Bird Flu Outbreak: केरल के कोट्टायम जिले की दो पंचायतों में बर्ड फ्लू फैलने की सूचना मिलने के बाद अधिकारियों को प्रभावित क्षेत्रों के एक किलोमीटर के दायरे में लगभग 8,000 बत्तखों, मुर्गियों और अन्य घरेलू पक्षियों को मारने का आदेश देना पड़ा है. हालांकि एक महीने पहले ही बर्ड फ्लू के चलते करीब बीस हजार पक्षियों को मारने के आदेश दिए गए थे.
जिला कलेक्टर पी के जयश्री ने मंगलवार को जिले के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ अरपुकारा और थलायाझम पंचायतों में बढ़ते बर्ड फ्लू को देखते हुए एक आपात बैठक की. कलेक्टर ने पशुपालन विभाग की देखरेख में प्रभावित क्षेत्रों के एक किमी के दायरे में मिलने वाले पक्षियों को पकड़ने और उन्हें मार देने के निर्देश दिए.
जिला पीआरडी की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि अधिकारियों को क्षेत्र को कीटाणुरहित करने के लिए कदम उठाने का भी निर्देश दिया गया है. इतना ही नहीं 13 दिसंबर से तीन दिनों के लिए बर्ड फ्लू प्रभावित क्षेत्रों के 10 किलोमीटर के दायरे में चिकन, बत्तख, अन्य घरेलू पक्षियों, अंडे, मांस और खाद की बिक्री और परिवहन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
बता दें कि अरपुकारा में एक बत्तख फार्म और थलायाझम में एक ब्रायलर मुर्गा फार्म में पक्षियों की मौत के बाद नमूनों को भोपाल में उच्च सुरक्षा पशु रोग प्रयोगशाला के राष्ट्रीय संस्थान में टेस्टिंग के लिए भेजा गया था. जहां बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई. जिसके बड़ा प्रभावित पंचायतों में पक्षियों को मारने के लिए पशुपालन विभाग द्वारा रैपिड रिस्पांस टीमों का गठन किया गया है.
क्या है बर्ड फ्लू?
बर्ड फ्लू को एवियन इन्फ्लुएंजा भी कहते हैं, जो कि एक वायरल इन्फेक्शन है. ये फ्लू पक्षियों से पक्षियों में फैलता है और ज्यादातर पक्षियों के लिए जानलेवा भी साबित होता है. अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) की मानें तो, बर्ड फ्लू आमतौर पर जंगली पक्षियों के जरिए पालतू पक्षियों में फैलता है.
सीडीसी का कहना है कि ये वायरस पक्षियों की आंतों या श्वसन तंत्र पर हमला करता है और उन्हें बीमार कर देता है. कई मामलों में इससे पक्षियों की मौत भी हो जाती है. ये वायरस भी आम वायरस की तरह ही फैलता है. सीडीसी का कहना है कि संक्रमित पक्षी की लार, नाक से निकलने वाला लिक्विड या मल के जरिए वायरस फैल सकता है. ऐसे में जब दूसरा पक्षी इससे संपर्क में आता है, तो वो भी संक्रमित हो सकता है.