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Explainer: जानिए क्या है Black Box, CVR, FDR... जिससे बिपिन रावत के हेलिकॉप्टर हादसे की जांच आगे बढ़ाई जा रही है

What is Black Box: तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए हेलिकॉप्टर क्रैश ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है. इस हादसे में सीडीएस बिपिन रावत समेत 13 लोगों की जान चली गई. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर यह हादसा कैसे हुआ और कहां चूक हो गई? इसके लिए ब्लैक बॉक्स के राज भी खंगाले जा रहे हैं.

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कुन्नूर में क्रैश हुआ हेलिकॉप्टर
कुन्नूर में क्रैश हुआ हेलिकॉप्टर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए हेलिकॉप्टर क्रैश ने सबको को झकझोर दिया
  • इस हादसे में सीडीएस बिपिन रावत समेत 13 लोगों की जान चली गई
  • केवल ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ही बच पाए और उनकी भी हालत गंभीर

तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए हेलिकॉप्टर क्रैश ( Bipin Rawat Mi-17V5 Helicopter Crash) ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है. इस हादसे में सीडीएस बिपिन रावत समेत 13 लोगों की जान चली गई. इस दर्दनाक हादसे में केवल ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ही बच पाए और उनकी भी हालत गंभीर बताई जा रही है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर यह हादसा कैसे हुआ? क्या खराब मौसम की वजह से यह दुर्घटना हुई या फिर पायलट की कोई चूक इसकी वजह बनी... इन सारे सवालों के जवाब के लिए जांच की जा रही है. इस जांच में ब्लैक बॉक्स, सीवीआर, एफडीआर के राज भी खंगाले जा रहे हैं. आइए हम आपको बताते हैं कि Black Box, CVR और FDR क्या है?

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ब्लैक बॉक्स क्या होता है?
वह वक्त द्वितीय विश्वयुद्ध (1939-45) का था. जब कोई फाइटर प्लेन क्रैश होता या मार गिराया होता था तो उसकी कोई जानकारी नहीं मिलती. ऐसे में ब्रिटिश आर्मी ने फाइटर जेट में एक डिवाइस- ब्लैक बॉक्स (Black Box) लगाया. इस डिवाइस में प्लेन की स्पीड और पायलटों की आपसी बातचीत, ऊंचाई से स्पीड लोकेशन तक सभी जानकारी इसमें होती थी. ऐसे में हेलिकॉप्टर क्रैश में अब बिपिन रावत के निधन के बाद सबकी नजरें ब्लैक बॉक्स पर हैं. इसी से यह पता चलेगा कि आखिरी मिनटों में ऐसा क्या हुआ कि हेलिकॉप्टर इतनी बुरी तरीके से क्रैश हुआ? हादसे के समय बिपिन रावत समेत बाकी लोगों की हालत कैसी थी?

वैसे तो ब्लॉक बॉक्स स्टील या टाइटेनियम से बनी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्डिंग डिवाइस होती है. इसे फ्लाइट रिकॉर्डर भी कहते हैं. पायलटों की आपस में हुई चर्चा, एयर ट्रैफिक कंट्रोलर से हुई बातचीत, प्लेन में कितना फ्यूल है और यह कितनी तेजी से उड़ान भर रहा है... ये सारी एक्टिविटीज बॉक्स हर सेकंड के हिसाब से रिकॉर्ड करता है. यहां तक कि हेलिकॉप्टर के किसी भी स्विच के ऑन या ऑफ होने तक का रिकॉर्ड इसमें होता है. ये दो तरह के होते हैं. पहला- फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और दूसरा- कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर. इन दोनों डिवाइस को मिलाकर बॉक्स की साइज एक छोटे डिब्बे जैसे हो जाती है.

