि जब आप शक्ति का प्रयोग करते हैं तो उसे जनता की भलाई के लिए होना चाहिए. आप जो भी हों, आप कितने भी ऊंचे या बड़े क्यों न हों लेकिन आपका काम विवेकपूर्ण और तर्क सम्मत होना चाहिए. यह जनता की भलाई के लिए होना चाहिए. बिलकिस बानो की याचिका के मुताबिक तो यह एक समुदाय और समाज के खिलाफ अपराध है. उनकी रिहाई से आप क्या संदेश दे रहे हैं? सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से कहा कि आज बिलकिस है कल कोई और हो सकता है. राज्य को समाज की भलाई के लिए कदम उठाना चाहिए.