बिलकिस बानो के दोषियों की समय से पहले रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट ने फिर सवाल उठाए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सजा में छूट की अवधारणा के खिलाफ नहीं हैं, क्योंकि कानून में इसे अच्छी तरह से स्वीकार किया गया है. लेकिन ये स्पष्ट किया जाना चाहिए कि ये दोषी कैसे माफी के योग्य बने.
कोर्ट ने आगे पूछा कि उन दोषियों को बहुत दिनों की पैरोल का भी मौका मिला था. ऐसे कैसे कुछ दोषियों को विशेषाधिकार दिया जा सकता है? अब सुनवाई 20 सितंबर को भी जारी रहेगी.
जस्टिस बी नागरत्ना ने सीनियर वकील सिद्धार्थ लूथरा से कड़े सवाल किए. कोर्ट ने कहा कि कुछ दोषियों को दूसरे के मुकाबले खास सुविधाएं दी जाती हैं. ये बताएं कि इन दोषियों को सजा में छूट क्यों मिली.
कोर्ट के सवाल पर सिद्धार्थ लूथरा ने कहा, 'जिस शख्स को भी उम्रकैद की सजा होती है, उसे बदलाव का मौका दिया जाता है.' आगे कोर्ट ने कहा कि हमारे पास याचिकाकर्ता जो आए हैं वे सजा में छूट देने वाले कानून पर सवाल नहीं उठा रहे, बल्कि इन लोगों को सजा में छूट क्यों दी गई, ये सवाल उठा रहे हैं.
अब बेंच इस मामले पर आगे 20 सितंबर को सुनवाई करेगा. बता दें कि साल 2002 में गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप हुआ था. इसमें 11 लोगों दोषी साबित हुए थे. अब गुजरात सरकार ने इन दोषियों को सजा से छूट दे दी थी, जिसके बाद इनकी रिहाई हो गई. इसका काफी विरोध हुआ, फिर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया.