पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बिलकिस बानो रेप केस (Bilkis Bano Rape Case) में समय से पहले रिहाई के फैसले को रद्द कर दिया था. इनमें से दो दोषियों ने फिर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उनका कहना है कि समान संख्या में जजों की दो अलग-अलग पीठों ने दोषियों की समय से पहले रिहाई के एक ही मुद्दे पर बिल्कुल विपरीत विचार अपनाए हैं. याचिका में कहा गया है कि मामले में राज्य सरकार की कौन सी नीति लागू होगी, इस पर विरोधाभासी विचार अपनाए गए हैं.
दोषियों ने याचिका में कहा है कि मई 2022 के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उपयुक्त सरकार गुजरात की होगी, बिलकिस बानो के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उपयुक्त सरकार महाराष्ट्र की होगी. याचिका में सुप्रीम कोर्ट से यह स्पष्ट करने की मांग की गई है कि समान संख्या में जजों की बेंच द्वारा दिए गए दो फैसलों में से कौन सा लागू होगा.
फैसले को एक ही मुद्दे पर विरोधाभासी करार देते हुए मामले को बड़ी बेंच के पास भेजने की मांग की गई है. याचिका में सुप्रीम कोर्ट से यह स्पष्ट करने के लिए भी कहा गया है कि क्या समान संख्या में जजों की अगली बेंच पहले के फैसले को खारिज कर सकती है?
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याचिका में कहा गया है कि दोषियों की जल्द रिहाई के खिलाफ बिलकिस बानो द्वारा दायर रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं थी और सीधे तौर पर संविधान के पहले के फैसले के आदेश के खिलाफ थी.