मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू करने के फैसले का बचाव करते हुए, बीजेपी नेता बिप्लब देब ने मंगलवार को लोकसभा में कहा कि यह निर्णय जबरन नहीं लिया गया, बल्कि यह एक अनिवार्यता थी जो संविधान के तहत लिया गया.
बीजेपी की ओर से अनुदान की अनुपूरक मांगों, अधिशेष अनुदानों और मणिपुर के बजट पर संयुक्त बहस की शुरुआत करते हुए, बिप्लब देब ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में नरेंद्र मोदी सरकार के आने के बाद मणिपुर और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में इन्फ्रास्ट्रक्चर का व्यापक विकास हुआ है.
'संविधान के तहत लिया गया राष्ट्रपति शासन का फैसला'
उन्होंने कहा कि मणिपुर में रेल और सड़क इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण हुआ है, जो पिछले कई दशकों तक नहीं हो पाया था. उन्होंने जोर देकर कहा कि अब देश के अन्य हिस्सों के लोग पूर्वोत्तर राज्यों को पहचान सकते हैं, जो पहले संभव नहीं था.
उन्होंने कहा, 'मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाया गया. यह फैसला संविधान के तहत ही लिया गया. 6 महीने के अंदर सत्र बुलाना पड़ता है. सत्र नहीं बुलाया जा पा रहा था. हमने राष्ट्रपति शासन बलपूर्वक लागू नहीं किया. यह संवैधानिक व्यवस्था है, करना पड़ता है.'
'75 प्रतिशत इलाके AFSPA से अब बाहर'
त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री देब ने कहा कि अब पूर्वोत्तर के 75 प्रतिशत इलाके AFSPA के दायरे से बाहर हो चुके हैं. मोदी सरकार की पहलों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि मुफ्त स्वास्थ्य बीमा से लेकर एमबीबीएस पाठ्यक्रमों में क्षेत्रीय भाषाओं के इस्तेमाल तक, सरकार ने समाज के सभी वर्गों के कल्याण के लिए कई कदम उठाए हैं. उन्होंने कहा कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का कानून भी महिलाओं को सशक्त बनाने का एक उदाहरण है.