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इसकी मजबूती की जांच के लिए 700 किमी प्रति घंटे की स्पीड से कॉन्क्रीट की दीवार पर इसे फेंका जाता है. पांच मिनट तक दोनों तरफ ज्यादा वजन रखकर इसकी मजबूती की परख होती है. एक घंटे तक 1100 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखा जाता है और 6000 मीटर की गहराई में छोड़ दिया जाता है. वैसे शुरुआत में यह बॉक्स ब्लैक कलर में होता था, लेकिन हादसे के बाद इसे खोजने में दिक्कत ना हो इसलिए इसे अब चटख ऑरेंज कलर में बनाया जाने लगा है. यह पानी के अंदर 14 हजार फीट गहराई में भी ट्रेस किया जा सकता है. इसमें लगी बैट्री की सेल्फ लाइफ 6 साल तक होती है.

अब सवाल उठता है कि बिपिन रावत के हेलिकॉप्टर में लगे ब्लैक बॉक्स के डेटा को कितने दिन में रिकवर किया जा सकता है? वैसे आम तौर पर ब्लैक बॉक्स के ये डेटा 10-15 दिनों में रिकवर कर लिए जाते हैं. सबसे पहले पायलट्स और एयर ट्रैफिक कंट्रोलर के बीच हुई बातचीत को समझा जाता है. इससे यह पता चलता है कि आखिर गलती कहां हुई. क्या पायलट्स ने गलती की? यदि नहीं तो फिर बेकाबू विमान को काबू करने में पायलट को क्या परेशानी आई?

FDR का क्या रोल?
फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर (FDR) डिवाइस से पता चलता है कि हादसे के वक्त एयरक्राफ्ट किस हालत में था. इसका मकसद एयरक्राफ्ट के सेंसर से डेटा रिकॉर्ड करना है. एफडीआर से चॉपर की स्पीड, ऊंचाई और दूसरी टेक्निकल चीजें जानकारियां भी मिलती हैं. 

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CVR को भी जानिए
किसी चॉपर के क्रैश होने पर भी कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर (CVR) डिवाइस का अहम रोल है. किसी एयरक्राफ्ट के क्रैश होने या इसकी आशंका पर हादसे की जांच के लिए फ्लाइट डेक में ऑडियो इनवायरनमेंट को रिकॉर्ड करने के लिए उपयोग किया जाता है. कॉकपिट में पायलटों के हेडसेट के माइक्रोफोन और ईयरफोन के ऑडियो सिग्नल्स को CVR रिकॉर्ड और स्टोर करता है.

धाकड़ अफसर के हवाले हादसे की जांच
इस हादसे की जांच एयर मार्शल मानविंदर सिंह को सौंपी गई है. मानवेंद्र सिंह खुद वायुसेना के प्रशिक्षण कमान के कमांडर हैं और हेलिकॉप्टर पायलट भी हैं. वह अभी बेंगलुरु हेडक्वार्टर में इंडियन एयरफोर्स के ट्रेनिंग कमांड के हेड हैं और देश में एयर क्रैश जांच में सबसे माहिर माने जाते हैं. ट्रेनिंग कमांड से पहले एयर मार्शल सिंह एयर डेडक्वाटर्स में डायरेक्टर जनरल (इंसपेक्शन एंड सेफ्टी) थे और फ्लाइट सेफ्टी को लेकर कई प्रोटोकॉल्स बनाए. हेलिकॉप्टर और ट्रेनर एयरक्राफ्ट में उनका 38 साल का शानदार करियर रहा है.

आखिर कहां हुई चूक?
इस बीच सेना के अधिकारियों का कहना है घटनास्थल से ब्लैक बॉक्स, फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) और कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर (CVR) मिल गए हैं. सीवीआर से पता चल सकेगा कि MI-17 हेलिकॉप्टर के पायलट और एयर ट्रैफिक कंट्रोल के बीच क्या बातचीत हुई थी. सेना के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि हेलिकॉप्टर कैसे क्रैश हुआ, इसको लेकर मानवीय चूक समेत सारे एंगल की जांच की जा रही है.

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