विपक्षी गठबंधन 'INDIA' अगले साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों को लेकर बीजेपी के खिलाफ मोर्चा तैयार करने में लगा हुआ है. इसी बीच बंगाल में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और वामपंथी दल CPIM ने पंचायत चुनावों में हाथ मिलाया है. यह असाधारण गठबंधन एक रणनीतिक गठबंधन का प्रतीक है, जो अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस को चुनौती देने के लिए किया जा रहा है.
CPI ने पंचायत बोर्ड के गठन के लिए पूर्वी मेदिनीपुर की तीन पंचायतों में बीजेपी से हाथ मिलाया है. वहीं महिषादल में बीजेपी-CPI(M) गठबंधन ने बोर्ड का गठन किया है. बता दें कि महिषादल अमृत बेरिया ग्राम पंचायत बोर्ड का गठन बुधवार को हुआ. इसमें 18 में से 8 सीटों पर बीजेपी, 8 पर तृणमूल और बाकी 2 सीटों पर सीपीएम ने जीत हासिल की. उस बोर्ड के गठन में देखा गया कि CPI(M) के 2 उम्मीदवारों ने बीजेपी का समर्थन किया था. बीजेपी ने कुल 10 सीटों के साथ अमृत बेरिया ग्राम पंचायत कार्यालय का बोर्ड बनाया.
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या केंद्र में बीजेपी को रोकने के लिए कई विपक्षी दलों के समर्थन से विपक्षी दलों ने 'INDIA'गठबंधन बनाया है तो CPI(M) के समर्थन से बीजेपी ने बोर्ड का गठन कैसे किया?
उधर, पूर्वी मेदिनीपुर के तमलुक के कोलाघाट ब्लॉक की ग्राम पंचायत नंबर-1 पर भी बीजेपी गठबंधन ने कब्जा कर लिया है. बीजेपी ने निर्दलीय और सीपीएम के साथ मिलकर पंचायत बोर्ड का गठन किया. यहां कुल 17 सीटें थीं. इसमें तृणमूल कांग्रेस को 8, बीजेपी को 7, निर्दलीय को 1 और सीपीएम को 1 सीट मिली. वहीं, सिद्धा-1 ग्राम पंचायत में निर्दलीय कैंडिडेट नौरीन सुल्ताना को प्रमुख और बीजेपी स्मृतिधर चक्रवर्ती को उप प्रमुख चुना गया. सीपीएम ने निर्दलीय प्रमुख का समर्थन किया. इसके बाद बीजेपी ने सीपीएम और निर्दलियों के साथ मिलकर पंचायत का गठन किया.
'स्थानीय स्तर' के इस गठबंधन को बीजेपी और वामपंथी दलों के नेता किस नजर से देख रहे हैं? दोनों पार्टियों ने कहा कि इस गठबंधन का उद्देश्य वैचारिक सीमाओं का सख्ती से पालन करने के बजाय स्थानीय लोगों के कल्याण को प्राथमिकता देना है. साथ ही ग्रामीण स्तर पर टीएमसी को किनारे करने के लिए स्थानीय नेताओं को ऐसा फैसला लेना पड़ा, जिसकी इजाजत पार्टी के शीर्ष स्तर से नहीं है.
CPIM की केंद्रीय समिति के सदस्य राबिन देब ने कहा कि 'मुझे खबर है कि पूर्वी मेदिनीपुर की तीन ग्राम पंचायतों में ऐसा हुआ है. कहीं बीजेपी और लेफ्ट के साथ आ गए हैं, तो कहीं निर्दलीय उम्मीदवारों के साथ बोर्ड का गठन किया गया है. दरअसल, कई जगहों पर बोर्ड बनाने के लिए जिस तरह से तृणमूल कांग्रेस विजयी उम्मीदवारों को तोड़ने की कोशिश कर रही है, उसे रोकने के लिए स्थानीय नेताओं को इस तरह का फैसला लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है. यह घटना न सिर्फ पूर्वी मेदिनीपुर, बल्कि राज्य की कई ग्राम पंचायतों में भी दोहराई गई है, यह बंगाल की राजनीति या राष्ट्रीय राजनीति के संबंध में पार्टी का निर्णय नहीं है.
वहीं, बीजेपी प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने कहा कि इस तरह के फैसले का पार्टी समर्थन नहीं करती है. यह स्थानीय राजनीतिक रसायन शास्त्र पर आधारित है, जहां जनता का फैसला क्या है, इसके लिए स्थानीय नेता ये फैसला ले रहे हैं. लेकिन पार्टी इस फैसले से सहमत नहीं है.